दीपक शर्मा, लोहाघाट
चम्पावत (भींगराडॉ)लाधियाघाटी छेत्र में मां नवरात्रों के पावन पर्व पर हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी श्री ऐड़ी रामलीला कमेटी भिंगराड़ा द्वारा भगवान श्री राम की दस दिवसीय लीला का आयोजन प्रारम्भ दिनांक 15अक्टूबर को हो गया है। जिसमें इस बार लीला का शुभारंभ आध्यात्मिक नर स्वामी प्रेम सुगंध द्वारा किया गया।
स्वामी श्री प्रेम सुगंध जी ने इस लीला के शुभारंभ के दौरान चेतना के आयोजन और आध्यात्मिक विज्ञान की ब्याख्या करी जिसमें उन्होंने बताया कि किस प्रकार इस ब्रह्मांड में श्री विष्णु अवतरित होते हैं और ब्रह्मांड की रचना को चलाते है उन्होंने बताया कि ना होने से कैसे होने का आयोजन होता हैं। और भगवान श्री हरि कैसे इसे चलाते हैं उन्होंने बताया कि हरी जब निराकार से प्रथम बार आकार में आये तो वह श्री हरी का प्रथम अवतार मत्स्य अवतार कहलाया जिसने जँ में अपने आयोजन को चलाया फिर इसके आगे जब चेतना का विस्तार हुआ तो द्वितीय अवतार श्री हरी ने क्रूमा (कछुआ) अवतार मैं लियाजिसमें उन्होंने जल व थल दोनों मैं रचना को चलाया इसी प्रकार तीसरी बार अवतरित हुए तो वह अवतार वराह अवतार कहलाया जो कि थल के प्राणी के रूप मे हुआ.
जिसने इस पृथ्वी पर मौजूद कई विजातीय शक्तियों का संहार कर इस धरा पर अन्य प्राणियों के जीवन निर्वाह के लिए एक सुदृढ़ दिशा तैयार की तत्पश्चात भगवान श्री हरी चौथे अवतार मैं धरती पर अवतरित हुए जिसमें उनकी चेतना और अधिक ब्यापक होने लगी और वे आधे पशु व आधे नर के शरीर में इस धरा पर अवतरित हुए इस रूप में उन्होंने हिरण्याकश्यप का संहार कर नर व प्राणी दोनों को अभय मैं जीवन जीने की दिशा प्रदान की तत्पश्चात फिर त्रेतायुग में पहली बार पूर्ण नर अवतार में धरा पर अवतरित हुए जो कि बामनावतार कहलाया इस अवतार मैं उन्होंने देवताओं और मनुष्य के बीच परस्पर मिलन की एक सेतु निर्मित किया और इन्द्र की रक्षा हेतु प्रहलाद के पौत्र व विरोचना के पुत्र राजा महाबली को अपना विराट रूप दिखाकर मुक्त भी करा। छटे अवतार मैं योगमाया प्रिय भगवान श्री नारायण अपनी पूर्ण भावभंगिमा मैं अपनी पूर्ण ऊर्जा सहित भगवान श्री परशुराम के रूप मैं अवतरित हुए। और तत्पश्चात श्री हरी अपने सातवें अवतार में वे राजा दशरथ की सन्तान के रूप में श्री राम के आकार में त्रेतायुग मे ही फिर अवतरित हुए जिसमें उन्होंने समाज में एक सुव्यवस्था मर्यादा पूर्ण दिशा का आयोजन दिया तत्पश्चात द्वापरयुग मे फिर भगवान श्री विष्णु कृष्ण के रूप में इस धरा पर सोलह कला सम्पूर्ण आयोजन के साथ अवतरित हुए तत्पश्चात फिर श्री हरी कलियुग में एक बार फिर आदि बुद्धा के रूप में अवतरित हुए और अब इसी कलियुग के दौर मैं अपना एक और अवतार जिसका पूरा ब्रह्माण्ड प्रतीक्षा कर रहा है। और जो उनका दशावतार होना है जिसको कल्की अवतार के रूप में जाना जाना है।
श्री हरि के इन सभी अवतारों पर स्वामी श्री प्रेम सुगंध जी ने सविस्तार ब्याख्या करी और उन्होंने भिंगराड़ा रामलीला में उपस्थित सभी आयोजकों को बधाई व धन्यवाद इस लीला को करने के लिए दिया।
इस अवसर पर कमेटी के लीला निर्देशक महेश भट्ट ,पंकज लाल,महिमन प्रसाद, पानदेव जोशी, रमेश चंद्र, देवी दत्त, केशव दत्त, नित्यानंद भट्ट, चन्द्र शेखर तिवारी आदि के साथ साथ स्वामी जी के साथ आये स्वामी जगन्नाथ, स्वामी पार्थ, दीपक चन्द्र, सतीश गहतोड़ी, अयर सिंह, शेखर, सुभाष, दीपक शर्मा आदि ने देर रात तक लीला का आनन्द लिया।