दिल्ली

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर हाई अलर्ट में भी सोती रही पुलिस, खिड़की एक्सटेंशन में  पत्रकार के घर का ताला तोड़कर कीमती सामान ले गए चोर

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नीरज सिसौदिया, नई दिल्ली

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर एक तरफ जहां दिल्ली भर में हाई अलर्ट था और दिल्ली के पुलिस कमिश्नर सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद होने का दावा कर रहे थे, वहीं पुलिस की नाक के नीचे कुछ शातिर चोर पूरी सुरक्षा इंतजामों की पोल खोल कर चलते बने| मालवीय नगर के पॉश इलाके में यह चोर रात भर पत्रकार का घर खंगालते रहे और कीमती सामान लेकर चलते बने लेकिन पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी| पीड़ित पत्रकार की शिकायत पर मालवीय नगर ई पुलिस स्टेशन में मामले की एफआईआर दर्ज की गई है|

जानकारी के मुताबिक मूलरूप से उत्तराखंड की रहने वाली पत्रकार पूनम बर्तवाल खिड़की एक्सटेंशन में अपने पति के साथ रहती हैं| गणतंत्र दिवस से 1 दिन पहले वह अपने किसी रिश्तेदार के घर चली गई थीं| वहीं उनके पति भी काम के सिलसिले में शहर से बाहर थे| इस दौरान घर में ताला लगा हुआ था| गणतंत्र दिवस पर जब पूनम वापस घर लौटीं तो उन्होंने देखा कि घर का ताला टूटा हुआ है और सामान बिखरा पड़ा था| इसके बाद उन्होंने अपना सामान चेक किया तो वहां से सोने और चांदी के गहने और काफी कीमती सामान गायब था| यहां तक कि चोर तौलिया तक उठाकर ले गए. इसके बाद उन्होंने तत्काल इसकी सूचना पुलिस को दी| पुलिस ने जांच के बाद एफआईआर दर्ज कर ली है| जांच अधिकारी हेड कांस्टेबल सुनील कुमार हैं. फिलहाल चोरों के बारे में कुछ भी पता नहीं चल सका है|

अब सवाल यह उठता है कि एक तरफ दिल्ली में विधानसभा चुनाव को लेकर आचार संहिता लागू है और दूसरी तरफ गणतंत्र दिवस को लेकर हाई अलर्ट भी था, इसके बावजूद अगर पुलिस के सुरक्षा इंतजामों को मामूली से चोर धता बता सकते हैं तो फिर दिल्ली की सुरक्षा का क्या होगा| खासकर तब जबकि देशभर में एनआरसी और एनपीआर जैसे मसलों पर माहौल बिगड़ा हुआ है. वारदात के 48 घंटे बाद भी पुलिस के हाथ खाली हैं. वह कोई अहम सबूत नहीं जुटा पाई है| पुलिस की सुस्त कार्रवाई और लापरवाही भरे रवैये से पुलिसिया कार्यशैली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं| वैसे भी राजधानी की पुलिस चोरी जैसे मामलों को ज्यादा गंभीरता से नहीं लेती और इन मामलों को ट्रेस करने में भी खासी दिलचस्पी नहीं दिखाती| यही वजह है कि ज्यादातर चोरी के मामले पुलिस फाइलों में ही दम तोड़ जाते हैं| अब देखना यह है कि पत्रकार पूनम के मामले में पुलिस किस तरह का रवैया अपनाती है|

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