नीरज सिसौदिया, जालंधर
देशभर में कोरोना वायरस लोगों की जान ले रहा है. कोरोना संक्रमित मरीजों का आंकड़ा रोज नए रिकॉर्ड बनाता जा रहा है. इसकी रोकथाम के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आए दिन जनता से सोशल डिस्टेंसिंग और कोरोना से बचाव के उपाय अपनाने की सलाह देते नहीं थक रहे. कानून तोड़ने वालों के लिए सजा का प्रावधान भी किया गया है. इसके बावजूद लापरवाह लोग मानने को तैयार नहीं हैं. मोदी के अभियान को खुद जालंधर जिला भाजपा की नव नियुक्त टीम ही पलीता लगाने में जुटी है. हैरानी तो तब होती है जब मोहिंदर भगत जैसे वरिष्ठ नेता भी लापरवाहों की इस जमात में शामिल हो जाते हैं. पूर्व सीनियर डिप्टी मेयर कमलजीत सिंह भाटिया जैसे वरिष्ठ राजनेता भी कानून का मजाक बनाने से नहीं चूकते.
क्या ये नियम सिर्फ इसलिए तोेड़े गए कि पंजाब में कांग्रेस का राज है और सत्ता पक्ष का विरोध करने का विपक्ष को जन्म सिद्ध अधिकार है. यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या पंजाब पुलिस इस लापरवाही के खिलाफ कोई कार्रवाई करती है अथवा नहीं.
दरअसल, भाजपा नेता कमल मेहता के घर पर भारतीय जनता पार्टी की नव गठित जिला कार्यकारिणी का सम्मान समारोह आयोजित किया गया था. कोविड नियमों को ताक पर रखकर यहां दर्जन भर से भी ज्यादा लोग एकत्र हुए. इनमें भाजपा जिला प्रधान सुशील शर्मा, वरिष्ठ भाजपा नेता मोहिंदर भगत और पूर्व सीनियर डिप्टी मेयर कमलजीत सिंह भाटिया जैसे दिग्गज भी शामिल थे. सम्मान कराने के चक्कर में सभी नेता सोशल डिस्टेंसिंग को भूल गए. घर से निकलते वक्त तो सभी ने मास्क लगा रखा था लेकिन सम्मान समारोह में पहुंचते ही मास्क गायब हो गया. कई लोग तो बिना मास्क के ही थे और जिनके पास मास्क था भी उन्होंने भी इससे मुंह ढंकना मुनासिब नहीं समझा. अगर इनमें से किसी एक में भी कोरोना का लक्षण हुआ तो न सिर्फ सम्मान समारोह में शामिल लोग बल्कि इनके संपर्क में आने वाले सारे लोग और परिजन कोरोना की चपेट में आ सकते हैं. अब चूंकि ये सभी तथाकथित जनप्रतिनिधि हैं तो इनके संपर्क में आने वालों का आंकड़ा क्या होगा इसका अंदाजा खुद ब खुद लगाया जा सकता है. ये कैसे लापरवाह जनप्रतिनिधि हैं जो खुसेआम मौत बांटते फिर रहे हैं. ऐसी गैर जिम्मेदार टीम के हाथों में जालंधर जिला भाजपा की कमान सौंपना वाकई चिंताजनक है. जो टीम लोगों की जिंदगी की परवाह नहीं करती, जो टीम अपने ही प्रधानमंत्री की अपील का मजाक बना कर रख दे, वो टीम भारतीय जनता पार्टी को किस मुकाम पर ले जाएगी इसका अंदाजा आप ही लगाया जा सकता है.
बेशर्मी की इंतहां तो तब हो गई जब अकाली नेता कमलजीत जीत सिंह भाटिया न सिर्फ इस लापरवाही का हिस्सा बने बल्कि फेसबुक पर इस लापरवाही की तस्वीरें तक शेयर कर डालीं. बहरहाल यह तो स्पष्ट हो चुका है कि अकाली भाजपा नेताओं का यह गठबंधन कोरोना के प्रसार में भी अहम भूमिका निभा रहा है.
अब सवाल यह उठता है कि जालंधर पुलिस के वो जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी कहां हैं जो सड़कों पर जबरन मजबूरी में जाने वालों को भी नहीं बख्शते. इन नेताओं के खिलाफ वे कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे? अब तो अकाली-भाजपा गठबंधन पंजाब की सत्ता पर भी काबिज नहीं है तो फिर वो कौन सा दबाव है जो पुलिसवालों को अकाली भाजपा गठबंधन के ऐसे लापरवाह नेताओं को गिरफ्तार करने से रोक रहा है. बहरहाल, लापरवाह नेताओं के खिलाफ भी वही कार्रवाई होनी चाहिए जो एक आम आदमी पर होती है. पंजाब पुलिस को यह नहीं भूलना चाहिए कि कानून देश के हर नागरिक के लिए बराबर है फिर चाहे वो नेता हो या फकीर. खासतौर पर भाटिया जैसे नेताओं को कानून का पाठ पढ़ाना बेहद जरूरी है जो आए दिन कानून तोड़ते नजर आते हैं.