उत्तराखंड

नेपाल की गोद में बसा है भारत का गांव थपलियाल खेड़ा

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राजेंद्र भंडारी, टनकपुर

भारत का एक गांव नेपाल की गोद मे बैठा है थपलियाल खेड़ा आपको बताते चले कि टनकपुर बेराज के उस पार नेपाल से लगा गांव है जो कि तीन ओर पूरब,उत्तर,दक्षिण नेपाल की सीमा के बीच मे है मात्र पछिम सिमा ही भारत की ओर है.

52 परिवारों के इस गांव में 126 मतदाता है और लगभग 260 की कुल आबादी है इस गांव में जीवन यापन करना किसी काला पानी से कम नही है कारण आजादी के 1947 के बाद आज इकहत्तर साल बाद भी गांव में कोई मूलभूत सुविधाएं मुहैया नही है.

ना ही गांव में बिजली है ना ही पीने के पानी की कोई सुविधा है नही सस्ते गल्ले की दुकान ओर कोई स्वास्थ्य केंद्र है और न ही कोई माध्यमिक विद्यालय यहा के नागरिक आदिवासी जैसा जीवन जीने को मजबुर है एक प्राथमिक विद्यालय है भी तो टिन सेड में संचालित होता है जिससे छात्रों का गर्मियों में दम घुटता है और तो ओर भारतीय नागरिक होने के बावजूद इन पर अपनी कोई पहचान नही थी.

एक सामाजिक संस्था मुक्ति निवेश के प्रयास ओर जिलाधिकारी चम्पावत की बदौलत इनको पहचान मिली संस्था के उपाध्यक्ष adv एल डी गहतोड़ी ने बताया कि संस्था की पहल से ही 1998 में नागरिकों को मताधिकार का अधिकार मिला और पहली बार इन्होने तेरवी लोकसभा के लिये वोट दिया बरसात में गाँव का संपर्क भारत की ओर बहने वाले नाले के कारण टूट जाता है छोटी मोटी रोजमर्रा की चीजों के लिये यह नेपाल के ब्रमदेव बाजार पर निभर्र रहते है साथ ही तीनो ओर से नेपाल होने के कारण यह नेपाली ,हिंदी ओर कुमावनी बोलते है टीन शेड में चलने वाले प्राथमिक विद्यालय में छात्र संख्या 15 है जिसमे सात छात्र ओर आठ बालिकायें है पर सबसे ज्यादा परेशानी उन बीस छात्रों को हे जो पांच पास हो चुके है और अब टनकपुर आते है 8 किमी दूर पर पक्के रास्ते गांव में न होने से कीचड़ में हाथ मे चप्पलें पकड़ कर आते है लगभग चारसौ बीघा में फैले इस गांव के लोगो की आजीविका का साधन खेती और दुग्ध उत्पादन है गांव के सामाजिक कार्यकर्ता मोहन बोहरा बताते है कि वर्ष 2005 के आसपास बीएडीपी से सामाजिक कार्यो के लिए अठाईस लाख मंजूर हुए थे पर वन विभाग के अड़ंगे से वह ख़र्च नही हो पाए कुयक़ी यह सारदा रेंज के एक टापू है पर लोग इस गांव में पचास साल से रहते आये है तथा यह ग्राम पंचायत सैलानी गोट के निवासी है जो कि यहाँ से 7 किमी दूर है जनप्रतिनिधियों की इस ओर ध्यान न देने से यह ना ही रेगुलर हो पाया न ही इसमें कोई मूलभूत सुविधाएं आ पाई.

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