पंजाब

एसडीओ जगबीर के साथ भ्रष्टाचार की राह पर चले पुडा के जेई राकेश, फिर से तैयार करवा दीं तोड़ी गई अवैध कॉलोनियां -1

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होशियार पुर से लौटकर नीरज सिसौदिया की विशेष रिपोर्ट
जालंधर डेवलपमेंट अथॉरिटी नए ईओ रणदीप सिंह के आने के बाद भ्रष्टाचार और लूट-खसोट का गढ़ बन चुकी है. पहले की किस्तों में हमने आपको बताया था कि किस तरह जालंधर और आसपास के इलाकों में अवैध कॉलोनियां बेरोकटोक तैयार कराई जा रही हैं. इंडिया टाइम 24 के खुलासे के बाद पुडा के अधिकारी इन कॉलोनियों पर कार्रवाई करने को मजबूर भी हुए थे. इसके बाद हमारी टीम निकली जालंधर डेवलपमेंट अथॉरिटी के ही कार्यक्षेत्र में पड़ने वाले होशियार पुर जिले की पड़ताल पर. यहां का हाल जालंधर से भी बदतर पाया गया. यहां पुडा के अधिकारी अलग तरह की योजना पर काम करते हुए कॉलोनाइजरों और अपनी जेबें भरते हुए नजर आए. यहां सूत्रों ने पुडा के दो अधिकारियों के भ्रष्टाचार में लिप्त होकर इस पूरे खेल को अंजाम देने की बात कही. सूत्रों का कहना था कि पुडा के जेई राकेश और एसडीओ जगबीर सिंह होशियार पुर जिले में अवैध कॉलोनियों के काले कारोबार को कॉलोनाइजरों के साथ मिलकर अंजाम दे रहे हैं.

ऐमा मांगट गांव में फिर से तैयार हुई तोड़ी गई कॉलोनी.
13 जून को पुडा ने ऐमा मांगट गांंव की यह अवैध कॉलोनी तोड़ी थी.

सूत्रों ने बताया कि सबसे पहले ये कॉलोनाइजरों से रिश्वत की मोटी रकम लेकर उनकी अवैध कॉलोनियां कटवाते हैं. उसके बाद जब कोई शिकायत करता है या मीडिया में किसी कॉलोनी की खबर प्रकाशित होती है तो ये लोग उस कॉलोनी पर डिच चला देते हैं. डिच चलने के बाद असली खेल की शुरुआत होती है. इसके बाद ये अधिकारी कॉलोनाइजरों से अवैध कॉलोनी को रेगुलर कराने के लिए एक फाइल तैयार कराते हैं. ये वो फाइल होती है जो कभी पास नहीं होती और नियमानुसार पास हो भी नहीं सकती. इसी फाइल की आड़ में कॉलोनी का काम तेजी से शुरू करवा दिया जाता है और कॉलोनी के प्लॉट एक-एक कर बेच दिए जाते हैं. सारे प्लॉट बिकने के बाद भी कॉलोनी पास नहीं होती. इस तरह पुडा के खाते में जीरो के अलावा कुछ नहीं आता और प्लॉट खरीदने वाले लोग खुद को ठगा महसूस करते हैं. चूंकि सारे प्लॉट बिक चुके होते हैं इसलिए कॉलोनाइजर को अब कोई परवाह नहीं होती.

भंगाला की इस कॉलोनी पर पुडा ने 13 जून को चलाई थी डिच. अब यह भी बनकर तैयार हो गई है. देखें पहली तस्वीर

पुडा के खाते में भले ही फूटी कौड़ी न आए मगर अधिकारियों की जेबें जरूर भर जाती हैं. पुडा के ये दो नटवरलाल सैलरी पुडा से लेते हैं पर काम कॉलोनाइजराें का करते हैं. पुरानी कहावत है कि साहूकार को मूल से सूद ज्यादा प्यारा होता है. इसलिए पुडा के ये दोनों अधिकारी किसी भी कॉलोनाइजर से इनसेंटिव लेना नहीं भूलते. सूत्र यह भी खुलासा करते हैं कि कॉलोनाइजरों से ये दोनों अधिकारी सिर्फ अपने लिए ही वसूली नहीं करते बल्कि एक्सईएन से लेकर ईओ रणदीप सिंह गिल और मुख्य प्रशासक जतिंदर जोरवाल का हिस्सा भी वसूला जाता है. अब ये हिस्सा ईओ और जोरवाल तक पहुंचता है या नहीं इसकी पुष्टि सूत्र नहीं करते. हालांकि, जतिंदर जोरवाल तेज तर्रार और ईमानदार युवा आईएएस के रूप में जाने जाते हैं. इसलिए सूत्र मानते हैं कि जोरवाल का हिस्सा उन तक नहीं पहुंचता है लेकिन ईओ पर सूत्र सवालिया निशान खड़े करते हैं.
ताजा मामला ऐमा मांगट गांव और पुराना भंगाला गांव और दसूहा में हाजीपुर रोड पर बनाई गई अवैध कॉलोनियों का है. इनमें से दो कॉलोनियों पर विगत 13 जून को पुडा ने डिच चलाई थी. उस वक्त इन्हें पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया था. जिनमें पुराना भंगाला गांव एवं ऐमा मांगट गांव की कॉलोनियां शामिल हैं. अब ये दोनों कॉलोनियां फिर से तैयार हो चुकी हैं. हाईवे पर होने के कारण यहां प्लॉटों की बिक्री भी तेजी से हो रही है. भंगाला की कॉलोनी के संबंध में लगभग एक सप्ताह पूर्व जेई राकेश को जानकारी देते हुए कार्रवाई के बारे में पूछा गया था. उस वक्त उन्होंने कहा था कि चेक कर लेते हैं लेकिन कॉलोनी के काम को रुकवाने की कोई जरूरत नहीं समझी. बात अगर जगबीर सिंह की करें तो उनके पास तो अब कॉलोनियों की जिम्मेदारी ही नहीं है. सारा काम जेई के सुपुर्द किया गया है लेकिन सूत्र बताते हैं कि होशियारपुर की कॉलोनियों की सेटिंग का सारा खेल जगबीर सिंह ही देख रहे हैं. सूत्र यह भी बताते हैं कि सिर्फ होशियार पुर ही नहीं बल्कि जगबीर के पास जालंधर के जो इलाके पहले थे उनकी अवैध कॉलोनियों की सेटिंग भी जगबीर के जरिये ही की जा रही है. बहरहाल, पुडा में बदलाव सिर्फ दिखावे के लिए ही किया गया है. फर्क सिर्फ इतना है कि पुराने खिलाड़ी नए सूरमाओं के कांधे पर बंदूक रखकर निशाना लगा रहे हैं. आला अधिकारियों की मिलीभगत के बिना इतने बड़े काले खेल को अंजाम देना मुमकिन नहीं है. अगर इस काले खेल को रोकना है तो मामले की जांच किसी रिटायर्ड जस्टिस के नेतृत्व वाले विशेष जांच दल से या सीबीआई से करानी होगी. तभी इस खेल का पर्दाफ़ाश होगा. साथ ही अगर पुडा के आला अधिकारियों को खुद को ईमानदार और बेकसूर साबित करना है तो जगबीर सिंह जैसे अधिकारियों से चार्ज वापस लेने से कुछ नहीं होगा बल्कि इन्हें या तो नौकरी से बर्खास्त किया जाए या जालंधर से मीलों दूर कहीं ऐसे विभागों में तबादला दिया जाए जहां इनका कॉलोनियाें से कोई लेना देना न हो. क्योंकि जब तक ऐसे अधिकारी जालंधर में रहेंगे तब तक उनके काले कारनामे यूं ही फलते फूलते रहेंगे. अगली किस्त में हम बताएंगे कि पुडा के दोनों नटवरलाल किस किस कॉलोनी से कितनी रकम की कर चुके हैं वसूली. कौन कौन सी और अवैध कॉलोनियां होशियार पुर में तैयार करवाई हैं इन नटवरलालों की जोड़ी ने और ईओ व जोरवार के लिए कितनी रकम मांगी जाती है कॉलोनाइजरों से. तो जानने के लिए पढ़ते रहें www.indiatime24.com.

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