नीरज सिसौदिया, नई दिल्ली
देश के लाखों बेरोज़गार युवाओं के भविष्य से संबंधित बहुचर्चित एसएससी मामले में उच्चत्तम न्यायालय ने सरकार को अंतिम मौका दिया है। अदालत ने चार सप्ताह के अंदर सरकार को जाँच की फाईनल रिपोर्ट जमा करने को कहा है। साथ ही, छात्रों की तरफ़ से जानेमाने अधिवक्ता और स्वराज अभियान अध्यक्ष प्रशांत भूषण ने मांग किया कि सीबीआई इस मामले की केस डायरी भी दिखाए क्यूंकि रिपोर्ट तो सरकार के दबाव में भी तैयार करके जमा की जा सकती है। अदालत ने यह मानते हुए सरकार को निर्देश दिया कि चार सप्ताह के अंदर सीबीआई जाँच की फाईनल रिपोर्ट और केस डायरी जमा करे।
युवा-हल्लाबोल आंदोलन का नेतृत्व कर रहे अनुपम ने बताया कि आज की सुनवाई से अब यह स्पष्ट हो गया कि सरकार बेरोज़गार युवाओं के भविष्य के साथ गंदा मज़ाक कर रही है। मामले को जानबूझकर बार बार टाला जा रहा है। छात्रों को उम्मीद थी कि आज की तारीख़ निर्णायक होगी लेकिन हर बार की तरह इस बार भी सुनवाई शुरू होते ही सरकारी वकील तुषार मेहता ने अदालत से चार सप्ताह का समय मांग लिया। अत्यंत दुःख की बात है कि छात्र परेशान हो रहे हैं और हमारी सरकार भ्रष्टाचारियों को बचाने में लगी है!
सरकार को चार सप्ताह का और समय देकर फाइनल स्टेटस रिपोर्ट मंगवाने पर जब अदालत ने राय मांगी तो प्रशांत भूषण ने कहा कि स्टेटस रिपोर्ट तो टॉप के दबाव में बनाती है सीबीआई.. इसलिए हम केस डायरी देखना चाहते हैं! इतना सुनते ही सरकारी वक़ील बौखला गए और केस डायरी से बचने के तर्क देने लगे।
सरकारी वक़ील ने इसपर जब कहा कि आपको सीबीआई में बारे में क्या पता तो प्रशांत भूषण ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “मुझे सीबीआई के बारे में काफी कुछ पता है!” सुनकर जज भी मुस्कुराने लगे।
अनुपम ने कहा कि यह स्थापित हो चुका है कि मोदी सरकार युवा-विरोधी है क्यूंकि न ही परीक्षा ढंग से करवा पाई और न ही जाँच। एक तरफ़ जहाँ भ्रष्टाचारियों को बचाया जा रहा है वहीं मेहनतकश और ईमानदार छात्रों को नौकरी के नाम पर छला जा रहा है। सरकारी नौकरियों में भर्ती परीक्षा प्रणाली को सुधारने के लिए युवा-हल्लाबोल प्रतिबद्ध है और देश के युवाओं के बेहतर भविष्य के लिए आंदोलन को और तेज़ करेगा।