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क्या गायों के कारण बढ़ रही है जहरीली गैस? जानिए, क्या है सच्चाई…

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फास्ट फूड चेन बर्गर किंग के हालिया विज्ञापन पर काफी बवाल मचा. उसमें गायों को कुछ महीनों तक लेमनग्रास खिलाने की सलाह दी गई है ताकि उनसे मीथेन गैस का निकलना कम हो सके. इस विज्ञापन पर लोगों को अलग-अलग कारणों से आपत्ति है. हालांकि ये बात सोचने की है कि क्या गायों से इतनी ज्यादा मीथेन और दूसरी ग्रीन हाउस गैस निकलती हैं कि उसके लिए परेशान होना पड़े! अब तक आ चुकी कई स्टडीज में ये दावा किया गया है कि गायों से जहरीली गैसें निकलती हैं.

पालतू पशुओं से निकलती है मीथेन
ग्लोबल वार्मिंग की चर्चाओं के बीच कुछ साल पहले वैज्ञानिकों ने पाया कि गायों से काफी मात्रा में मीथेन निकलती है. नासा (National Aeronautics and Space Administration) की रिपोर्ट के अनुसार एक गाय के डकारने से सालभर में 80 से 120 किलो तक मीथेन गैस निकलती है. ये उतनी ही है, जितनी एक फैमिली कार के सालभर चलने पर निकलने वाली कार्बन. दूसरे कई पालतू जानवरों से भी मीथेन निकलती है. माना जाता है कि दुनिया की कुल जहरीली गैसों में लगभग 14 प्रतिशत गैस का उत्सर्जन गायों, बकरी, सुअर, भेड़ के कारण होता है. उनकी डकार और फार्ट से काफी गैस निकलती है.

सभी जानवरों और इंसानी आंतों में भी अरबों-खरबों बैक्टीरिया होते हैं जो खाने के पाचन में मदद करते हैं. खाने का कुछ हिस्सा पच नहीं पाता तब यही बैक्टीरिया उसे पचाने के लिए विटामिन k और विटामिन B में बदल देते हैं. इस प्रक्रिया में बैक्टीरिया गैस निकालते हैं. ये गैस मीथेन गैस कहलाती है, जो ग्रीनहाउस गैस के तहत आती है.

आपको बता दें कि ग्रीनहाउस गैसें वो होती हैं, जो सूरज की गरमी लेकर धरती को गर्म कर रही हैं. यानी खाने के बाद उसे पचाने के लिए गाय की जुगाली और इस प्रक्रिया में आती डकारें धरती को गर्म कर रही हैं.

गायों की आंतों में एक तरह के बैक्टीरिया मीथेन गैस के ज्यादा उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं. आंत के बाहरी हिस्से में रहने वाले ये बैक्टीरिया रूमेन कहलाते हैं. ये बैक्टीरिया ज्यादा खतरनाक इसलिए हैं क्योंकि ये बिना ऑक्सीजन के भी जीवित रह पाते हैं. गायें जब चारा खाती हैं जो उसका फर्मेंटेशन (सड़ाकर) उससे पोषण लेते हैं. इसी प्रक्रिया में गायों को बार-बार डकार आती है और मीथेन निकलती है.

गायों के पाचन की प्रोसेस को कम हानिकारक बनाने के लिए क्लाइमेट चेंज से जुड़े एक्सपर्ट शोध कर रहे हैं. एक प्रयोग में पाया गया कि अगर गाय को खाने में समुद्री शैवाल मिलाकर दें तो उसकी डकार 30 प्रतिशत तक कम हो जाती है. इसी कड़ी में बर्गर किंग ने भी अपना विज्ञापन दे दिया. उसमें लिखा था कि हम अपनी गायों को लेमनग्रास खिलाते हैं और इससे ग्रीनहाउस गैसों का निकलना 33 प्रतिशत तक घटा है. बता दें कि दूसरे देशों में बर्गर किंग में बीफ प्रोडक्ट भी मिलते हैं. अब कोरोना के बाद से लोग नॉनवेज खाना कम कर रहे हैं तो उसकी बिक्री भी घटी. इसी के बाद कंपनी ने ऐसा विज्ञापन दिया, जिसपर बवाल मचा.

सिर्फ गायें ही नहीं, बल्कि वो सभी पालतू जानवर, जिनके पेट में पाचन के लिए चार चैंबर होते हैं, उनके खाने और पचाने की प्रक्रिया में मीथेन गैस निकलती है. यूएन के फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक गायों के अलावा सुअर, भेड़, बकरियों से भी मीथेन निकलता है. लेकिन गायों से मीथेन उत्सर्जन सबसे ज्यादा होता है. वहीं जंगली जानवरों से मीथेन उत्सर्जन काफी कम होता है क्योंकि उनका पाचन तंत्र अलग तरह से बना हुआ है.

वहीं एक गाय के खाना पचाने की प्रक्रिया में रोज 300 से 500 लीटर मीथेन निकलती है. यही वजह है कि वैज्ञानिक इसे कम करने के लिए तरह-तरह के तरीके अपनाने की कोशिश कर रहे हैं. खासकर के गायों के खानपान में बड़ा बदलाव करने या उसे इंजेक्शन देने के ताकि आंतों के बैक्टीरिया नष्ट हो जाएं. वहीं इसके उलट वैज्ञानिकों का एक तबका ये भी मानता है कि आंतों में पाए जाने वाले बैक्टीरिया (सभी) पाचन क्षमता अच्छी रखते हैं. ऐसे में किसी खास बैक्टीरिया को मारना गायों की सेहत के लिए खतरनाक भी सकता है.

 

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