नीरज सिसौदिया, नई दिल्ली
बहुप्रतीक्षित अयोध्या मामले का आज फैसला पढ़ा जा रहा है| सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि विवादित जमीन राम जन्मभूमि न्यास को मिलेगी और सरकार को ट्रस्ट बनाने के भी आदेश दिए हैं| वही बाबरी मस्जिद के लिए अन्यत्र जगह देने को कहा गया है| सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आस्था और विश्वास को एक तरफ रखते हुए कानून के आधार पर सुनाया गया है| फैसला सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली पीठ ने सुनाया| शीर्ष अदालत ने निर्मोही अखाड़े और शिया वक्फ बोर्ड का दावा भी खारिज कर दिया है| इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन देने को भी कहा है जिसमें सुन्नी वक्फ बोर्ड चाहे तो बाबरी मस्जिद बना सकता है| सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ ही अयोध्या में विवादित जमीन पर राम मंदिर बनने का रास्ता साफ हो गया है| संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनाया जाएगा. इस फैसले को हार या जीत के नजरिये से नहीं देखा जाये. सभी लोग शांति बनाए रखें.
सर्वोच्च अदालत ने केंद्र सरकार को इस मामले में एक ट्रस्ट गठित करने के भी आदेश दिए हैं| केंद्र सरकार की ओर से यह ट्रस्ट आगामी 3 महीने के भीतर गठित कर लिया जाएगा| राम मंदिर निर्माण की रूपरेखा भी यही ट्रस्ट तय करेगा| वही मुस्लिम पक्ष को जमीन देने की जिम्मेदारी यूपी की योगी सरकार को होगी| इसके अलावा हिंदू पक्षकार गोपाल विशारद को पूजा पाठ का अधिकार दिया गया है| वहीं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से मुस्लिम पक्षकार संतुष्ट नजर नहीं आए| उनकी वकील जफरयाब जिलानी ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का सम्मान करते हैं लेकिन इस फैसले में कई विरोधाभास हैं जिससे हम संतुष्ट नहीं हैं|
उन्होंने कहा कि हम फैसले की समीक्षा करेंगे और उसके बाद आगे की कार्रवाई का निर्णय लेंगे| वही कोर्ट ने कहा है कि मुस्लिम पक्ष एक विवादित जमीन पर अपना दावा साबित नहीं कर पाया है| अदालत में पेश की गई आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट को आधार बनाकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विवादित जमीन पर मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाए जाने के कोई पुख्ता प्रमाण नहीं मिले हैं| शीर्ष अदालत ने आगे कहा कि यहां पर मूर्तियां वर्ष 1949 में रखी गई| इसके अलावा निर्मोही अखाड़े के दावे को शीर्ष अदालत ने लिमिट के ही बाहर करार दिया| फैसला आते ही मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि हम इस फैसले से संतुष्ट नहीं है इसमें कई जगह विरोधाभास हैं| हम इस पर पुनर्विचार की मांग करते हैं|
वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है| हिंदू महासभा के वकील वरुण कुमार सिन्हा ने इस फैसले को ऐतिहासिक बताया|
इसके अलावा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ समेत बड़े नेताओं ने शांति और सौहार्द बनाए रखने की अपील की है| अयोध्या मामले में फैसला आने के बाद आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने प्रेस कांफ़्रेंस कर सबसे शांति बनाये रखने की अपील की.