पंजाब

…जब इमरजेंसी में जालंधर आए थे अटल जी तो मुझे दिया था ₹500 का इनाम

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वरिष्ठ पत्रकार शिव जैमिनी की कलम से 
बात उन दिनों की है जब देश भर में इमरजेंसी लगी हुई थी| केंद्र पर इंदिरा गांधी की सरकार थी और देश में दहशत का माहौल| लोग घरों से भी निकलने से कतराते थे और अटल बिहारी वाजपेई देशभर में घूम-घूमकर इंदिरा गांधी की सरकार की मुखालफत कर रहे थे| इसी कड़ी में वह जालंधर आए हुए थे| मैं उन दिनों पंजाब केसरी में फोटोग्राफर था। सौभाग्य से अटल जी की कवरेज का मौका मुझे मिला और मैंने भी उनकी कई तस्वीरें खींचीं| उनमें से एक तस्वीर काफी उम्दा थी| पंजाब केसरी ने उसे फ्रंट पेज पर प्रमुखता से प्रकाशित किया| तस्वीर वाकई बेहतर थी इसका अंदाजा मुझे उस वक्त लगा जब मुझे जालंधर के जाने-माने नेता ढिल्लो साहब ने अपने कार्यालय में बुलाया| मैं जैसे ही कार्यालय पहुंचा तो देखा कि अटल जी के हाथों में पंजाब केसरी अखबार था| उनकी नजरें पहले पेज पर प्रकाशित उसी तस्वीर पर टिकी थीं जो मैंने खींची थी। अटल जी को वह तस्वीर बहुत पसंद आई| जब उन्हें पता चला कि यह तस्वीर मैंने खींची है तो उन्होंने अपनी जेब से ₹500 निकाले और मुझे देते हुए कहा- बेटा यह तुम्हारी तस्वीर का इनाम है|

ढिल्लो साहब आगे चलकर जनता पार्टी से सांसद बने| अटल जी के साथ यह मेरी पहली मुलाकात थी| बहुत ही सादगी भरा व्यक्तित्व था उनका| भाषा में भी उतनी ही मधुरता थी| पंजाब केसरी उनका अक्सर आना जाना लगा रहता था| इस मुलाकात के बाद कई बार मुझे अटल जी से मिलने का मौका मिला| कई बार उनके कार्यक्रमों की कवरेज भी की| हालांकि यह मुलाक़ातें सिर्फ चंद मिनटों की ही हुआ करती थीं मगर मेरे लिए यह सौभाग्य की बात थी| मैं फोटोग्राफी में अपना वजूद स्थापित करने के लिए संघर्ष कर रहा था| ऐसे में अटल जी की हौसला अफजाई ने मेरा हौसला बहुत बढ़ा दिया था| एक समय ऐसा आया जब मुझे पूरा एक दिन अटल जी के साथ रहने का मौका मिला|
बात वर्ष 1994 की है| अटल जी का चामुंडा देवी मंदिर का दौरा तय हुआ था| पंजाब केसरी की ओर से मुझे विशेष तौर पर उन्हें कवर करने के लिए भेजा गया| यह पहला मौका था जब अटल जी के साथ मुझे पूरा दिन बिताने का समय मिला| इस दौरान ज्यादातर बातें भारतीय राजनीति की दशा और दिशा को लेकर ही होती रहीं| अटलजी भारतीय राजनीति में बदलाव चाहते थे लेकिन यह बदलाव सकारात्मक बदलाव था| वह बहुत ही आस्थावान व्यक्ति थे और भगवान में बहुत विश्वास करते थे| चामुंडा देवी के दौरे के दौरान वह कई लोगों से मिले| उनसे मिलने वालों की भीड़ लगी हुई थी और पुलिस वाले उन्हें रोकने में लगे थे| अटल जी को जब इसका पता चला तो उन्होंने पुलिस वालों से कहा कि किसी भी व्यक्ति को उनसे मिलने से ना रोका जाए| वह लोगों से मिलते भी जाते थे और मुझसे बीच-बीच में बातें भी करते रहते थे| उनके सादगी भरे व्यक्तित्व को देखकर मैं बहुत प्रभावित था| आजकल के राजनेताओं से एकदम उलट अटल जी बहुत ही शांत स्वभाव और सरल व्यक्तित्व के धनी थे। कोई लााालपेट नहीं बस बेबाक बात.


इसके बाद वह देश के प्रधानमंत्री बने| इसके बावजूद उनके व्यक्तित्व में कोई बदलाव नहीं आया| बेहद सहज और सरल स्वभाव के अटल बिहारी वाजपेई जैसे व्यक्तित्व दुनिया में विरले ही होते हैं| उनकी कमी युगों-युगों तक हिंदुस्तान को खलेगी| इस अपूर्णीय क्षति को कभी पूरा नहीं किया जा सकेगा| आज उनके निधन पर ऐसा लग रहा है जैसे वह शब्द अब खामोश हो गए हैं। काश! एक बार फिर अटल जी आते और मेरा हौसला बढ़ाते…आज भले ही वह जहां से रूखसत हो गये हों मगर दिलों में हमेशा ज़िंदा रहेंगे.

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