पंजाब

कोरोना काल में मनोरंजन करते रहे कालिया

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नीरज सिसौदिया, जालंधर
आम जनता जब आपदा से जूझती है तो सियासतदान उसमें सियासी अवसर तलाशा करते हैं. खास तौर पर ऐसे सियासतदान जिनके पास कोई काम नहीं होता या फिर जनता उन्हें चुनाव में नकार चुकी होती है. ऐसी ही एक शख्सियत हैं पंजाब के पूर्व मंत्री और जालंधर केंद्रीय विधानसभा हलके के पूर्व विधायक मनोरंजन कालिया. पिछले लगभग तीन सालों से कालिया के पास कोई खास काम नहीं है. कुछ दिन पहले जब प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बदला जाना था तो कालिया का नाम भी चर्चा में आया था लेकिन अतीत के स्याह पन्नों ने कालिया को नया सियासी इतिहास रचने नहीं दिया. अब कालिया न तो मंत्री रहे, न विधायक और न ही प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी उन्हें मिल पाई थी. इसी बीच कोरोना ने दस्तक दी तो कालिया ने घर से निकलना भी बंद कर दिया. कालिया के लिए यह आपदा जैसे अवसर लेकर आई थी जनता को यह बताने के लिए कि कालिया खाली नहीं हैं बल्कि कोरोना के चलते घर बैठे हैं. अब कालिया को इस आपदा में भी अवसर नजर आने लगा. कालिया के सहयोगी और विरोधी जहां कोरोना योद्धा के रूप में जगह-जगह लोगों की मदद करते नजर आ रहे थे वहीं कालिया फेसबुक पर लोगों का मनोरंजन और अपने पब्लिसिटी करने में मस्त थे. यहां कालिया ने अपने नाम को पूरी तरह सार्थक किया और लोगों के मनोरंजन में कोई कसर नहीं छोड़ी.
कभी कालिया टीवी स्टार गजेंद्र चौहान के साथ तस्वीरें शेयर करते नजर आए तो कभी फिल्म स्टार देवानंद के साथ उनकी तस्वीरों ने खूब लाइक्स और कमेंट्स हासिल किए. मोदी जी ने उद्योगों के लिए बीस लाख करोड़ रुपए का पैकेज बांटा तो नेता जी एक चैनल पर लाइव डिबेट करते नजर आए. नेता जी की इन हरकतों से जनता तो यह समझ गई कि अब नेता जी बिल्कुल फ्री हैं. कुछ लोग तो यह भी चर्चा करने लगे कि अगर मोदी सरकार ने टिकटॉक पर प्रतिबंध नहीं लगाया होता तो शायद कालिया इसमें भी बाजी मार ले जाते. पर अफसोस आपदा ने यह अवसर नेता जी से छीन लिया. ऐसा होना लाजमी भी है क्यों न तो कालिया को जनता ने स्वीकार किया और न ही पार्टी ने. ऐसे में खाली दिमाग शैतान का घर बने, इससे बेहतर है कि कुछ मनोरंजन ही कर लिया जाए. कालिया ने भी वही किया और इस मामले में जालंधर के सारे नेताओं को पीछे छोड़कर फेसबुक स्टार बन गए. कालिया जालंधर अकेले ऐसे नेता थे जो कोरोना काल में फुर्सत के पलों में फेसबुक पर अतीत के पन्नों को खोल रहे थे.

कहते हैं अतीत की उपलब्धियों का बखान वही करता है जिसके पास वर्तमान में गिनाने के लिए कोई भी उपलब्धि न हो. कालिया के साथ भी कुछ ऐसा ही था. अतीत के सिवाय कालिया के पिटारे में कुछ नहीं था. शायद यही वजह थी कि जब राजिंदर बेरी, बावा हैनरी, केडी भंडारी, निर्मल सिंह निम्मा, प्रदीप राय, वरेश कुमार मिंटू, अरुणा अरोड़ा और मोहिंदर भगत जैसे नेता जनता की मदद करने में जुटे थे उस वक्त कालिया चाय की चुस्कियों वाली तस्वीरें फेसबुक पर अपडेट कर रहे थे. जगजीत सिंह की गजलेें सुुनते हुए कालिया की तस्वीर को खूूूब लाइक भी मिले. कालिया का अंदाज सबसे जुदा था और शायद यही वजह है कि जनता और पार्टी दोनों ने ही कालिया को अपने से जुदा कर दिया. कालिया को जब इस बात का एहसास हुआ तब तक बहुत देर हो चुकी थी. आपदा को सकारात्मक अवसर में बदलने का वक्त हाथ से निकल चुका था. बेरी अब जनता के दिलों में अपनी जगह बना चुके थे. कहीं राशन वितरण करके तो कहीं दवा बांटते हुए बेरी ने खूब तस्वीरें खिंचवाई औऱ खुद को कालिया से बेहतर साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. कालिया जिस वक्त फिल्म स्टार्स के साथ अपनी तस्वीरें पोस्ट कर रहे थे उस वक्त बेरी गरीबों और जरूरतमंदों के साथ अपनी तस्वीरें अखबारों में प्रकाशित कर वाहवाही बटोर रहे थे. कालिया को जब कुछ नहीं सूझा तो उन्होंने राशन को ही हथियार बनाकर बेरी पर वार करने की कोशिश की. लेकिन यहां भी सिवाय फजीहत के कालिया के हाथ कुछ न लगा. कालिया यह नहीं समझ पाए कि आपदा के ये अवसर हर रोज नहीं आते. यही वक्त था जब वह खुद को गरीबों के मसीहा के रूप में स्थापित कर सकते थे लेकिन फिल्मी सितारों में खोए कालिया को गरीबों की बेबसी नजर नहीं आई. बहरहाल, कालिया की जगह बेरी ने अपने खूब नंबर बनाए और सियासत की रेस में एक बार फिर कालिया को पीछे छोड़ दिया. कालिया के सियासी भविष्य के लिए यह बेहतर संकेत नहीं है. ऐसे में कालिया को जरूरत है एक बार फिर उसी ज्योतिष आचार्य की शरण में जाने की जिनके पास वह पुराने समय में अक्सर जाया करते थे. वही गुरु गोरखनाथ ही अब कालिया के मददगार बन सकते हैं.

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