राजस्थान से लौटकर नीरज सिसोदिया की विशेष रिपोर्ट
राजस्थान में टिकट का बंटवारा कांग्रेस के गले की फांस बन गया है| लगभग 25 लाख वोटर वाले बेरवा समुदाय की उपेक्षा के चलते उसे प्रदेश के 19 जिलों में भारी नुकसान उठाना पड़ेगा|
दरअसल राज्य की पांच आरक्षित सीटों में से एक करौली धौलपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस हर बार बैरवा उम्मीदवार मैदान में उतारती थी। एक बेरवा उम्मीदवार के सहारे पूरे राजस्थान की लगभग 25 लाख बैरवा वोट कांग्रेस साधने में जुटी रहती थी| लेकिन इस बार परंपरा के विपरीत कांग्रेस ने बैरवा समुदाय को पूरी तरह से दरकिनार कर दिया और किसी भी सीट पर बैरवा उम्मीदवार नहीं बता रहा है| करौली धौलपुर की जो सीट बेरवा उम्मीदवार के खाते में जाती थी उस सीट पर कांग्रेस ने एक नया चेहरा संजय जाटव उतार दिया है|
ऐसे में बैरवा समुदाय का गुस्सा फूट पड़ा है और अखिल भारतीय बैरवा महासभा नेे खुलकर पार्टी का विरोध कर दिया है। उनका कहना है कि कांग्रेस ने बैरवा समाज की उपेक्षा की है इससे समुदाय के लोगों में भारी रोष है| महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हरि नारायण बैरवा ने कहा कि इस लोकसभा सीट से बैरवा सांसद भी रहा है और प्रदेश भर में एक मात्र यही सीट थी जिससे बैरवा समुदाय को काफी उम्मीदें रहती हैं लेकिन इस सीट पर भी संजय जाटव को उतारकर कांग्रेस ने बैरवा समाज का उपहास उड़ाया है| इसका खामियाजा उन्हें आगामी लोकसभा चुनाव में भुगतना पड़ेगा|
पता नहीं कि इस सीट पर बैरवा समुदाय के लोगों की एक बड़ी आबादी है| कांग्रेस अगर बैरवा प्रत्याशी नहीं उतारती है तो इसका सीधा फायदा भारतीय जनता पार्टी को होगा|
कांग्रेस की बगावत का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि बैरवा समुदाय के लोग पार्टी के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस भी कर चुके हैं और प्रदेश कांग्रेस कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन जता चुके हैं| बताया जाता है कि सोमवार को महासभा के नेतृत्व में हजारों बैरवा समुदाय के लोग अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के कार्यालय के बाहर रोष प्रदर्शन करने की तैयारी कर रहे हैं| ऐसा पहली बार हुआ है जब बैरवा समुदाय को अपने हक के लिए सड़कों पर उतरना पड़ा हो| राजस्थान के इतिहास में बैरवा समुदाय का यह विरोध एक नया अध्याय लिखने जा रहा है| सूत्र बताते हैं कि संजय जाटव का कोई बड़ा सियासी वजूद नहीं होने के बावजूद कुछ स्थानीय विधायक को से नज़दीकियों के कारण उन्हें पार्टी ने मैदान में उतार लिया है| संजय जाटव ना तो स्थानीय स्तर पर कोई बड़ी पकड़ रखते हैं और ना ही राष्ट्रीय स्तर पर उनकी कोई पहचान है| संजय जाटव के राजनीतिक सफर पर नजर डालें तो उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि है वह मात्र जिला परिषद सदस्य की ही रही है| यही वजह है कि काबिल बैरवा दावेदारों को दरकिनार कर संजय जाटव को प्रत्याशी बनाने पर बेरवास समुदाय आग बबूला हो गया है| महासभा के लोगों का कहना है कि बैरवा समुदाय को एक प्रतिनिधि जरूर मिलना चाहिए| महासभा ने इस संबंध में एक पत्र कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी भेजा है| पत्र में बैरवा महासभा ने करौली धौलपुर लोकसभा सीट से बैरवा उम्मीदवार को मैदान में उतारने की मांग की है|
बहरहाल यह देखना दिलचस्प होगा कि बैरवा और जाटों की लड़ाई में कांग्रेस को फायदा होता है या बीजेपी एक बार फिर उसे धूल चटा जाएगी।