नीरज सिसौदिया, जालंधर
कहते हैं पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी कभी पहाड़ के काम नहीं आते. दरकते पहाड़ों के बीच सिसकती जिंदगी को रोटी की मजबूरी ने हिमाचल के जिन बाशिंदों को अपना घर छोड़ने पर मजबूर किया था आज वो अपने ही प्रदेश के लिए बेगाने हो गए हैं. उनकी परेशानियों को कम करने की बजाय हिमाचल सरकार के नियम उन परेशानियों को और बढ़ाने में लगी है. कोरोना को लेकर सतर्कता के नाम पर उन्हें बेवजह परेशान किया जा रहा है. किसी की मां बीमार है तो किसी के पिता लाचार हैं लेकिन अपनों की देखभाल के लिए उनके अपने बच्चे उनके पास नहीं जा पा रहे. उन्हें प्रदेश की सीमा पर ही रोक दिया जा रहा है. ऐसा ही एक युवा दंपति हिमाचल से बंगलुरु काम की तलाश में गया था. लॉकडाउन के बाद जब उन्हें घर आने की इजाजत मिली तो वे हिमाचल के लिए निकल पड़े लेकिन यहां हिमाचल सरकार के नियमों ने उनके पैरों में बेड़ियां डाल दीं. इन लोगों को अपने बूढ़े माता पिता की देखभाल के लिए अक्सर यहां आना पड़ता है. लेकिन नौकरी में इतनी छुट्टी नहीं मिलती कि वे क्वारंटीन की शर्तों को पूरा कर सकें. ऐसे में पिछले 6 महीने से ये लोग अपने घर नहीं जा पा रहे. इनके बूढ़े मां बाप का स्वास्थ्य भी बिगड़ता जा रहा है. अब सवाल यह उठता है कि क्या सरकार के नियम इन नौकरीपेशा लोगों को घर नहीं जाने देंगे? अगर सरकार इन्हें हर बार क्वारंटीन कर लेगी तो ये न तो घर जा पाएंगे और न ही अपने परिवार से मिल पाएंगे. छुट्टियों का पैसा अलग से कटेगा. ऐसे जाने कितने लोग हैं जो महीनों से अपने घर नहीं जा पा रहे हैं. यही वजह है कि बंगलुरु में नौकरी करने वाले इस दंपति ने हिमाचल के मुख्य मंत्री को एक पत्र लिखकर कहा है कि हिमाचल सरकार को अब नियमों में छूट देनी चाहिए. लॉकडाउन और क्वारंटीन को सरकार बंद करे. प्रदेश की सीमा पर ही कोरोना टेस्टिंग का इंतजाम करे. साथ ही हर एंट्री प्वाइंट पर एक हॉस्टल का भी प्रबंध करे. बाकी प्रदेश के अंदर सभी हॉस्टल बंद कर दिए जाएं. हिमाचल में प्रवेश की सिर्फ दो शर्तें रखी जाएं. पहली यह कि जिसे भी हिमाचल में आना हो वह 24 घंटे पहले अपना कोविड टेस्ट कराए और निगेटिव रिपोर्ट साथ में लेकर आए. ऐसे लोगों की एंट्री पर कोई प्रतिबंध न लगाया जाए. वहीं दूसरा इंतजाम यह किया जाए कि हिमाचल के एंट्री प्वाइंट पर ही सभी की टेस्टिंग की जाए. जो निगेटिव आए उसे ही एंट्री दी जाए. जो पॉजिटिव आए उसे सीमा पर ही बने हॉस्टल में आइसोलेट किया जाए. ऐसे में कोरोना का खतरा खुद ब खुद खत्म हो जाएगा. वर्तमान में सरकार जो कर रही है वह सिर्फ जनता के टैक्स के पैसे की बर्बादी है और जनता की परेशानी बढ़ाने का काम है.
