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जालंधर ब्लास्ट : चुनाव से पहले पंजाब को दहलाने की साजिश का जिम्मेदार कौन?

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नीरज सिसौदिया, जालंधर
शुक्रवार को जालंधर के मकसूदां थाने में हुए बम धमाकों ने पूरे पंजाब को हिलाकर रख दिया है। खासकर उस वक्त जब डीजीपी जालंधर मेें थे, सूबे में पंचायत चुनाव चल रहे हैं और लोकसभा चुनाव अगले साल देशभर में होने जा रहे हैं| ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या मकसूदां थाने में किया गया यह हमला वाकई आतंकी साजिश है या फिर कुछ और| यह हमला उस वक्त हुआ है जब पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की गिरफ्तारी की मांग जोर पकड़ रही है| यह हमला उस वक्त हुआ है जब एसजीपीसी के पूर्व प्रधान ने आला नेता के खिलाफ कई चौंकाने वाले आरोप लगाये हैं. मामला कौम से जुड़ा हुआ है। ऐसे में संभव है कि कुछ लोग बम विस्फोट के जरिये मौके का फायदा उठाकर पंजाब का माहौल खराब करने की कोशिश में हों. पुुुलिस को इस एंगल सेेभी जांंच करनी चाहिए. अब सवाल यह उठता है कि क्या एक बार फिर पंजाब में आतंकवाद की वापसी हो रही है? सबसे बड़ा तमाचा पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों के मुंह पर मारा गया है|

दरअसल, बात बम धमाकों की नहीं बल्कि पुलिस थाने पर हुए बम धमाकों की है| जालंधर की पुलिस इतनी लाचार तो पहले कभी नहीं थी कि कोई पुलिस थाने पर ही हमला कर जाए और पूरी तरह से बच निकले| जब हमारे थाने ही सुरक्षित नहीं तो फिर आम जनता का क्या होगा? कहीं एक बार फिर जालंधर में हिंदू और सिख का बीज तो नहीं बोया जा रहा| हमले की जिम्मेदारी भिंडरांवाला टाइगर फोर्स फॉर खालिस्तान ने एक ईमेल के जरिए ली है लेकिन यह किसी की शरारत भी हो सकती है| थाने पर हुआ यह हमला जालंधर की सोती हुई पुलिस को जगाने के लिए काफी है जो सिर्फ वाहन चालकों के चालान काटने में मशरूफ रहती है| अगर थाने पर हमला हो सकता है तो फिर सेना के आर्डिनेंस डिपो पर भी खतरे के बादल मंडराते साफ नजर आ रहे हैं| आतंकी अगर थाने को निशाना बना सकते हैं तो वह आर्डिनेंस डिपो को भी अपना टारगेट बना सकते हैं| इस हमले के पीछे कहीं ना कहीं जालंधर की सोती हुई पुलिस भी जिम्मेवार है|
मकसूदां इलाके में नियमों को ताक पर रखकर धड़ल्ले से अवैध निर्माण किए गए लेकिन उन अवैध निर्माणों को रोकने का प्रयास ना तो नगर निगम ने किया और ना ही जिला प्रशासन ने| नतीजा यह हुआ कि इन अवैध बिल्डिंगों में अवैध PG खोल दिए गए और वहां रहने वालों का हिसाब-किताब ना तो पुलिस के पास है और ना ही सरकार के पास| मीडिया ने कई बार इस संबंध में नगर निगम के भ्रष्ट अधिकारियों और जिला प्रशासन को जगाने का भी प्रयास किया था लेकिन न ही निगम के अधिकारी जागे और न ही जिला प्रशासन| नतीजा यह हुआ कि मंडी में जो भी आता वह आसपास के इलाके में अपनी ठौर बना लेता। इलाके में गरमपंथियों की चहल-कदमी की खबरें पहले भी मीडिया में आती रही हैं। इसके बावजूद पुलिस ने कभी भी इस संबंध में गंभीरता नहीं दिखाई| यहां किराए पर रहने वालों का कोई लेखा-जोखा पुलिस के पास नहीं है| सेना की ओर से आर्डिनेंस डिपो के आसपास प्रतिबंधित क्षेत्र में किए गए अवैध निर्माणों की कई बार प्रशासन और पुलिस से शिकायत भी की गई लेकिन न तो जिला प्रशासन के कानों में जूं रेंगी और न ही पुलिस ने कोई कार्रवाई करना मुनासिब समझा| नतीजा आज बम धमाकों के रूप में सबके सामने है| जिला प्रशासन और पुलिस द्वारा यह जानने की कभी कोशिश नहीं की गई कि इन अवैध कॉलोनियों में लगने वाला धन आखिर कहां से आ रहा है और किन लोगों का है ? आर्डिनेंस डिपो के आसपास रहने वाले कई गर्म ख्याली आतंकियों की पुण्यतिथि पर आयोजित होने वाले समारोहों का भी हिस्सा बनते रहे हैं| इसके बावजूद पुलिस ने कभी गंभीरता नहीं दिखाई| मकसूदां मंडी में कश्मीर से आने वाले सामानों के ट्रकों में फलों के अलावा और क्या आ रहा है इस पर कभी पुलिस ने जांच का प्रयास नहीं किया| बहरहाल, थाने पर हुए इस बम धमाके ने जालंधर की सुरक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं| आगामी लोकसभा चुनाव से पहले जालंधर में हुए इस हमले ने साफ संकेत दे दिए हैं कि निकट भविष्य में भी वह जालंधर को फिर से दहला सकते हैं| पुलिस की जांच चल रही है और जांच की जिम्मेदारी उच्च एजेंसियों को भी सौंपी गई है|

गनीमत रही कि इस हमले में कोई बहुत बड़ी क्षति नहीं हुई| अगर अब भी पुलिस नहीं जागी तो आने वाले समय में पंजाब को आतंक की आग में जलने से कोई नहीं बचा पाएगा| सुरक्षा व्यवस्था कड़ी करने के साथ ही पुलिस को उन गरम ख्यालियों पर भी पैनी निगाह रखनी होगी जो धार्मिक मामलों को अपने फायदे के लिए तूल देने में लगे रहते हैं| धर्म के नाम पर पंजाब ने बहुत कुछ खोया है इसलिए जरूरी है कि पुलिस के साथ ही आम जनता भी धार्मिक भेदभाव को भुलाकर किसी के झांसे में ना आए| इतिहास गवाह है कि कौम के नाम पर आम जनता के हिस्से सिर्फ कुर्बानियां ही आई हैं| सियासतदानों ने हमेशा अपनी रोटियां पकाई हैं| इसलिए जरूरत है सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने की|

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