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रेलवे ग्रुप डी भर्ती से लाखों छात्रों का आवेदन रद्द करने के ख़िलाफ़ युवा-हल्लाबोल का प्रदर्शन

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नीरज सिसौदिया, नई दिल्ली 
बेरोज़गारी के खिलाफ चल रहे राष्ट्रव्यापी आंदोलन युवा-हल्लाबोल ने सोमवार को दिल्ली के जंतर मंतर पर रेलवे ग्रुप डी भर्ती के अभ्यर्थियों की आवाज़ बुलंद की। मामला है पाँच लाख से ज़्यादा छात्रों का अन्यायपूर्ण ढंग से आवेदन रद्द किए जाने का और फिर छात्रों की शिकायतों पर कोई सुनवाई न होने का। ज्ञात हो कि रेलवे की ग्रुप डी भर्ती के लिए आवेदन करने वाले लाखों अभ्यर्थियों को तस्वीर या सिग्नेचर के नाम पर परीक्षा से बाहर कर दिया गया है।

युवा-हल्लाबोल का नेतृत्व कर रहे अनुपम ने जंतर मंतर पहुंचकर छात्रों की मांगों का समर्थन किया और वाजिब हक़ दिलवाने के लिए हरसंभव प्रयास का भरोसा दिया। वर्ष 2018 की ग्रुप डी भर्ती में भी जब इस तरह की शिकायत आयी थी तो युवा-हल्लाबोल की मुहिम और अनुपम द्वारा रेल मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखने के पश्चात छात्रों को आवेदन पत्र में सुधार के लिए मोडिफिकेशन लिंक दिया गया था। इस बार भी युवा-हल्लाबोल की मांग है कि जिन अभ्यर्थियों की तस्वीर से रेलवे असंतुष्ट है उन्हें मोडिफिकेशन लिंक देकर अवसर से वंचित न किया जाए।

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले फरवरी 2019 में रेलवे ग्रुप डी के 1 लाख 28 हज़ार पदों के लिए नोटिफिकेशन जारी किया गया था जिसमें कुल 1,15,67,284 छात्रों ने आवेदन किया है। हैरत की बात है कि इनमें से 5,48,829 अभ्यर्थियों के आवेदन ये कहते हुए रद्द कर दिए गए कि आवेदकों की तसवीर सही नहीं है। जबकि रेलवे की ही आरआरबी जूनियर इंजीनियर परीक्षा में उन्हीं तस्वीरों के आधार पर आवेदन स्वीकार किये गए। यहाँ तक कि आरपीएफ और एसएससी की परीक्षा में भी अभ्यर्थियों की इन्हीं तस्वीरों को स्वीकार किया गया। लेकिन आज न ही स्वीकार किया जा रहा, न ही सुधार करने के लिए मोडिफिकेशन लिंक दिया जा रहा।

रेलवे अभ्यर्थी गौतम मवाहने ने कहा, “हम और हमारे परिवार के साथ ये बड़ा अन्याय है कि सालों साल रेलवे भर्ती की तैयारी करने के बाद सरकार हमें इस तरह अवसर से वंचित कर रही है। इन्हीं फोटो से हमने बाकी कई परीक्षाओं में आवेदन किया था। यहाँ तक कि रेलवे की ही जूनियर इंजीनियर और आरपीएफ के लिए इसी तस्वीर को भेजा लेकिन ग्रुप डी की परीक्षा में ही क्यूँ हमें भर्ती प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया।”

युवा-हल्लाबोल के रजत ने बताया कि सभी छात्रों से रेलवे ने ₹500 आवेदन शुल्क लिया है जिसमें से ₹400 उन अभ्यर्थियों को वपिस कर दिया जाएगा जो परीक्षा में बैठ पाएंगे। यानी कि पाँच लाख से ज़्यादा बेरोज़गारों को अवसर से वंचित करके यह सरकार करोड़ों रुपए इक्कट्ठा कर लेगी। छात्रों के नौकरी और उज्ज्वल भविष्य का सपना तोड़ने वाली रेलवे और यह सरकार घोर अन्याय कर रही है।”

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