नीरज सिसौदिया, जालंधर
बिल्डिंगों के नक्शे पास करने में होने वाले भ्रष्टाचार को खत्म करने और जनता को घर बैठे नक्शा पास कराने की सुविधा मुहैया कराने के उद्देश्य से पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में ई-नक्शा पोर्टल तैयार कराया गया था लेकिन इसमें कुछ खामियां रह गई थीं जिन्हें अब तक दूर नहीं किया जा सका है। ऐसी ही एक सबसे बड़ी कमी यह नजर आती है कि इस पोर्टल में ड्राइंग ब्रांच के प्रमुख अधिकारी हेडड्राफ्टमैन के लिए कोई जगह नहीं रखी गई है। सिर्फ बिल्डिंग इंस्पेक्टर, ड्राफ्टमैन और एटीपी, एमटीपी आदि को इसमें जगह दी गई है लेकिन हेड ड्राफ्टमैन के लिए कोई जगह नहीं दी गई। अगर हेड ड्राफ्टमैन को कोई नक्शा पास करना है तो उसे ड्राफ्टमैन के रूप में काम करना होगा।
बता दें कि हेड ड्राफ्टमैन ड्राइंग ब्रांच का प्रमुख अधिकारी होता है। एटीपी के समान ही उसके पास कई इलाकों के नक्शे पास करने एवं रिजेक्ट करने का अधिकार होता है। साथ ही उन इलाकों की प्रत्येक इमारत और कॉलोनियों का रिकॉर्ड भी हेड ड्राफ्ट मैन के पास ही होता है। उसके अंडर में कुछ ड्राफ्टमैन रखे जाते हैं जिन्हें छोटा-छोटा एरिया दिया जाता है। पंजाब के विभिन्न निगमों में बड़ी तादाद में हेड ड्राफ्टमैन कार्यरत हैं। ई नक्शा पोर्टल कंपनी का कहना है कि उसे जिन – जिन पदों की लिस्ट दी गई थी उन सभी को पोर्टल पर जगह दी गई है। हेड ड्राफ्ट मैन जैसी कोई पोस्ट उस लिस्ट में ही नहीं थी।
सूत्रों की मानें तो नाकाबिल चीफ टाउन प्लानर के कारण यह गड़बड़ी हुई है। वहीं, कुछ निगम अधिकारियों का कहना है कि भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जान-बूझ कर ऐसा किया गया है। हालांकि ऐसा प्रतीत नहीं होता क्योंकि हेड ड्राफ्टमैन को इस पर काम करने की पूरी अनुमति है।
वहीं, यह बात जरूर सवाल खड़े करती है कि जब ई-नक्शा पोर्टल तैयार हो चुका है तो नक्शा पास करने की प्रक्रिया को पूरी तरह ऑनलाइन क्यों नहीं किया जा रहा। जालंधर नगर निगम में अभी भी ऑफलाइन नक्शे पास किए जा रहे हैं जिसमें बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है। बिल्डिंग इंस्पेक्टर से लेकर आला अधिकारियों तक के हर नक्शे पर रेट फिक्स हैं। जब तक उनका चढ़ावा नहीं चढ़ता तब तक नक्शे की फाइल आगे ही नहीं बढ़ती। बहरहाल, विभिन्न विभागों पर शिकंजा कसने वाले मुख्यमंत्री भगवंत मान अपने विभाग पर कब शिकंजा कसेंगे यह देखना दिलचस्प होगा।
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