नीरज सिसौदिया, जालंधर
सियासत के खेल वाकई बड़े निराले होते हैं। कब कहां कैसे सियासी ऊंट किस करवट बैठ जाएगा, यह कोई नहीं जानता। कल तक जो राजनीति के फलक पर थे आज वो खाक हो रहे हैं और कल जो सियासी जमीन तलाश रहे थे आज वो सियासत के आसमान पर सितारों की मानिंद चमक रहे हैं। जालंधर की सियासत का एक ऐसा ही सितारा हैं कांग्रेस पार्षद मनदीप जस्सल। मनदीप जस्सल वही शख्स हैं जो अकाली-भाजपा गठबंधन के कार्यकाल में नगर निगम हाउस की बैठकों में मेयर सुनील ज्योति का जमकर विरोध करते थे। विपक्ष में होने का पूरा दायित्व निभाते थे और सबसे ज्यादा शोर अवैध कॉलोनियों और अवैध बिल्डिंगों को लेकर मचाते थे। वक्त ने करवट ली और सुनील ज्योति अतीत के पन्नों में सिमटकर रह गए। विधानसभा वह जा नहीं सके और मेयर बनने की चाह भी शायद खत्म हो गई।
अखबारों और न्यूज पोर्टलों में जो भी खबरें लगतीं उन्हें नजरअंदाज कर दिया जाने लगा। अधिकारियों की जेबें गर्म होती रहीं और अवैध कॉलोनियों का खेल चलता रहा।
दिलचस्प बात तो यह है कि खुद तत्कालीन स्थानीय निकाय मंत्री मनदीप जस्सल की जिस मार्केट पर कार्रवाई के आदेश दे गए थे उस पर भी निगम अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की और मंत्री के आदेशों की भी धज्जियां उड़ा दीं। लेकिन पुरानी कहावत है कि सब दिन एक समान नहीं होते।सूबे में सत्ता परिवर्तन हुआ और आम आदमी पार्टी की ईमानदार सरकार सत्ता पर काबिज हुई। अधिकारी बदल दिए गए और कांग्रेस के मंत्रियों व नेताओं के काले चिट्ठे खुलने लगे। ऐसे में मनदीप जस्सल भी लपेटे में आ गए। इसकी वजह खुद मनदीप जस्सल की पार्टी के कुछ नेता भी हैं जो पर्दे के पीछे से पूरे खेल को अंजाम दे रहे हैं। बहरहाल, यह इलाका अब तेज तर्रार और साफ-सुथरी छवि वाले एटीपी अरुण खन्ना के पास आ चुका है। अरुण खन्ना को हाल ही में उनकी मेहनत का ईनाम भी मिल चुका है। उन्हें बिल्डिंग इंस्पेक्टर से प्रमोट करके एटीपी बनाया गया है। एक बार फिर जस्सल की अवैध कॉलोनियों और अवैध इमारतों की फाइलें बंद अलमारियों से बाहर निकलने लगी हैं। हालांकि, खन्ना के ऊपर एमटीपी मेहरबान सिंह और एसटीपी परमपाल सिंह जैसे खिलाड़ी अधिकारी बैठे हुए हैं। उनके रहते जस्सल की इन अवैध कॉलोनियों और अवैध इमारतों पर कार्रवाई हो पाएगी, इस पर संशय है। सूत्र बताते हैं कि इस संबंध में एफआईआर दर्ज करने के लिए लिखित में दिया जा चुका है। निगम कमिश्नर के अवकाश पर होने के कारण मामला लटका हुआ है। हालांकि, एटीपी वजीर राज ने कमिश्नर दीपशिखा शर्मा के छुट्टी पर होने के बावजूद मंडी रोड इलाके में स्थित जिंदल की बिल्डिंग सील कर दी थी लेकिन खन्ना ऐसा कर पाएंगे या नहीं, यह कहना मुश्किल है।
बहरहाल, इतना तय है कि मनदीप जस्सल की अवैध बिल्डिंगों और अवैध कॉलोनियों के मामले में एफआईआर होना तय है। आम आदमी पार्टी के विधायक रमन अरोड़ा अगर भ्रष्टाचार के इस मामले में तेजी दिखाएं तो कुछ भ्रष्ट अधिकारी भी नप सकते हैं लेकिन फिलहाल रमन अरोड़ा ऐसा करते नजर नहीं आ रहे।