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यशराज फिल्म्स के 50 साल : चांदी के पर्दे पर प्यार का सुनहरा सफर

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नीरज सिसौदिया, नई दिल्ली

यशराज फिल्म्स आज अपनी 50वीं सालगिरह मना रहा है. पचास साल के यशराज बैनर ने हिंदी सिनेमा को कई यादगार फिल्में दी हैं. यशराज फिल्म्स के बैनर तले अब तक लगभग 80 से भी अधिक फिल्मोंं का निर्माण किया जा चुका है लेकिन इसकी पहचान खास तौर पर वो फिल्में बनीं जिनमें मोहब्बत को एक अलग ही अंदाज में पेश किया गया है. चांदी के पर्दे पर प्रेम का जो खूबसूरत सफर यशराज फिल्म्स ने तय किया वो कोई और नहीं कर पाया. 1970 में फिल्म ‘दाग’ से प्यार को अलग अंदाज में पेश करने का जो सिलसिला यशराज फिल्म्स ने शुरू किया था, वो अंदाज ही आज उसकी पहचान बन चुका है. ‘कभी-कभी’, ‘सिलसिला’, ‘चांदनी’, ‘लम्हें’, ‘डर’, ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’, ‘दिल तो पागल है’, ‘मोहब्बतें’, ‘वीर-जारा’, ‘इशकजादे’, ‘मेरे यार की शादी है’, ‘फना’, ‘हम तुम’, ‘बैंड बाजा बारात’ और ‘दम लगा के हईशा..’ जैसी जाने कितनी उम्दा प्रेम कहानियां हिंदी सिनेमा को यशराज फिल्म्स की ही देन हैं. एंग्री यंग मैन अमिताभ बच्चन को कभी-कभी और सिलसिला जैसी फिल्मों में एक रोमांटिक प्रेमी और शायर के रूप में पेश करने की जो हिम्मत यशराज फिल्म्स ने दिखाई वो काबिले तारीफ है. एक मरी हुई लड़की से बेइंतहां मोहब्बत और उसके पत्थर दिल बाप के दिल में मोहब्बत के लिए सम्मान जगाने की जो कोशिश फिल्म मोहब्बतें के जरिए सिल्वर स्क्रीन पर की गई उसका कोई सानी नहीं है. बात जब मोहब्बत के फिल्मी सफरनामे की हो तो ‘वीर जारा’ के जिक्र के बिना पूरी नहीं हो सकती. मोहब्बत के इंतजार को जिस तरह से ‘वीर जारा’ में पेश किया गया, हिंदी सिनेमा में उसके लिए यशराज फिल्म्स को सदियों तक याद रखा जाएगा.

यशराज बैनर की फिल्म ‘लम्हें’ भले ही बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास नहीं कर पाई लेकिन मां के प्रेमी से एक बेटी किस हद तक मोहब्बत कर सकती है, इसकी बानगी इस फिल्म में जरूर देखने को मिलती है. फिर ‘दम लगा के हईशा’ को ही देख लो. आज के जमाने में जहां फिल्मकार हीरोइनों के बिकिनी सींस के बिना फिल्म बनाने की  सोचने की हिम्मत तक नहीं जुटा पाते, खासकर तब जबकि पूरी फिल्म हीरोइन के कंधों पर ही आगे लेकर जानी हो, उस दौर में यशराज फिल्म्स ने न सिर्फ यह रिस्क लिया बल्कि एक नई हीरोइन को भारी-भरकम शरीर के साथ पेश करके यह साबित कर दिया कि प्यार को अगर सही अंदाज में पेश किया जाए तो हीरोइन की बॉडी या सेक्सी सींस कोई मायने नहीं रखते. यशराज सिनेमा ने बॉलीवुड को एक से बढ़कर एक उम्दा फिल्में दी हैं. इनमें सिर्फ प्रेम कहानियां ही नहीं हर तरह की फिल्में शामिल हैं. आइये डालते हैं एक नजर यशराज फिल्म्स के सफरनामेे पर.

ऐसे हुई शुरुआत 

यशराज फिल्म्स के 50 वर्षों का यह सफर जितना दिलचस्प रहा है उससे कहीं ज्यादा दिलचस्प इसकी शुरुआत रही| निर्माता-निर्देशक यश चोपड़ा की आंखों ने जब यशराज फिल्म्स का सपना देखा था तो उम्मीदों के अलावा उनके दामन में कुछ भी नहीं था| अपने बेगाने हो चुके थे और खाली जेब रिस्क उठाने की इजाजत नहीं दे रही थी| दरअसल, यशराज फिल्म्स भले ही 1970 में अस्तित्व में आया लेकिन यह सिलसिला वर्ष 1969 में ही शुरू हो चुका था| जब यशराज चोपड़ा ने फिल्म इत्तेफाक बनाई थी| सिर्फ 20 दिनों में इस फिल्म की शूटिंग पूरी कर ली गई और यह हिंदुस्तान की बिना इंटरवेल वाली पहली फिल्म बनी| फिल्म हिट हो गई और यश चोपड़ा का हौसला भी सातवें आसमान पर था| लेकिन खाली जेबों से सिर्फ उम्मीदों की इबारतें ही लिखी जाती हैं, सपने पूरे नहीं होते| फिल्म इत्तेफाक हिट होते ही यश चोपड़ा ने पामेला से शादी कर ली| शादी के बाद उन्हें अपनी जिम्मेदारियों का एहसास हुआ| वह खुद के लिए और अपनी जिम्मेदारियों के लिए बहुत कुछ करना चाहते थे मगर उनकी जेब में चंद रुपयों के अलावा कुछ भी नहीं था| बैंक बैलेंस भी खाली था| फिर भी उन्होंने एक सपना देखा अपनी फिल्म कंपनी खोलने का| इसी दौरान उनके घर में खुशियों ने दस्तक दी और उनकी पत्नी पामेला गर्भवती हो गईं| अब तक यश चोपड़ा अपने बड़े भाई बीआर चोपड़ा की कंपनी बीआर फिल्म्स में ही काम किया करते थे लेकिन वह अलग होकर एक मुकाम हासिल करना चाहते थे| यश चोपड़ा के पास संसाधन नहीं थे और न ही उन्हें किसी से कुछ मदद मिलने की उम्मीद ही थी| पत्नी को उन्होंने दिल्ली की फ्लाइट में बैठा दिया और वहीं डिलीवरी की व्यवस्था करने को भी कह दिया| फिर वह दो दिन तक सोचते रहे| उनके पास कार, फ्लैट और पैसा कुछ भी नहीं था| बस एक डर जरूर था कि अगर वह सफल नहीं हुए तो क्या होगा| लेकिन यश चोपड़ा यह भी जानते थे कि अगर उन्होंने आज कोई फैसला नहीं लिया तो फिर ताउम्र वह कोई फैसला नहीं ले पाएंगे| जब वह पामेला के साथ हनीमून मनाने गए थे तो उस दौरान उन्होंने गुलशन नंदा की लिखी एक कहानी पढ़ी थी ‘दाग’| यह कहानी उन्हें बहुत पसंद आई थी और उन्होंने यह तय किया हुआ था कि वह कभी न कभी इस कहानी पर फिल्म जरूर बनाएंगे| 2 दिन की उधेड़बुन के बाद यश चोपड़ा अपने बड़े भाई बीआर चोपड़ा के पास पहुंचे और उन्हें अपने दिल की बात बताई| यश चोपड़ा की बात शायद बीआर चोपड़ा को पसंद नहीं आई और दोनों के रास्ते अलग हो गए. भाई ने यश चोपड़ा का साथ भले ही छोड़ दिया था लेकिन मां अभी भी यश के साथ थी| यश चोपड़ा ने बीआर फिल्म्स को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया| वर्ष 1970 में यश चोपड़ा ने यशराज फिल्म्स की बुनियाद रखी| यहीं से यशराज फिल्म्स का सफर शुरू हुआ| मां का साथ यशराज चोपड़ा की ताकत बन चुका था| अगले ही दिन यश चोपड़ा नामी सितारों के दरवाजे पर पहुंच गए| वह शर्मिला टैगोर, राखी और राजेश खन्ना के पास गए और तीनों को सारी बात बताई| यश चोपड़ा ने तीनों कलाकारों से यह साफ कह दिया था कि वह अपनी फिल्म बनाना चाहते हैं वह भी अपने बलबूते पर| और इस फिल्म के लिए ही वह तीनों सितारों से मदद मांगने आए हैं| उस वक्त ये सितारे मोटी फीस लिया करते थे लेकिन उन्होंने यश चोपड़ा के जज्बातों का सम्मान किया और फिल्म के बजट के मुताबिक फीस लेने पर राजी हो गए| तीनों ही कलाकारों ने यश चोपड़ा का हौसला बढ़ाया| राखी ने तो खुद यश चोपड़ा को पैसे भी दिए और कहा कि जब तुम्हारे पास पैसे हों, मुझे लौटा देना| यश चोपड़ा के लिए यह बहुत बड़ी बात थी| अब जरूरत थी एक स्टूडियो की| वी शांताराम उस समय के जाने-माने निर्माता थे| यश चोपड़ा को बिल्कुल उम्मीद नहीं थी कि वी शांताराम उनकी कोई मदद करेंगे लेकिन जब शांताराम को यह पता चला कि यश चोपड़ा निर्माता बन गए हैं और उन्हें मदद की जरूरत है तो शांताराम ने  खुद यश चोपड़ा को फोन किया और कहा मेरा राजकमल स्टूडियो तुम्हारे लिए हाजिर है| तुम वही ऑफिस ले लो और वहीं से काम करो| इस तरह साल 1973 में यशराज बैनर की पहली फिल्म ‘दाग’ बनकर तैयार हुई| वितरकों ने फिल्म की तारीफ भी की लेकिन उन्हें यह नहीं लग रहा था कि यह फिल्म ज्यादा चल पाएगी| यही वजह थी कि इस फिल्म को सबसे पहले सिर्फ 9 सिनेमाघरों में ही रिलीज किया गया. लेकिन इसका रिस्पांस इतना अच्छा था कि इसे जल्द ही 18 सिनेमाघरों में रिलीज कर दिया गया और फिर शानदार ओपनिंग मिलने के बाद इसे विभिन्न सिनेमाघरों में रिलीज कर दिया गया|

यशराज बैनर की पहली फिल्म सुपरहिट साबित हुई और यशराज फिल्म्स की सफलता का सफर शुरू हो गया| राजेश खन्ना, राखी, शर्मिला टैगोर, प्रेम चोपड़ा, कादर खान और ए के हंगल जैसे कलाकारों से सजी फिल्म ‘दाग’ ने उस दौर में कुल साढ़़े छह करोड़ रुपए का कारोबार किया| इस फिल्म ने पांच फिल्म फेयर अवार्ड जीते थे| यह एक अलग तरह की प्रेम कहानी थी|

बढ़ते कदम 

‘दाग’ की अपार सफलता ने यश चोपड़ा के हौसले मेें नई जान फूंक दी और उनके सामने अब चुनौती थी एक और अलग तरह की अलग दौर की प्रेम कहानी को पर्दे पर उतारने की| यशराज फिल्म्स का अगला प्रोजेक्ट वर्ष 1976 में आया| यशराज फिल्म्स की दूसरी फिल्म ‘कभी-कभी’ की कहानी खुद यश चोपड़ा की पत्नी पामेला चोपड़ा ने लिखी थी| यश चोपड़ा इससे पहले वर्ष 1975 में गुलशन राय द्वारा निर्मित फिल्म ‘दीवार’ में अमिताभ बच्चन और शशि कपूर को डायरेक्ट कर चुके थे| फिल्म ‘दीवार’ ने अमिताभ बच्चन को एंग्री यंग मैन के रूप में एक नई पहचान दिला दी थी| ऐसे में फिल्म ‘कभी-कभी’ में अमिताभ बच्चन को एक रोमांटिक रोल में लेना बहुत बड़ा रिस्क था लेकिन यश चोपड़ा को अपने हुनर पर भरोसा था| फिल्म कभी-कभी मेें अमिताभ बच्चन, शशि कपूर और वहीदा रहमान के अलावा उन्होंने राखी को भी लिया| राखी उनकी पहली फिल्म ‘दाग’ का भी हिस्सा थीं| फिल्म ‘कभी- कभी’ भी सफल रही और इसने बॉक्स ऑफिस पर लगभग 4 करोड़ रुपए से भी अधिक की कमाई की|

वर्ष 1977 में यशराज फिल्म्स ने शशि कपूर, ऋषि कपूर, नीतू सिंह और राखी स्टारर फिल्म ‘दूसरा आदमी’ बनाई| यह यशराज बैनर की पहली फिल्म थी जिसे यश चोपड़ा डायरेक्ट नहीं कर रहे थे| यह भी एक अलग तरह की प्रेम कहानी थी जिसमें एक वृद्ध महिला एक युवा में अपने मरे हुए पति को देखती है| दूसरा आदमी यशराज बैनर की तीसरी फिल्म थी जिसमें लगातार तीसरी बार राखी को बतौर लीड एक्ट्रेस कास्ट किया गया| 2 साल बाद यशराज फिल्म्स के बैनर तले फिल्म ‘नूरी’ का निर्माण किया गया| इस फिल्म का डायरेक्शन भी यश चोपड़ा ने नहीं किया| पूनम ढिल्लो और फारुख शेख अभिनीत इस फिल्म के डायरेक्टर मनमोहन कृष्ण थे| फिल्म सुपर हिट रही और इसका टाइटल सॉन्ग भी यशराज फिल्म्स की पिछली फिल्म के गीतों की तरह लोगों की जुबान पर छा गया| बॉक्स ऑफिस पर इस फिल्म ने 5 करोड़ रुपए की कमाई की| इसी साल अगस्त महीने में यशराज बैनर की एक और फिल्म ‘काला पत्थर’ आई जिसने 6 करोड़़ रुपए कमाए| दोनों ही फिल्में सुपरहिट रहीं| अब तक यश राज बैनर बॉलीवुड में अपना अलग मुकाम बना चुका था| यशराज बैनर एक के बाद एक बेहतरीन फिल्में देता जा रहा था| इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए वर्ष 1981 में यशराज फिल्म्स ने वह कर दिखाया जो अब तक हिंदी सिनेमा के इतिहास में किसी ने नहीं किया था| एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर को लेकर हिंदी सिनेमा को यशराज बैनर ने पहली फिल्म वर्ष 1981 में फिल्म सिलसिला के रूप में थी| अमिताभ बच्चन जया भादुड़ी,  रेखा और संजीव कुमार स्टारर यह फिल्म अपने आप में एक अनोखी और बेहतरीन प्रेम कहानी थी| इस फिल्म ने हिंदी सिनेमा को एक नया आयाम दिया| यह फिल्म हिंदी सिनेमा मेें आ रहे बदलाव की गवाह बनी| बॉक्स ऑफिस पर इस फिल्म ने कमाल कर दिया और बॉक्स ऑफिस पर इसने 7 करोड़ रुपए से भी ज्यादा की कमाई की| दिलचस्प बात यह रही कि एंग्री यंग मैन कहे जाने वाले अमिताभ बच्चन को जब-जब यशराज फिल्म्स ने एक प्रेमी के तौर पर पेश किया तो वह ज्यादा पसंद किए गए| यशराज बैनर के लिए यह फिल्म मील का पत्थर साबित हुई| यशराज बैनर सफलता के आसमान पर था|

नाखुदा सवाल और फासले जैसी फिल्में देने के बाद वर्ष 1984 में वह एक और लाजवाब बेहतरीन कलाकारों से सजी फिल्म मशाल लेकर आए| यह फिल्म मशहूर मराठी लेखक वसंत कानिटकर के मराठी नाटक अश्रूंची झाली फुले पर आधारित थी| दिलीप कुमार, वहीदा रहमान, अनिल कपूर और रति अग्निहोत्री जैसे सितारों से सजी यह फिल्म बेहद पसंद की गई| आज भी इस फिल्म के लिए दिलीप कुमार को याद किया जाता है| वक्त के साथ सिनेमा बदल रहा था और यशराज फिल्म्स का अंदाज ए बयां भी बदल रहा था| वर्ष 1989 में प्यार की एक नई कहानी के साथ यशराज बैनर फिल्म ‘चांदनी’ लेकर आया| श्रीदेवी, ऋषि कपूर और विनोद खन्ना के शानदार अभिनय से सजी इस फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर भी शानदार सफलता मिली| प्रेम त्रिकोण की अनोखी परिभाषा को दर्शाती इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर ₹26 करोड़ से भी अधिक की कमाई की| फिल्म के गाने आज भी लोगों के दिलों में बसे हुए हैं| यह फिल्म श्रीदेवी की पहचान बन गई थी और लोग उन्हें चांदनी के नाम से ही जाने लगे थे|

चांदनी के बाद वर्ष 1991 में यशराज फिल्म्स ने एक बार फिर प्यार के एक नए अंदाज को फिल्म लम्हे में पेश किया| एक बार फिर श्रीदेवी यशराज बैनर के साथ इस फिल्म में नजर आई| लेकिन बॉक्स ऑफिस पर अजय देवगन की पहली फिल्म ‘फूल और कांटे’ के आगे अनिल कपूर और श्रीदेवी स्टारर फिल्म ‘लम्हे’ मुंह के बल गिर पड़ी| ऐसा पहली बार हुआ था जब यशराज बैनर की अनोखी प्रेम कहानी को दर्शकों ने नकार दिया| इसके बावजूद यशराज फिल्म ने प्रेम को नए रूप में नए तरीके से प्रस्तुत करने का सिलसिला नहीं तोड़ा और 1993 में यशराज फिल्म्स ने सनी देओल, शाहरुख खान और जूही चावला स्टारर फिल्म ‘डर’ के जरिए एक बार फिर एक अलग तरह की प्रेम कहानी को सिल्वर स्क्रीन पर उतारा| दर्शकों ने भी इस फिल्म को भरपूर प्यार दिया और यह फिल्म यशराज बैनर की सफलतम फिल्मों का हिस्सा बनी| 1994 में यशराज फिल्म्स ‘ये दिल्लगी’ लेकर आए| इसके बाद वर्ष 1995 में यश चोपड़ा के बेटे आदित्य चोपड़ा ने यशराज फिल्म्स के बैनर तले ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ फिल्म से डायरेक्शन में डेब्यू किया| शाहरुख खान और काजोल स्टारर इस फिल्म में जाने कितने पुरस्कार जीते और हिंदी सिनेमा में नया इतिहास रच दिया| यह फ़िल्म हिंदी सिनेमा मेें सबसे ज्यादा दिनों तक थिएटर में लगातार चलने वाली फिल्म बन चुकी है| मुंबई के मराठा मंदिर सिनेमा घर में यह फिल्म 1000 हफ्तों से भी अधिक समय तक चली| यशराज फिल्म्स की गोल्डन जुबली के साथ ही यह फिल्म अपनी सिल्वर जुबली भी मना रही है|

डीडीएलजे की अपार सफलता के बाद यशराज फिल्म्स 1997 में एक बार फिर शाहरुख खान के साथ फिल्म ‘दिल तो पागल है’ लेकर आया| यह फिल्म भी सुपरहिट साबित हुई| शाहरुख खान अब तक यशराज फिल्म्स के पसंदीदा हीरो बन चुके थे| यही वजह है कि वर्ष 2000 में एक बार फिर यशराज फिल्म्स ने शाहरुख खान को लेकर फिल्म ‘मोहब्बतें’ बनाई| इस फिल्म से यश चोपड़ा के छोटे बेटे उदय चोपड़ा ने भी अभिनय की दुनिया में कदम रखा| ऐश्वर्या राय, अमिताभ बच्चन, जुगल हंसराज, शमिता शेट्टी, किम शर्मा और जिम्मी शेरगिल जैसे कई कलाकारों से सजी यह मल्टीस्टारर फिल्म 3 घंटे 36 मिनट लंबी थी| इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर जमकर धमाल मचाया और ₹90 करोड़ का बिजनेस किया| यशराज बैनर की इस फिल्म ने साबित कर दिया था कि प्यार को जिस नजरिए से यश चोपड़ा देख सकते हैं उस नजरिए से कोई और नहीं देख सकता|

‘मोहब्बतें’ के बाद यशराज फिल्म्स ने ‘मेरे यार की शादी है’, ‘हम तुम’ और ‘साथिया’ जैसी सफल फिल्में दी| साल 2004 यशराज बैनर के लिए बहुत अच्छा रहा| इस साल यशराज बैनर ने ‘हम तुम’, वीर जारा और ‘धूम’ जैसी फिल्में दीं| तीनों ही फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सफल रहींं लेकिन ‘वीर जारा’ लोगों के दिलों में बस गई| इस फिल्म में प्यार को किस तरह पेश किया गया उसकी कल्पना हिंदी सिनेमा में पहले कभी किसी ने नहीं की| प्यार का इतना लंबा इंतजार और उस इंतजार के बाद मिलन की कहानी को यश चोपड़ा ने जिस करिश्माई तरीके से पर्दे पर तारा उसका कोई सानी नहीं है| यशराज फिल्म्स की कमान अब तक यश चोपड़ा ही संभाल रहे थे लेकिन उनके बड़े बेटे आदित्य चोपड़ा भी इंडस्ट्री में पूरी तरह एक्टिव हो चुके थे| वह डायरेक्शन और प्रोडक्शन दोनों का काम बेहतरीन तरीके से देख रहे थे|

‘वीर जारा’ के बाद ‘बंटी और बबली’, ‘सलाम नमस्ते’, ‘नील एंड निक्की’ जैसी कुछ और फिल्में यशराज फिल्म्स के बैनर तले बनाई गईं लेकिन ये फिल्मेें औसत ही रहीं|

इसके बाद 2006 में यशराज बैनर में आमिर खान की एंट्री हुई और काजोल के साथ उनकी जोड़ी ने फिल्म ‘फना’ के जरिए लोगों का दिल जीत लिया| इसके बाद धूम सीरीज की फिल्मों ने यशराज बैनर को सफलता की नई बुलंदियों पर लाकर खड़ा कर दिया| 550 करोड़ रुपए का बिजनेस करने के साथ ही फिल्म ‘धूम-3’ हिंदी सिनेमा के इतिहास में सबसे ज्यादा कमाई करने वाली उस दौर की चौथी सबसे बड़ी फिल्म बन गई थी|

2007 में यशराज बैनर ‘तारा रम पम’, ‘झूम बराबर झूम’, ‘चक दे इंडिया’, ‘लागा चुनरी में दाग’ और ‘आजा नच ले’ जैसी फिल्में लेकर आया| हालांकि इनमें से ‘चक दे इंडिया’ को छोड़कर कोई भी फिल्म खास कमाल नहीं दिखा सकी| वहीं 2008 में ‘टशन’, ‘थोड़ा प्यार थोड़ा मैजिक’, ‘बचना ए हसीनोंं’ और ‘रब ने बना दी जोड़ी’ जैसी फिल्में यशराज फिल्म्स के बैनर तले बनाई गई| इनमें से भी कोई भी फिल्म वह कमाल नहीं दिखा पाई जिसके लिए यशराज बैनर मशहूर था| 2009 में आई फिल्म ‘न्यूयॉर्क’, ‘दिल बोले हड़़िप्पा’ और ‘रॉकेट सिंह’ भी औसत ही रही| ‘न्यूयॉर्क’ तो औसत से भी कम रही| इसी तरह 2010 में ‘प्यार इंपॉसिबल’, ‘बदमाश कंपनी’ और ‘लफंगे परिंदे’ जैसी फिल्में भी यशराज बैनर को सफलता की नई ऊंचाइयों पर नहीं ले जा सके| हालांकि इस दौरान ‘बैंड बाजा बारात’, ‘मेरे ब्रदर की दुल्हन’, ‘लेडीज वर्सेस रिकी बहल’ और ‘इशकजादे’ जैसी कुछ फिल्में काफी पसंद की गईं| साल 2012 यशराज बैनर के लिए एक बार फिर सफलता का गवाह बना| 2012 में फिल्म ‘इशकजादे’ और ‘एक था टाइगर’ के साथ ही यशराज बैनर के संस्थापक यश चोपड़ा की आखिरी फिल्म ‘जब तक है जान’ रिलीज हुई| तीनों ही फिल्में सफल रही जिनमें ‘एक था टाइगर’ ने बॉक्स ऑफिस पर कमाई के अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ डालें| घरेलू बॉक्स ऑफिस पर 33.5 करोड़ रुपए की ओपनिंग करने वाली यह भारतीय सिनेमा की पहली फिल्म थी| फिल्म का ओवर ऑल वर्ल्ड वाइड कलेक्शन 320 करोड़ रुपए रहा| हालांकि इसके साल भर बाद आई धूम सीरीज की तीसरी फिल्म ‘धूम-3’ ने 550 करोड़ रुपए का बिजनेस करके ‘एक था टाइगर’ का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया|

2013 में ही ‘औरंगजेब’ और ‘शुद्ध देसी रोमांस’ जैसी फिल्में भी यशराज बैनर तले बनाई गईं जिन्हें दर्शकों का मिलाजुला रिस्पांस ही मिला| हालांकि 2014 में आई फिल्म ‘गुंडे’ और ‘मर्दानी’ काफी पसंद की गई लेकिन इसी साल यशराज बैनर की तीन अन्य फिल्में ‘बेवकूफियां’, ‘दावत ए इश्क’ और ‘किल दिल’ बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह गिर गईं| 2015 में आई ‘तितली’ कब तितली बनकर उड़ गई पता ही नहीं चला| हालांकि इसी साल भूमि पेडणेकर की डेब्यू फिल्म ‘दम लगा के हईशा’ ने बॉक्स ऑफिस पर खूब वाहवाही बटोरी और फिल्म हिट रही| लेकिन इसी साल आई डिटेक्टिव ‘ब्योमकेश बख्शी’ भी धड़ाम हो गई| 2016 में यशराज बैनर ‘फैन’, ‘सुल्तान’ और ‘बेफिक्रे’ लेकर आया| इनमें सुल्तान सबसे सफल रही| यह वह दौर था जब यशराज बैनर के संस्थापक यश चोपड़ा इस दुनिया से रुखसत हो चुके थे| लेकिन ‘सुल्तान’ की प्रेम कहानी ने यश चोपड़ा के अंदाज को जरूर पेश किया|

2017 में भी यशराज फिल्म्स ने ‘मेरी प्यारी बिंदु’, ‘कैदी बैंड’ और ‘टाइगर जिंदा है’ कुल तीन फिल्में दीं| इनमें ‘टाइगर जिंदा है’ ही बॉक्स ऑफिस पर कामयाब रही| 2018 में यश राज फिल्म्स फिल्म ‘हिचकी’ के जरिए एक अलग तरह की कहानी लेकर आया| यह फिल्म कमर्शियली उतनी सक्सेसफुल नहीं रही लेकिन आलोचकों ने इसे काफी सराहा| साथ ही रानी मुखर्जी के अभिनय को भी काफी पसंद किया गया| इसी साल आई वरुण धवन और अनुष्का शर्मा की फिल्म ‘सुई धागा’ भी यशराज बैनर की सफल फिल्मों में शुमार हुई| यशराज बैनर तले वरुण धवन की यह पहली फिल्म थी| इसी साल यशराज बैनर की एक बड़े बजट की फिल्म ‘ठग्स ऑफ हिंदुस्तान’ भी रिलीज हुई| बॉक्स ऑफिस पर यह फिल्म सफल रही और 300 करोड़ के क्लब में शामिल भी हुई| हालांकि इस फिल्म का बजट 200 करोड़ रुपए से भी ज्यादा का था| 2019 में यशराज बैनर दो फिल्में लेकर आया| इनमें से एक थी रितिक रोशन और टाइगर श्रॉफ स्टारर फिल्म ‘वॉर’ और दूसरी थी रानी मुखर्जी स्टारर फिल्म ‘मरदानी-2’ | फिल्म ‘वॉर’ जहां दर्शकों द्वारा बेहद पसंद की गई वहीं ‘मर्दानी-2’ औसत ही रही|

यशराज बैनर की अपकमिंग फिल्में
वर्ष 2020 में यशराज बैनर की कई फिल्में कतार में हैं| गोल्डन जुबली के अवसर पर यश राज फिल्म्स इस साल कई बड़ी फिल्मों पर काम कर रहा है| इनमें 7 फरवरी को फिल्म ‘मलंग’, 13 मार्च को फिल्म ‘छलांग’, फिल्म ‘जयेश भाई जोरदार’, 31 जुलाई को ‘शमशेरा’ और दीपावली पर ‘पृथ्वीराज’ रिलीज करने की तैयारी है| इसके अलावा ‘बंटी और बबली’ फिल्म का सीक्वल एवं ‘संदीप और पिंकी फरार’ फिल्म भी देखने को मिलेगी|

न्यू कमर पर भी जताया भरोसा
यशराज फिल्म्स ने सिर्फ अमिताभ बच्चन, राखी और राजेश खन्ना जैसे मंझे हुए कलाकारों पर ही दांव नहीं खेला बल्कि कई न्यू कमर को भी मौका दिया| इनमें अर्जुन कपूर, परिणीति चोपड़ा, रणवीर सिंह, अनुष्का शर्मा और भूमि पेडणेकर जैसे कलाकार शामिल हैं| अनुष्का शर्मा ने वर्ष 2008 में फिल्म ‘रब ने बना दी जोड़ी’ से बॉलीवुड में डेब्यू किया था| 2010 में यशराज फिल्म्स के बैनर तले रणवीर सिंह ने फिल्म ‘बैंड बाजा बारात’ से बॉलीवुड में बतौर लीड एक्टर कदम रखा| 2011 में फिल्म ‘लेडीज वर्सेस विक्की बहल’ से परिणीति चोपड़ा ने अपना फिल्मी सफर शुरू किया| वहीं वर्ष 2012 में फिल्म ‘इशकजादे’ के साथ अर्जुन कपूर रुपहले पर्दे पर पहली बार नजर आए| इसके बाद वर्ष 2013 में वाणी कपूर फिल्म ‘शुद्ध देसी रोमांस” में पहली बार सिल्वर स्क्रीन पर रोमांस करती नजर आईं| वर्ष 2015 में यशराज फिल्म्स के बैनर तले फिल्म ‘दम लगा के हईशा’ से भूमि पेडणेकर ने अपनी अलग पहचान बनाई| इसके अलावा अनन्या पांडे और आदर चयन को लांच करने का क्रेडिट भी यशराज फिल्म्स को ही जाता है| संभव है साल 2020 में भी यशराज बैनर कुछ नए चेहरों को मौका देगा|

ये हैं यशराज बैनर के पसंदीदा कलाकार
यशराज फिल्म्स ने वैसे तो हर पीढ़ी के कलाकारों के साथ बेहतरीन फिल्में बनाई लेकिन कुछ चुनिंदा कलाकार यशराज बैनर की पहली पसंद बने| इनमें सबसे पहला नाम राखी गुलजार का है| 70 के दशक में राखी ने यशराज बैनर की 5 में से 4 फिल्मों में लीड रोल किया था| अमिताभ बच्चन ने यशराज फिल्म्स के छह प्रोजेक्ट किए जिनमें से 3 फिल्मों में वह लीड रोल में थे| ऋषि कपूर और यशराज बैनर का रिश्ता काफी गहरा रहा और दोनों ने साथ में 10 फिल्में कीं| 80 के दशक की सबसे ज्यादा सफल फिल्म ‘चांदनी’ मेें भी ऋषि कपूर नजर आए| वहीं बॉलीवुड के बादशाह कहे जाने वाले शाहरुख खान ने भी यशराज बैनर का भरपूर साथ दिया| वर्ष 1993 में शाहरुख खान ने फिल्म ‘डर’ से यशराज फिल्म्स के साथ काम की शुरुआत की और अब तक वह यशराज फिल्म्स के साथ 9 फिल्में कर चुके हैं| यशराज बैनर के साथ सबसे अधिक फिल्म अगर किसी एक्ट्रेस ने की है तो वह हैं रानी मुखर्जी| रानी मुखर्जी अब तक यशराज बैनर की 12 फिल्मों का हिस्सा बन चुकी हैं| साल 2002 में आई फिल्म ‘मुझसे दोस्ती करोगेे’ रानी मुखर्जी की यशराज फिल्म्स के साथ पहली फिल्म थी| वहीं सैफ अली खान और कैटरीना कैफ भी यशराज फिल्म्स के साथ आधा दर्जन से भी अधिक फिल्में कर चुके हैं| इसके अलावा सलमान खान रितिक रोशन और आमिर खान भी यशराज फिल्म्स का हिस्सा रहे हैं| अर्जुन कपूर, वरुण धवन, अनुष्का शर्मा, टाइगर श्रॉफ सहित कुछ अन्य कलाकारों के हिस्से में भी यशराज बैनर की कुछ फिल्में आई हैं.

अजय देवगन आज तक नहीं बन सके यशराज फिल्म्स का हिस्सा
यशराज फिल्म्स और बॉलीवुड स्टार अजय देवगन की तकरार वर्षों पुरानी है| दरअसल, वर्ष 1991 में यशराज फिल्म्स अनिल कपूर और श्रीदेवी स्टारर फिल्म ‘लम्हे’ लेकर आया था. यह फिल्म दीवाली के मौके पर रिलीज होने वाली थी लेकिन अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘अकेला’ दीवाली पर लांच होने जा रही थी जिसके चलते यश चोपड़ा ने ‘लम्हे’ रिलीज नहीं की| उन्होंने अपनी फिल्म की तारीख आगे बढ़ाते हुए उसे ‘फूल और कांटे’ के साथ रिलीज करने का फैसला किया| अजय देवगन ‘फूल और कांटे’ से डेब्यू करने जा रहे थे| बताया जाता है कि यश चोपड़ा ने अजय देवगन की फिल्म के प्रोड्यूसर पर दबाव बनाया कि वह ‘फूल और कांटे’ की रिलीज डेट आगे बढ़ा दें| लेकिन अजय देवगन और फिल्म के प्रोड्यूसर ने यश चोपड़ा की बात नहीं मानी और ‘लम्हे’ के साथ ही ‘फूल और कांटे’ रिलीज हो गई| अजय देवगन पहली ही फिल्म से दर्शकों के दिलों पर राज करने लगे और यशराज फिल्म्स की ‘लम्हे’ बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप हो गई| बस यहीं से यशराज फिल्म्स और अजय देवगन की तकरार शुरू हुई| अजय देवगन ने कभी यशराज फिल्म्स के साथ काम नहीं किया| दोनों की तकरार का एक मौका वर्ष 2012 में उस वक्त सामने आया जब यश चोपड़ा की अंतिम फिल्म ‘जब तक है जान’ रिलीज होने वाली थी| इस फिल्म के साथ ही अजय देवगन की ‘सन ऑफ सरदार’ भी रिलीज की जानी थी| यशराज फिल्म्स ने अपनी फिल्म के लिए ज्यादा स्क्रीन ले ली और अजय देवगन मामले को लेकर अदालत पहुंच गए| हालांकि अजय देवगन जब अदालत गए थे उस वक्त यश चोपड़ा जिंदा थे लेकिन फिल्म रिलीज होने से पहले ही यश चोपड़ा इस दुनिया से चल बसे| मामला जब अदालत जा पहुंचा तो यशराज बैनर और अजय देवगन की दुश्मनी और गहरी हो गई| यशराज फिल्म्स ने तब अजय देवगन ही नहीं उनकी पत्नी काजोल से भी किनारा कर लिया| इसके बाद काजोल यशराज फिल्म्स की किसी भी फिल्म का हिस्सा नहीं बन पाई| इतना ही नहीं फिल्म ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे’ के 20 साल पूरे होने की खुशी में पार्टी रखी गई तो यशराज फिल्म्स ने अपनी फेवरेट हीरोइनों को बुलाया| इनमें रेखा से लेकर माधुरी दीक्षित और जूही चावला तक को इनवाइट किया गया लेकिन काजोल को नहीं बुलाया गया| हालांकि चर्चा है कि काजोल अब एक फिल्म ‘इला’ कर रही हैं जिसकी शूटिंग यशराज स्टूडियो में की जा रही है| लेकिन इस फिल्म के निर्माता अजय देवगन हैं|

Aditya Chopra

आदित्य चोपड़ा और उदय चोपड़ा के हाथों में है यशराज फिल्म्स की कमान 

जाने-माने निर्माता-निर्देशक और यशराज फिल्म्स के संस्थापक यश चोपड़ा के निधन के बाद यशराज फिल्म्स की कमान उनके दोनों बेटे आदित्य चोपड़ा और उदय चोपड़ा संभाल रहे हैं| आदित्य चोपड़ा ने जहां वर्ष 1995 में फिल्म ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे’ से बतौर डायरेक्टर डेब्यू किया था, वहीं उदय चोपड़ा यशराज फिल्म्स की कई फिल्मों में बतौर अभिनेता काम कर चुके हैं| इस समय यशराज फिल्म्स के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर आदित्य चोपड़ा हैं जबकि वाईआरएफ एंटरटेनमेंट के सीईओ और डायरेक्टर उदय चोपड़ा हैं|

Uday Chopra

यशराज फिल्म्स कंपनी प्रोडक्शन, डिस्ट्रीब्यूशन, स्टूडियो, मार्केटिंग, म्यूजिक, लाइसेंस इन मर्चेंडाइजिंग, डिजिटल, टैलेंट, प्रोडक्ट प्लेसमेंट, कम्युनिकेशंस, टेक्निकल, विजुअल इफेक्ट्स आदि के क्षेत्र में भी सक्रिय है|

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