नीरज सिसौदिया, जालंधर
नगर निगम का बोझ मेयर जगदीश राजा सही तरीके से नहीं उठा पा रहे| यही वजह है कि वह ऊल जलूल फैसले लेते जा रहे हैं। न ही वह नगर निगम की कंगाली दूर कर पा रहे हैं और न ही विकास की गाड़ी आगे बढ़ा पा रहे हैं| अब विकास के लिए दबाव बढ़ा तो राजा ने एनजीटी की गाइडलाइंस को ही ताक पर रख दिया है| हालांकि, अभी तक एनजीटी की गाइडलाइंस की धज्जियां नहीं उड़ाई गई है लेकिन सोमवार को होने वाली एफएंडसीसी की बैठक में इसकी पूरी तैयारी की गई है|
दरअसल, जालंधर जिला गिरते भूजल स्तर के चलते डार्क जोन घोषित किया जा चुका है| यहां पानी का स्तर बहुत ही नीचे पहुंच गया है| भूजल में लगातार गिरावट हो रही है| दिन-ब-दिन स्थिति विकराल होती जा रही है| इस गंभीर स्थिति को देखते हुए ही कुछ समय पहले नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने यह आदेश जारी किए थे कि कहीं पर भी बोरिंग न की जाए और न ही ट्यूबवेल लगाए जाएं| एनजीटी की गाइडलाइंस को दरकिनार कर मेयर जगदीश राज राजा ने एफएंडसीसी की बैठक में नए ट्यूबवेल के प्रस्ताव डाल दिए हैं| जालंधर का भूजल स्तर पहले से ही गर्त में जा चुका है| वर्तमान में हालात यह हैं कि लगभग 130 से 135 फीट नीचे भूजल स्तर गिर चुका है| ऐसे में जालंधर जिला पहले ही डार्क जोन घोषित किया जा चुका है| अब एफएंडसीसी इस स्तर को डार्क जोन से भी और नीचे ले जाने की तैयारी कर रही है|
बता दें कि एफएंडसीसी की मीटिंग के लिए जो एजेंडा जारी किया गया है उसमें मता नंबर 144 से मता नंबर 149 तक ट्यूबवेल के लिए रखे गए हैं|
अब अगर यह ट्यूबवेल लगाए जाते हैं तो जालंधर के भू जल का स्तर कितने गर्त में चला जाएगा इसका अंदाजा खुद-ब-खुद लगाया जा सकता है| भविष्य में हालात बेकाबूू हो जाएंगे. एक इलाके के लोगों का जल संकट दूर करने के चक्कर में पूरे शहर में जल संकट की स्थिति गंभीर करने की तैयारी एफएंडसीसी की बैठक में की जाने वाली है| मेयर और कमिश्नर के पास इन लोगों का जल संकट दूर करने की कोई वैकल्पिक व्यवस्था तो नहीं है लेकिन कुछ लोगों के चक्कर में पूरे शहर में पानी के लिए हाहाकार मचाया जाना कितना सही है इस पर मंथन करने की जरूरत है|
अगर ट्यूबवेल ही लगाकर जल संकट दूर किया जाना था तो पूर्व मेयर सुनील ज्योति भी यह काम कर सकते थे लेकिन उन्होंने अपनी दूरदर्शिता का परिचय देते हुए व्यास दरिया से पानी लाने का प्रोजेक्ट निगम हाउस की अंतिम बैठक में पास करवाया था| विपक्ष में रहते हुए जगदीश राजा निगम की दशा सुधारने के कई विकल्प सुझाते रहते थे लेकिन सत्ता में आते ही उनके सारे विकल्प हवा हो गए| अब वह न सिर्फ एनजीटी के निर्देशों की धज्जियां उड़ा रहे हैं बल्कि पूरे शहर को जलसंकट देने की तैयारी भी कर रहे हैं| 2000 करोड़ रुपए का व्यास दरिया से पानी लाए जाने का प्रोजेक्ट भी अधर में लटका हुआ है| इस प्रोजेक्ट के लिए अफसरों को बांग्लादेश के दौरे तो कराए जा रहे हैं लेकिन कारगर योजना अब तक तैयार नहीं की जा सकी है| जब पानी जैसे अहम मुद्दे पर 6 महीने में जगदीश राजा कोई ठोस योजना नहीं बना पाए हैं तो आने वाले दिनों में अन्य योजनाओं पर कितनी तत्परता से काम होगा इसका अंदाजा खुद-ब-खुद लगाया जा सकता है| फिलहाल, एफएंडसीसी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का मजाक बनाने जा रही है| इस संबंध में जब जगदीश राजा से बात करने का प्रयास किया गया तो उनका मोबाइल नॉट रिचेबल बताने लगा| इस संबंध में जब सीनियर डिप्टी मेयर सुरिंदर कौर से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मैं अभी बाहर हूं और मैंने अभी तक एजेंडा नहीं देखा है, एजेंडा देखने के बाद ही मैं इस मसले पर कुछ बात कर सकती हूं| इसके बाद जब डिप्टी मेयर हर सिमरनजीत सिंह बंटी से इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने कहा कि मामला गंभीर है और एफएंडसीसी की बैठक में इस पर चर्चा की जाएगी|