राजस्थान

गुलाबी नोट से ज्यादा, गुलाबी गाल कर दूंगी : गौरी मिश्रा

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राठ। सालों से प्रसिद्ध श्री रामलीला मेला का अखिल भारतीय कवि सम्मेलन रविवार की रात भारी श्रोताओं की उपस्थिति के बीच सम्पन्न किया गया। इस दौरान मुख्य अतिथि नगर पालिका अ/यक्ष श्रीनिवास बुधौलिया ने दीप प्रज्जवलित कर कवि सम्मेलन का शुभारम्भ किया। कवि सम्मेलन में दूर दूर से आये हुए कवियों ने अपनी रचनाओं के मा/यम से सामाजिक, राजनैतिक आदि विकृतियों पर प्रहार किया तो भवुकता के सागर में श्रोताओं को गोते लगवा दिये। हंसी के ठहाके लगाते हुए दर्शकों ने अपने पेट दबाये तो देश भक्ति के जज्बे का अहसास भी लोगों के तने सीने में दिखाई दिया। बीच-बीच में कवियों के चुटकुलों ने भी लोगों को गुदगुदाया।

टीकमगढ से पधारे हास्य कवि बुंदेली राजेन्द्र विदुआ ने बुंदेली भाषा में बुंदेलखण्ड की गौरव गाथा सुनाते हुये कहा कि ’’ बुंदेलखण्ड की गौरव गाथा कैसे जाये बखानी, अंग्रेजों पर भारी पर गओ बुंदेली को पानी’’ ’’बुंदेली धरती पर आल्हा ऊदल हो गये, जिनने अपने बस में कर लई मेहेर बाई भुमानी’’ के साथ ही पत्नि को लेकर हास्य व्यंग्य की प्रस्तुती कर लोगों को हंसाया। जतारा से पधारे अनिल तेजस ने वीर रस की कविता सुनाते हुये देश भक्ति का जोश भरते हुए कहा कि ’’ आजादी मिली नहीं बस मुंडे वेनर नारों से, हमने आजादी पायी है, खूं के बहते धारों से’’ भारत हुआ आजाद अगर तो बस उनकी कुर्वानी से, भारत का सिर ऊंचा उनकी श्रोणित भरी जवानी से’’ इस कविता को सुन श्रोताओं के रोम रोम खडे हो गये और नवयुवक भारत माता जय के नारे लगाने पर मजबूर हो गये। रतलाम से आये धमचक मुल्तानी ने हास्य व्यंग्य की कवितायें से सब श्रोताओं को लोट पोट कर दिया। इसके बाद नैनीताल से आयीं गौरी मिश्रा ने श्रंगार की कवितायें में ’’गुलाबी नोट से ज्यादा गुलाबी गाल कर दूंगी’’ और ’’घुटन को छोडकर तुम्हारे गांव आयी है, मोहब्बत दूर से चलकर नंगे पैर आयी है’’ यह कविता सुनाकर मंत्रमुग्ध कर दिया। सुजलपुर से आये गौविन्द्र राठी ने व्यंग्यकार कवितायें प्रस्तुत कर बर्तमान में बच्चों के फिल्मी डाईलोग पर जबाब देते हुये हास्य व्यंग्य कविता सुनाते हुये श्रोताओं को हंसाया। सहारनपुर से आये राजेन्द्र राजन गीतकार ने अपने गीत ’’प्यार छुपा है गीत में ज्यों मंेहदी में रंग’’ नामक गीत सुनाकर श्रोताओं को प्रेमरस में डुबा दिया। दिल्ली से आये पदमश्री डा. सुनील जोगी ने माॅ व बेटी के ऊपर गीत व कविता सुनाते हुये कहा कि ’’ मेंहदी कुमकुम रौली का त्यौहार नहीं होता, रक्षाबंधन के चंदन का प्यार नहीं होता, उनका आंगन हर दम सूना सूना रहता है, जिनके घर में बेटी का अवतार नहीं होता’’ की कविता सुनकर श्रोताओं की आंख ेनम हो गयीं। डा. जमील राठवीं के संयोजन में आयोजित इस कवि सम्मेलन की अ/यक्षता पूर्व प्रवक्ता ब्रह्मानन्द इंटर कालेज अरूण तिवारी ने तथा संचालन गौविन्द्र राठी ने किया। इस अवसर पर कन्हैयालाल खेवरिया, बीरनारायण बुधौलिया, ब्रम्हविचार मंच के अ/यक्ष राकेश मिश्रा, नीलू महाराज, ब्रजभूषण सोनी दाऊ, श्रीनिवास बुधौलिया, गायत्री शक्ति पीठ के मुख्य ट्रस्टी चन्द्रशेखर मिश्रा, पूर्व प्रवक्ता गुलाब सिंह सेंगर, भारत स्वाभिमान ट्रस्ट के शिवप्रकाश गुप्ता दाऊ, नगर विकास मंच के डा. हरिओम नगायच, कैलाश अग्रवाल, आनन्द तिवारी, सुरेश खेवरिया, धर्मवीर सुरौठिया, सुनील त्रिपाठी, भगवती शरण मिश्रा, लक्ष्मणलाल त्रिपाठी आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे। सारी रात दर्शक मंत्रमुग्ध होकर कवियों को सुनते रहे और श्रोताओं की खासी मौजूदगी कार्यक्रम के दौरान बराबर बनी रही।

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