उत्तराखंड

47 विद्यार्थियों को मौत के मुंह में धकेलने में लगा है एनआईओएस, आचार संहिता लागू होते ही बेलगाम हुए अधिकारी

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नीरज सिसौदिया, टनकपुर
शिक्षा व्यवस्था में सुधार के नाम पर एनआईओएस 47 विद्यार्थियों को मौत के मुंह में धकेलने में जुटा हुआ है| पहले तो विद्यार्थियों को परेशान करने के लिए ऐसी जगह स्टडी सेंटर बना दिया गया कि विद्यार्थी जान हथेली पर रखकर मौत के रास्तों पर सफर करने पर मजबूर हो जाएं। जनप्रतिनिधियों के विरोध के बाद स्टडी सेंटर बदलने पर मजबूर हुआ एनआईओएस अब परीक्षा सेंटर के नाम पर बदला लेने में जुटा हुआ है| क्योंकि एनआईओएस के अफसर यह जानते हैं कि आचार संहिता लागू हो चुकी है इसलिए अब कोई भी जनप्रतिनिधि उन पर दबाव नहीं बना सकता इसलिए वह विद्यार्थियों की जिंदगी को मौत के मुंह में धकेलने में लगे हुए हैं| मामला टनकपुर निवासी ब्रिज कोर्स के विद्यार्थियों का है|
बता दें कि सरकार की ओर से विद्यार्थियों की सहूलियत के लिए उन्हें ब्रिज कोर्स का विकल्प दिया गया था| ऐसे में टनकपुर के लगभग 47 विद्यार्थियों ने भी ब्रिज कोर्स के एप्लीकेशन फॉर्म भरे लेकिन सरकार द्वारा दी गई यह सहूलियत विद्यार्थियों के लिए मुसीबत बन गई| एनआईओएस के अधिकारियों की अदूरदर्शिता और लापरवाही के चलते पहले तो इन विद्यार्थियों के स्टडी सेंटर टनकपुर से दूर जिला मुख्यालय चंपावत में बना दिए गए| यह जानते हुए भी कि टनकपुर से चंपावत तक चल रहे ऑल वेदर रोड के निर्माण कार्य के चलते वहां अक्सर बड़े-बड़े बोल्डर वाहनों पर गिरते रहते हैं और कई लोग इनके चलते मौत के घाट भी उतर चुके हैं, एनआईओएस ने विद्यार्थियों को परेशान करने के लिए उनका स्टडी सेंटर चंपावत बना दिया था। इसके बाद विद्यार्थियों ने विरोध जताया और उन्होंने स्थानीय विधायक कैलाश गहतोड़ी से मदद की गुहार लगाई| विधायक ने हस्तक्षेप किया तो एनआईओएस के अधिकारी उल्टे पांव खड़े हो गए और उन्होंने इन विद्यार्थियों का अध्ययन केंद्र टनकपुर कर दिया| मामला जब परीक्षा तक आया तो एक बार फिर एनआईओएस के अधिकारियों ने टनकपुर के मासूम विद्यार्थियों को परेशान करना शुरू कर दिया| पहले तो एनआईओएस के लापरवाह अधिकारियों ने उन विद्यार्थियों का परीक्षा केंद्र भी चंपावत कर दिया जिनका अध्ययन केंद्र टनकपुर था|  एनआईओएस की इस कार्यशैली से यह स्पष्ट होता है कि लापरवाह अधिकारियों ने जमीनी स्तर पर विद्यार्थियों की सहूलियत के लिए कोई अध्ययन नहीं किया और ना ही कोई कार्य किया. सिर्फ बंद एसी कमरों में बैठकर अपने मन मुताबिक ऐसा काम किया जिससे विद्यार्थी परेशान हो गए| इस पर जब विद्यार्थियों ने सामूहिक रूप से परीक्षा केंद्र बदलने की मांग करते हुए विरोध जताया तो एनआईओएस ने यहां भेदभाव पूर्ण रवैया अपनाया| एनआईओएस के लापरवाह अधिकारियों ने उन विद्यार्थियों का परीक्षा केंद्र तो टनकपुर में ही बना दिया जिनका अध्ययन केंद्र टनकपुर में ही था लेकिन टनकपुर निवासी उन विद्यार्थियों का परीक्षा केंद्र टनकपुर में नहीं बनाया जिनका अध्ययन केंद्र पहले चंपावत दिया गया था और बाद में उन्हें अध्ययन की व्यवस्था टनकपुर जीआईसी में ही उपलब्ध करा दी गई थी|

इस संबंध में जब एनआईओएस के अधिकारी हीरा सिंह नेगी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि अब किसी का भी अध्ययन केंद्र बदला नहीं जा सकता है क्योंकि सेंटरों पर पेपर पहुंच चुके हैं और सीक्रेसी प्रभावित होगी| जब उनसे पूछा गया कि आधे लोगों का अध्ययन केंद्र क्यों बदला गया और आधे लोगों का क्यों नहीं बदला गया तो उनका कहना था कि विधायक के कहने पर हमने आधे लोगों का सेंटर बदल दिया है| जब उनसे पूछा गया कि टनकपुर चंपावत मार्ग पर रोजाना ऑल वेदर रोड के निर्माण कार्य के चलते बड़े-बड़े बोल्डर गिरते हैं और इनसे कई लोगों की मौत भी हो चुकी है, ऐसे में अगर किसी विद्यार्थी की सफर के दौरान मौत हो जाती है तो क्या एनआईओएस उसका जिम्मेदार होगा? इस पर हीरा सिंह नेगी कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे सके| जब उनसे पूछा गया कि अगर बोल्डर गिरने के कारण लगने वाले जाम के चलते विद्यार्थी एग्जाम सेंटर पर नहीं पहुंच पाएंगे तो क्या एनआईओएस उसकी जिम्मेदारी लेगा? इसका भी हीरा सिंह नेगी स्पष्ट रूप से कोई जवाब नहीं दे सके| जब उनसे पूछा गया कि आधे विद्यार्थियों का सेंटर टनकपुर कर दिया गया और बाकी का सेंटर टनकपुर क्यों नहीं किया गया तो भी हीरा सिंह नेगी कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे सके| निश्चित तौर पर यह अधिकारी अपनी लापरवाही को छुपाने के लिए विद्यार्थियों को परेशान करने में लगे हुए हैं|

यही वजह है कि भौगोलिक परिस्थितियाें से अवगत होने के बावजूद इन अधिकारियों ने टनकपुर के विद्यार्थियों के साथ सेंटर का खेल खेला. ऐसे अधिकारियों के गैर जिम्मेदाराना रवैया के चलते ही पहाड़ की शिक्षा व्यवस्था बदहाल होती जा रही है| प्रदेश सरकार को ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए थी जो कि उन्होंने समय रहते नहीं की| यही वजह है कि आचार संहिता लागू होते ही ऐसे नालायक अफसर बेलगाम हो गए हैं| स्थानीय लोगों ने ऐसे अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त करने की मांग की है| वहीं विद्यार्थियों ने अपना सेंटर टनकपुर स्थानांतरित करने की अपील की है| हर हाल एनआईओएस के अधिकारी इसे अहम की लड़ाई मानते हुए सेंटर ना बदलने पर अड़े हुए हैं| उन्हें विद्यार्थियों की जान से ज्यादा अपना अहम प्यारा है| बेहाल अगर सफर के दौरान कोई भी गंभीर हादसा हो जाता है या किसी भी विद्यार्थी की जान जाती है तो इसके जिम्मेदार एनआईओएस के यह अधिकारी ही होंगे क्योंकि विद्यार्थियों ने संयम इन्हें समय रहते लिखित रूप में भी यह अवगत करा दिया है कि परीक्षा केंद्र चंपावत होने की सूरत में उन्हें टनकपुर से चंपावत का सफर तय करना पड़ेगा जिस रास्ते पर रोजाना बोल्डर गिरने के चलते कोई न कोई घायल होता है या किसी की मौत होती रहती है| फिलहाल यह विद्यार्थी मौत के रास्तों पर जिंदगी का सफर तय करने को मजबूर हैं और इनकी सुनने वाला कोई नहीं|

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