नीरज सिसौदिया, नई दिल्ली
1984 में हुए दंगों में जान गंवाने वाले सिखों को अब इंसाफ मिलता नजर आ रहा है. वहीं महेंद्र यादव की जमानत नामंजूर होने के बाद दंगों के दोषी सज्जन कुमार की मुश्किलें भी बढ़ती नजर आ रही हैं.
दिल्ली सिख गरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने 1984 के सिख कत्लेआम केस में मुख्य दोषी सज्जन कुमार के साथ सह दोषी करार दिये गये महिंद्र यादव द्वारा लगाई अर्ज़ी नामंज़ूर किये जाने का स्वागत किया है।
यहां जारी किए एक बयान में स. सिरसा ने कहा कि 1984 में सिख कत्लेआम के दौरान दिल्ली कैंट के राजनगर में जगदीश कौर के पति केहर सिंह, पुत्र गुरप्रीत सिंह, केहर सिंह के रिश्तेदारी में लगते भाई रघुविंदर सिंह, नरेन्द्रपाल सिंह कुलदीप सिंह का कत्ल कर दिया गया था। इसके अलावा निरप्रीत कौर ने भी एक शिकायत दर्ज करवाई थी कि भीेड़ ने उसके पिता निर्मल सिंह को जीवित जला दिया था और गुरुद्वारा साहिब में आग लगा दी। उन्हाेंने बताया कि चाहे इन मामलों में पहले सज्जन कुमार व महेंद्र यादव बरी हो गये थे पर दोबारा जांच के दौरान सज्जन कुमार व सहयोगी महेंद्र यादव, गिरधाली लाल, कृष्ण खोखर, बलवान खोखर व कप्तान भागमल को अदालत द्वारा सज़ा सुनाई गयी थी। उन्हाेंने बताया कि शिरोमणि अकाली दल और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने इन्हें सजा दिलाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी है। उन्होंने कहा कि अगर महेंद्र यादव जैसे दोषी बाहर आ जाते तो यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण होता पर वह सुप्रीम कोर्ट के शुक्रगुज़ार हैं जिसने इन जैसे निर्दयी कातिलों की ज़मानत रद्द कर दी है।
स. सिरसा ने यह भी कहा कि आने वाले समय में 1984 के सिख कत्लेआम के सभी दोषी सलाखों के पीछे पहुंचाये जायेंगे ओर यह जेलों में ही आख़िरी सांस लेंगे।
महेंद्र यादव की ज़मानत रद्द होने का दिल्ली कमेटी सदस्य आत्मा सिंह लुबाणा द्वारा भी स्वागत किया गया।