बिहार

बाढ़ग्रस्त क्षेत्र में ज़रूरतमंदों का सहयोग और सरकार से सवाल करेगा ‘युवा हल्ला बोल’

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नीरज सिसौदिया, नई दिल्ली 

वैसे तो बिहार ग़रीबी, भूखमरी, बेरोजगारी के लिए देश दुनिया में विख्यात है। पर अभी जो स्थिति बनी है, वह अभूतपूर्व और चिंताजनक है। एक तरफ़ बाढ़ की त्रासदी, तो दूसरी तरफ़ वैश्विक महामारी कोरोना का कोप। एक तरफ वायरस का संक्रमण बढ़ रहा तो दूसरी तरह नदियों का जलस्तर बढ़ रहा। आज इन दोनों संकट से जूझता बिहार मदद के लिए हर तरफ देख रहा है। राज्य और केंद्र सरकार की तमाम कोशिशें नाकाफ़ी साबित हो रही हैं। ऐसे में समाज के हर वर्ग को आगे आकर बिहारवासियों को इस संकट से उबारने में मदद करना पड़ेगा।

राज्य सरकार बाढ़ और कोरोना से निपटने के लिए SOP बनाकर काम कर रही है। दिनों दिन स्थिति के बदतर होने की वजह से SOP के उचित क्रियान्वयन पर भी सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं।

उत्तरी बिहार के लगभग 10 जिले सीतामढ़ी, पूर्णिया, अररिया, सहरसा, सुपौल, खगड़िया, मधेपुरा, कटिहार, मुजफ्फरपुर, बाढ़ और कोरोना की दोहरी मार झेल रहा है। अनुमान है कि इस आपदा ने उत्तरी बिहार 04 करोड़ की आबादी को अपने चपेट में ले लिया है। आजीविका और स्वास्थ्य संकट की विकट त्रासदी को देखते हुए “युवा हल्ला बोल” ने प्रभावित इलाकों में एक टीम भेजा है। “सहयोग भी, सवाल भी” नाम से शुरू किया गया यह विशेष अभियान प्रभावित लोगों के दर्द और पीड़ा को समझेगा और राज्य सरकार के प्रयासों को प्रभावित लोगों तक पहुंचाने में मदद करेगा। साथ ही कमियों को उजागर करके सरकार से सवाल और प्रशाषन को जवाबदेह भी बनाएगा।

“युवा हल्ला बोल” इस अभियान में समाज के अन्य लोगों, मीडिया, और स्वयंसेवी संगठनों को शामिल होने के लिए आमंत्रित करता है। आइए हम सब मिलकर अपने बिहार को इस दोहरे संकट से निकालें.

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