नीरज सिसौदिया, नई दिल्ली
वसंत पंचमी यानि रितुराज के आगमन एवं विद्यादायिनी मां सरस्वती की आराधना का दिन. वैसे तो वैदिक काल से ही हमारे देश में इस त्योहार को माघ शुक्ल पंचमी के दिन धूमधाम से मनाया जाता रहा है लेकिन अंग्रेजी महीनों ने इस त्योहार को लेकर भी भ्रमित किया हुआ है. वसंत पंचमी पर मां सरस्वती की पूजा करने से उनकी विशेष कृपा होती है लेकिन जरा सोचिए कि आप जिस फल की कामना लेकर मां की आराधना करें और वो तिथि ही गलत हो तो क्या आपको अपनी आराधना का वह फल प्राप्त होगा जिसकी उम्मीद आप कर रहे हैं. शायद बिल्कुल नहीं. आज कुछ लोगों ने हिंदुओं की इस सच्ची आस्था से खिलवाड़ करना शुरू कर दिया है. उन्हें तिथियों और शास्त्रों के बारे में कुछ भी पता नहीं है. यही वजह है कि वह मनमानी तिथियां बताकर लोगों को भ्रमित करते हैं और प्राणी जगत अपने तप के फल से वंचित रह जाता है. ऐसे में विश्व प्रसिद्ध ज्योतिष आचार्य नरेश नाथ आपको तिथियों को जानने और शास्त्र संगत तरीके से त्योहारों को मनाने के बारे में बता रहे हैं.
इंडिया टाइम 24 को दिए गए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में नरेश नाथ ने तिथियों की सही पहचान और वसंत के आगमन का हमारे जीवन, कारोबार और शेयर बाजार पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में भी बताया.
ज्योतिष रत्नाकर नरेश नाथ कहते हैं, ‘इस साल वसंत पंचमी की तिथि को लेकर कुुछ विद्वान दावा कर रहे हैं कि यह त्योहार अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से 29 जनवरी को मनाया जाना चाहिए जबकि उनका यह दावा एकदम निराधार है क्योंकि शास्त्रों के अनुसार यह त्योहार इस बार 30 जनवरी को ही मनाया जाना चाहिए.’
नरेश नाथ इसके पीछे तार्किक आधार भी देते हैं. वह बताते हैं, ‘इस बार वसंत की पंचमी की तिथि निश्चित रूप से 29 जनवरी को शुरू हो रही है और तीस जनवरी तक रहेगी लेकिन 29 जनवरी का सूर्योदय पंचमी की तिथि में नहीं होगा, 29 जनवरी को सूर्योदय के समय चतुर्थी की तिथि पड़ रही है. ऐसे में अगर आप 29 जनवरी के दिन मां सरस्वती का पूजन करते हैं तो चतुर्थी का पूजन होगा न कि वसंत पंचमी का विशेष पूजन. ऐसे में आप वसंत पंचमी के खास अवसर पर मां के पूजन से मिलने वाले लाभ से पूरी तरह से वंचित रहेंगे. यह मैं नहीं कह रहा हूं बल्कि हमारे शास्त्रों में इसका वर्णन स्पष्ट रूप से किया गया है. मनु संहिता, शास्त्रों एवं उपनिषदों में स्पष्ट रूप से उल्लिखित है कि सूर्य उदय जिस तिथि के अनुसार होता है वही तिथि पूरे दिन मान्य होती है. शास्त्रों की अवधारणा के अनुसार 30 जनवरी को ही वसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाना चाहिए क्योंकि पंचमी का सूर्य तो तीस जनवरी को ही उदित होगा.’
नरेश नाथ कहते हैं कि इस दिन सूर्य देव के साथ बुध और शनि देव भी हैं लेकिन दोनों ही अस्त हैं. वसंत पंचमी एक पावन पवित्र त्यौहार है इसलिए इस दिन मां सरस्वती जी की पूजा करनी चाहिए. हो सके तो देवी मां की प्रतिमा अपने घर लाएं. संध्या काल से पूजा शुरू करके 30 तारीख तक निरंतर पूूूूजा करें. आठ पहर की पूजा के साथ मां सरस्वती प्रसन्न होती हैं. वह विद्या की देवी हैं. साथ में धैर्य और ज्ञान देने में यही देवी समर्थ हैं. कलियुग में माता सरस्वती का पूजन और ब्रह्मदेव का पूजन बहुत कम होता है. इसलिए आज के युग में उग्रता बढ़ रही है यदि हम माता सरस्वती की पूजा करें तो हमारी उग्रता शांत होगी और हमें सन्मार्ग की प्राप्ति होगी.
सरल उपाय
शनि देव मकर राशि में आ गए हैं इसलिए हमें इस दिन गन्ने के रस की खीर बनाकर मां सरस्वती को भोग लगाना चाहिए. साथ में काले चने नमक और जीरे के साथ बनाकर भोग चढ़ाएं और फिर इसे बंधु-बंधुओं और सभी जनता में बांंटें, इससे निश्चय ही लाभ होगा.
इस दिन गुरु बृहस्पति की राशि से शनि देव निकलकर अपनी स्वराशि मकर में आ गए हैं. इसलिए आने वाले 6 महीने में सारी ओर फैली हुई मंदी कम हो जाएगी क्योंकि इस राशि में शनि देव चमड़ा, लोहा और धातुओं के कारोबार को बढ़ोतरी देंगे. साथ में बड़े-बड़े शॉपिंग कंपलेक्स, सट्टा बाजार, शेयर बाजार में भारी कारोबार होगा. इस राशि में शनि देव लगभग सभी प्रकार के मायावी प्राणियों को लाभ देंगे ऐसा फलित है और गणित है.