नीरज सिसौदिया, जालंधर
अकाली-भाजपा गठबंधन भले ही सूबे की सत्ता से बाहर हो गया हो लेकिन अकाली नेताओं का अवैध कॉलोनियों का कारोबार अब भी धड़ल्ले से चल रहा है| ताजा मामला अमन नगर के अमर गार्डन इलाके का है| यहां पर एक अकाली नेता ने अपनी फैक्टरी के अंदर ही पहले तो अवैध कॉलोनी काटी उसके बाद लगभग तीन दर्जन से भी अधिक कोठियां बनाकर बेचने लगा| लगभग 30 से अधिक कोठियों का सौदा भी हो चुका है| इस पूरे खेल को नगर निगम के बिल्डिंग इंस्पेक्टर से लेकर कमिश्नर तक की मिलीभगत से अंजाम दिया गया है और नगर निगम के राजस्व को करोड़ों रुपए का चूना लगाया गया है|
बता दें कि अमर गार्डन इलाके में अकाली नेता फैक्ट्री चलाता था| इस फैक्ट्री में सिलाई मशीन के पार्ट्स आदि तैयार किए जाते थे| फैक्ट्री कई एकड़ में फैली हुई थी| इसके बाद अकाली नेता का काम भी कुछ मंदा चलने लगा| ऐसे में उसने पैसे कमाने का नया तरीका इजाद किया| फिर फैक्ट्री को कुछ मरले में समेट कर उसने अंदर ही अंदर अवैध कॉलोनी काटने की तैयारी की| सूत्र बताते हैं कि इसके बाद बिल्डिंग इंस्पेक्टर और नगर निगम की बिल्डिंग ब्रांच के आला अधिकारियों से मिलकर उन्हें रिश्वत की मोटी रकम दी| इसके बाद फैक्ट्री के अंदर ही अंदर अवैध कॉलोनी काट दी गई और किसी को भनक तक नहीं लगी|
अवैध कॉलोनी में कोठियां बनाई गई और सीवरेज को सरकारी सीवरेज से जोड़ा गया| पूरे काम के लिए बिजली भी फैक्टरी से ही चोरी करके ली गई| इसके बाद एक के बाद एक लगभग 3 दर्जन से भी अधिक कोठियां तैयार की गई| 3 महीने से 5 महीने तक की जमीन में कोठियां तैयार की गई और 2-4 नक्शे पास कराकर उसी नक्शे के आधार पर सारी कोठियां बनाई गई हैं| जो कोठियां नक्शे के आधार पर बनाई गई हैं उनके निर्माण में पूरी तरह से वॉयलेशन की गई है| शहरी इलाका होने के कारण कोठियां हाथों-हाथ बिकने लगी और लगभग दो दर्जन से भी अधिक कोठियों की बिक्री की जा चुकी है| यहां 3 मरले से कुछ अधिक की कोठी 28 लाख और 5 मरले की कोठी ₹40 लाख में बेची जा रही है| 1-2 कोठियों का निर्माण अभी भी चल रहा है|
फैक्ट्री के बिजली कनेक्शन से ही इन कोठियों को भी बिजली की आपूर्ति की जा रही है| हालांकि जिन लोगों ने कोठियां खरीदी है उनमें से कुछ लोगों ने अपने मीटर भी लगा लिए हैं|
जब यह कोठिया तैयार की गई तो उस वक्त यह इलाका बिल्डिंग इंस्पेक्टर अरुण खन्ना के पास था| अरुण खन्ना कौन नवजोत सिंह सिद्धू ने सस्पेंड कर दिया है| अब एक-एक कर उनके काले कारनामे सामने आ रहे हैं| हैरानी की बात तो यह है कि राजनीतिक दबाव के चलते कार्यवाही ना करने की बात करने वाले नगर निगम के बिल्डिंग ब्रांच के अधिकारी इस कदर बेखौफ हो गए कि कांग्रेस के राज में अकाली नेताओं की अवैध कॉलोनियों और कोठियां तैयार करवा डालीं|
बता दें कि कॉलोनी के लिए सीवरेज से रिचार्ज 9 लाख रुपए प्रति एकड़ जमा करना पड़ता है| साथ ही कॉलोनी और नक्शा पास कराने की फीस अलग से जमा करनी पड़ती है| कॉलोनी काटने पर उसके पास दादी की जगह भी वेस्टेज छोड़नी पड़ती है| लेकिन इस अकाली नेता ने कोई भी वेस्टेज नहीं छोड़ी और अपना काम नगर निगम के अधिकारियों की मिलीभगत से धड़ल्ले से पूरा कर दिया| इससे सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ|
सरकार को चूना लगाने वाले ऐसे नगर निगम के अधिकारियों को बर्खास्त किया जाना चाहिए और ऐसे कॉलोनाइजरों के खिलाफ FIR दर्ज करवानी चाहिए| बहरहाल अब देखना यह है कि नगर निगम के अधिकारी अकाली नेता के खिलाफ कोई कार्यवाही करते हैं अथवा नहीं|