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सुशांत को श्रद्धांजलि देने उनके घर पहुंचे नाना पाटेकर ने मीडिया को दिया ऐसा जबाब…

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आप क्या सवाल पूछ रहे हैं मुझे समझ नहीं आ रहा। कुछ नहीं कहा बस उनके पिता जी से मिला और परिवार को इस मुश्किल घड़ी में सांत्वना दी। इन बातों का जिक्र बॉलीवुड अभिनेता नाना पाटेकर ने पटना में मीडिया से सुशांत सिंह राजपूत के घर से निकलने के बाद की। मीडिया ने कई अन्य सवाल उनसे पूछे मगर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया और फिर वहां से निकल गए।

रविवार को बॉलीवुड अभिनेता नाना पाटेकर दोपहर बाद सुशांत सिंह राजपूत के राजीवनगर स्थित घर उनके परिजनों से मिलने पहुंचे। सफेद गाड़ी से उतरकर नाना सीधे सुशांत के घर के अंदर चले गए। मीडिया को गेट पर ही रोक दिया गया। उन्होंने किसी सवाल का जवाब नहीं दिया। सुशांत की तस्वीर पर उन्होंने माल्यार्पण किया और उन्हें श्रद्धांजलि दी।

लगभग आधे घंटे तक वे घर के अंदर रुके और उनके पिता जी से मुलाकात की।  इस दुखद घटना के बाद परिवार के लोगों को इस मुश्किल घड़ी में हिम्मत से काम लेने की सलाह दी। देशभर में सुशांत मामले पर चल रहे विवाद को लेकर उन्होंने मीडिया से कुछ नहीं कहा। बाहर निकलने पर जब मीडिया ने उनसे बातचीत करनी चाही तो उन्होंने कुछ खास नहीं कहा।

कड़ी सुरक्षा के बीच नाना जब उनके घर पहुंचे तो वह काफी दुखी नजर आ रहे थे। काफी शांत भाव से वे घर के गए और मुलाकात कर बाहर निकले और अपनी गाड़ी में बैठ चले गए। मुलाकात के दौरान अंदर किसी को जाने की अनुमति नहीं दी गई थी।

इससे पहले जाने-माने फिल्म अभिनेता नाना पाटेकर शनिवार को मुंबई से मोकामा पहुंचे थे। इस दौरान वे मोकामा में जवानों और किसानों से मिले। खेतों में हल चलाया। चरखा चलाया। सूत काटे। किसानों से खेती को लेकर बात भी की। गंगा किनारे होने वाली खेती भी देखी। एक बॉलीवुड अभिनेता को अपने बीच पाकर किसान, जवान और स्थानीय ग्रामीण काफी उत्साहित दिखे। वे जहां निकलते लोगों की भीड़ साथ चल पड़ रही थी।

लोगों से मिले प्यार से इतने अभिभूत हो गये कि फिर आने का वादा भी किया। किसानों संग दो दिन गांव में बिताने की भी बात कही। नाना पाटेकर के इस विशेष दौरे का मकसद जवानों के साथ ही किसानों का उत्साहवर्धन करना था। गमन, प्रहार, परिंदा, क्रांतिवीर, अग्निसाक्षी, अपहरण, राजनीति, वेल्कम जैसी फिल्मों में अभिनय से लोगों के चहेते बने अभिनेता नाना पाटेकर स्थानीय सीआरपीएफ ट्रेंनिग सेंटर गये। वे जवानों से मिले और उनसे बातें की। उनके शौर्य को सराहा और हौसला बढ़ाया।

 

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