नीरज सिसौदिया, जालंधर
जिला कांग्रेस कार्यकारिणी के गठन में पूर्व पार्षद प्रदीप राय को सीनियर वाइस प्रधान के पद से नवाजा गया है लेकिन प्रदीप राय की ताजपोशी कई सवाल भी खड़े कर रही है. क्या प्रदीप राय वाकई इस पद को पाना चाहते थे? अगर नहीं तो फिर उन्होंने इस पद को स्वीकार क्यों किया? सियासी गलियारों में प्रदीप राय की ताजपोशी को लेकर कई तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म है.
दरअसल, कांग्रेस जिला प्रधान बलदेव सिंह देव और प्रदीप राय की दोस्ती से सारा शहर वाकिफ है. ये दोस्ती पिछले लगभग आठ-दस सालों से चली आ रही है. मोर्चा कोई भी हो दोनों हमेशा एक साथ डटे नजर आते हैं. दोनों ही विधायक सुशील रिंकू की घटिया राजनीति के शिकार भी हुए लेकिन ये दोनों की दोस्ती की ही ताकत है कि पार्टी में अपनी खोई हुई जमीन दोनों ने फिर से हासिल कर ली. हालांकि प्रदीप राय पिछले दिनों कुछ टूटे हुए नजर आ रहे थे लेकिन बलदेव सिंह देव अपनी इस ताकत को किसी भी हाल में खोना नहीं चाहते थे. उन्हें पता था कि प्रदीप राय के जाने से वह न सिर्फ सियासी तौर पर कमजोर हो जाएंगे बल्कि एक अच्छा दोस्त भी हमेशा के लिए खो देंगे. यही वजह रही कि प्रदीप राय को सीनियर वाइस प्रधान का पद प्रदीप राय को प्लेट में परोस कर दिया गया जबकि उन्हें इस पद में कोई दिलचस्पी नहीं थी. प्रदीप राय इस पद को लेकर बिल्कुल भी उत्साहित नहीं थे लेकिन बलदेव सिंह देव की दोस्ती ने उन्हें मजबूर कर दिया और वह इनकार नहीं कर सके. प्रदीप राय ने दोस्ती की खातिर पद तो स्वीकार कर लिया लेकिन अब भी वह पार्टी के कार्यकर्ता के तौर पर ही काम करने की बात कहते हैं. प्रदीप राय कहते हैं कि मैं हमेशा से पार्टी के सिपाही के तौर पर काम करता रहा हूं और आगे भी करता रहूंगा. पार्टी ने मुझे जो मान सम्मान बख्शा है उसके लिए मैं मुख्य मंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और जिला अध्यक्ष बलदेव सिंह देव का शुक्र गुजार हूं. मुझे पद की कोई लालसा नहीं है. अगर पार्टी मुझे इस पद पर नहीं बिठाती तब भी मैं पार्टी के लिए उसी तन मन धन से काम करता जिस तरह से करता आया हूं. बलदेव सिंह देव से दोस्ती के बारे में पूछे जाने पर प्रदीप राय कहते हैं कि देव साहब मेरे अच्छे मित्र हैं और उन्हें मजबूत करना मेरा कर्तव्य है. मैं पार्टी के सिपाही के साथ ही देव के दोस्त होने का फर्ज भी पूरी तत्परता से निभाऊंगा. जिले में संगठन को और मजबूती प्रदान कर आगामी विधानसभा चुनाव में जालंधर की चारों सीटों पर कांग्रेस को जीत दिलाई जाएगी.
बहरहाल, प्रदीप राय की ताजपोशी पार्टी को तोड़ने वाले विरोधी गुट के लिए शुभ संकेत नहीं कही जा सकती. आने वाले समय में कांग्रेस का सियासी ऊंट किस करवट बैठता है यह देखना दिलचस्प होगा.