झारखण्ड

ऊपरघाट में नक्सलियों का प्लेटफार्म था डेगागढ़ा

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बोकारो थर्मल। रामंचद्र अंजाना
एक ऐसा गांव जहां पुलिस को पहुंचने के थर-थर कांपती थी। जब भी वहां पुलिस पहुंचती थी, तो साथ पुरी बेरमो अनुमंडल की पुलिस साथ में होती थी। यहां पर नक्सलियों के बीज उगाए जाते थे। हम बात कर रहें है उग्रवाद प्रभावित ऊपरघाट के पेंक-नारायणपुर थाना क्षेत्र के आदिवासी गांव डेगागढ़ा का। ऊपरघाट में माओवादियों के संस्थापक सदस्य रहें घुजा तुरी यही का रहने वाला था। माओवादियों के अनुसार 90 के दशक में घुजा तुरी को सांमतवादियों ने धोखे से बुलाकर निर्मम तरीके से हत्या कर दिया था। बाद में माओवादियों ने धुजा के तुरी के हत्यारों को भी दिन हत्या कर बदला लिया था।

मंगलवार जब पुलिस की महकमा डेगागढ़ा गांव पहुंची तो यहां के आदिवासियों की खुशी का ठिकाना नहीं था। ग्रामीणों ने अपने डर को पीछे छोड़कर पुलिस का स्वागत किया और खुलकर अपनी पीड़ा को रखें। पुलिस के वरीय अधिकारियों ने ग्रामीणों के समक्ष माना कि डेगागढ़ा में अब भी पुलिस-प्रशासन के द्वारा कुछ करना बाकी है। एसपी व कमांडेट ने ग्रामीणों का भरोसा दिलाया है कि अगली बार यहां आऐंगे, तो गांव के लिए कुछ करके जाऐंगे। नक्सलियों को यहां सिर छिपाने की जगह नहीं मिल रही है। उग्रवाद व अपराध नियंत्रण के लिए आम जनता को पुलिस का सहयोग करना होगा। क्षेत्र में अमन चैन और शांति व्यवस्था कायम रहें, इस दिशा में पुलिस निरंतर काम कर रहीं है। डेगागढ़ा के ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस पहली बार यहां हमारी समस्याओं की निदान के लिए पहुंची और अपने परिवार के जैसा अपनापन जतायी। पुलिस यहां जब आती थी, तब यहां भगदड़ सा मच जाता था। डर से लोग घर छोड़कर जंगल में शरण ले लेते थे। अब समय बदल गया है। पुलिस भी हमारी तरह इंसानी सोच रखते है। बस अब नये सिरे से अगली पीढी की नींव बेहतर ढंग से संवारने में लगे हैं।

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