नीरज सिसौदिया, जालंधर
शहर के एक कांग्रेस पार्षद के प्रयास से स्वच्छ भारत मिशन के तहत नगर निगम को मिले 17 करोड़ रुपए बचा लिए गए हैं| कंगाली का रोना रो रहे नगर निगम के मेयर और अन्य अधिकारियों का इस तरफ कोई ध्यान नहीं था| वार्ड नंबर 78 के पार्षद जगदीश समराय ने इस मुद्दे को निगम हाउस की बैठक में जोर-शोर से उठाया तो मामला सबके संज्ञान में आया| अगर समय रहते यह मुद्दा नहीं उठाया गया होता तो यह 17 करोड़ रुपए की राशि लेप्स हो जाती और जालंधर को स्वच्छ बनाने का सपना धरा का धरा रह जाता|
पार्षद जगदीश समराय ने बताया कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत आई हुई नगर निगम जालंधर को 20 करोड़ की ग्रांट में 17 करोड़ रुपये बचा हुआ था. 23 जुलाई को हाउस की मीटिंग में जोर-शोर से इस ग्रांट के बारे में उन्होंने आवाज जोर शोर से उठाई थी जिसका परिणाम है कि आज यह ग्रांट लैप्स होने से बच गई है और इसको कूड़े की समस्या से निपटने के लिए जालंधर शहर के लिए इस्तेमाल किया जाएगा. उन्होंने कहा कि मुझे इस बात की खुशी हो रही है कि मैंने इस ग्रांट के मुद्दे को हाउस की मीटिंग में बखूबी उठाया और जालंधर शहर का 17 करोड़ रुपये बचाने में थोड़ा-बहुत अपना योगदान पाया.
अब सवाल यह उठता है कि एक तरफ तो शहर में कूड़े की समस्या दिन ब दिन बढ़ती जा रही है और दूसरी तरफ करोड़ों की ग्रांट लैप्स होने तक की नौबत आ गई है. इससे साफ जाहिर होता है कि मेयर जगदीश राजा के पास कोई विकास का विजन नहीं है और अधिकारी उन्हें जैसे चाहें वैसे गुमराह करने में लगे हुए हैं.