पंजाब

कांग्रेस जिला अध्यक्ष देव का बढ़ता कद बर्दाश्त नहीं कर पा रहे विरोधी, सियासी मैदान पर मुंह की खाने के बाद अब सोशल मीडिया पर कर रहे षड्यंत्र

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नीरज सिसौदिया, जालंधर
कांग्रेस जिला प्रधान बलदेव सिंह देव के सहज, सरल व्यवहार और राजनीतिक कुशलता ने जहां पहले ही विरोधियों के हौसले पस्त कर दिये थे वहीं, अब उनके विरोधी सोशल मीडिया का सहारा लेकर झूठी अफवाहें फैलाकर जिले में कांग्रेस को कमजाेर करने की साजिश में जुट गए हैं.
दरअसल,सोशल मीडिया में कांग्रेस जिला अध्यक्ष बदले जाने की चर्चाओं को हवा दी जा रही है और कुछ कांग्रेस नेताओं को जिला अध्यक्ष का दावेदार भी बताया जा रहा है जबकि फिलहाल जिला अध्यक्ष बदले जाने का कोई भी इरादा पार्टी हाईकमान या प्रदेश हाईकमान का नहीं है. ऐसे में यह स्पष्ट है कि जिला अध्यक्ष बदले जाने की अफवाहें सोशल मीडिया पर एकजुट होती कांग्रेस को बांटने के लिए फैलाई जा रही हैं. विरोधी नहीं चाहते कि कांग्रेस नेता किसी भी सूरत में एकजुट हों. यही वजह है कि जिला अध्यक्ष का निर्धारित कार्यकाल खत्म होने से पहले ही नया जिला अध्यक्ष बनाये जाने की अफवाहों का बाजार गर्म किया जा रहा है ताकि कुर्सी के लिए ये नेता आपस में ही भिड़ते रहें और आगामी विधानसभा चुनावों तक यह खींचतान किसी न किसी रूप में बरकरार रहे. अगर ऐसा होता है तो इसका सीधा सा फायदा अकाली-भाजपा गठबंधन को होगा.

कांग्रेस में जितनी अंतर्कलह की अफवाहें फैलेंगी उतना ही फायदा विरोधी पार्टियों को होगा. यह बात शायद अफवाहें फैलाने वाले कुछ कांग्रेस नेताओं को समझ नहीं आ रही. यही वजह है कि ये नेता सोशल मीडिया पर अपने चहेतों से जिला प्रधान को ही टारगेट कर अफवाहें फैलाने में लगे हुए हैं.
बहरहाल, बलदेव सिंह देव सियासत के माहिर खिलाड़ी हैं और विरोधियों को मौके पर चारों खाने चित करना जानते हैं. जैसा कि वह पहले भी कर चुके हैं. जब उनकी पार्षद पद की टिकट काट दी गई थी. उस दौरान देव ने समझदारी का परिचय दिया था जिसके परिणाम स्वरूप उन्हें बाद में जिला प्रधान का मान पार्टी की ओर से दिया गया. बस यही बात विरोधियों को हजम नहीं हो पा रही. यही वजह है कि रोज सोशल मीडिया पर जिला प्रधान बदले जाने के शिगूफे छोड़े जा रहे हैं. बहरहाल, जालंधर लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी चौधरी संतोख सिंह की जीत के बाद देव का कद और ऊंचा हुआ है. खासकर वेस्ट विधानसभा में जहां बलदेव सिंह देव का अपना घर है और वह देव का गढ़ माना जाता है. वहां, एक विधायक खुद सांसद बनने के ख्वाब देख रहा था और चौधरी का विरोध भी उसके समर्थक कर रहे थे. इसके बावजूद बलदेव सिंह देव वहां से चौधरी संतोख को जिताने में कामयाब रहे जबकि उस वक्त देव को जिला प्रधान बने कुछ माह ही हुए थे. वहीं, तब पार्टी की जिला कार्यकारिणी भी गठित नहीं हो सकी थी. इसके बावजूद देव अपने भरोसेमंद साथियों के साथ ने अकेले ही मोर्चा संभाले रखा था. नतीजा चौधरी संतोख सिंह की जीत के रूप में सबके सामने था.

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