अलीगढ़: पार्टी कार्यकर्ता की पैरवी करना एक भाजपा विधायक को महंगा पड़ गया. थाना प्रभारी और तीन दरोगाओं ने मिलकर विधायक को जमकर पीट दिया. घटना के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने थाना प्रभारी को सस्पेंड कर दिया है. मामला अलीगढ़ के गोंडा थाने का है.
दरअसल, पुलिस के काम में राजनीतिक हस्तक्षेप की बात किसी से छिपी नहीं है और जब अपनी ही पार्टी सत्ता में हो तो विधायक जी पुलिस को अपने पैरों की जूती समझने लगते हैं. जो पुलिसवाले अपने आत्म सम्मान से समझौता नहीं करते उन्हें या तो नौकरी गंवानी पड़ती है या फिर निलंबन झेलना पड़ता है. ऐसा ही कुछ हुआ अलीगढ़ के गोंडा थाना के एसओ अनुज सैनी के साथ.
दरअसल, दो समुदायों में कुछ बवाल हो गया था. इसमें भाजपा कार्यकर्ता रोहित और दूसरे समुदाय के व्यक्तियों के बीच मारपीट का आरोप था. एसओ ने रोहित के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी थी. इस पर इगलास विधानसभा सीट से भाजपा विधायक राजकुमार सहयोगी कार्यकर्ता की पैरवी करने थाने पहुंच गए. बताया जाता है कि विधायक एसओ पर दबाव बनाने लगे जिसे लेकर दोनों में बहस हो गई. फिर गाली गलौच हुई और फिर नौबत मारपीट तक जा पहुंची. विधायक का आरोप है कि थाने पहुंचते ही एसओ ने अपने तीन दरोगाओं के साथ मिलकर मारपीट शुरू कर दी. उनके बटन भी तोड़ दिए गए. वहीं थाना प्रभारी का कहना हैकि विधायक हमेशा उन पर पैसे लेकर काम करने का दबाव बनाते हैं. कल भी यही हुआ. जब उन्होंने कानून के अनुसार काम करने को कहा तो विधायक भड़क गए और मारपीट पर उतारू हो गए. बहरहाल, विधायक ने अपनी ताकत का एहसास एसओ को करा दिया है. मुख्यमंत्री ने एसओ को सस्पेंड कर दिया है. अब सवाल यह उठता है कि अगर पार्टी कार्यकर्ता निर्दोष है तो विधायक जी कानूनी प्रक्रिया से क्यों कतरा रहे थे? क्या उन्हें कोर्ट पर भरोसा नहीं था जो वह कार्यकर्ता की पैरवी करने चले गए? बहरहाल यह स्पष्ट है कि जो भी खाकी का पहरेदार विधायक के इशारे पर नहीं नाचेगा उसका हाल अनुज सैनी की तरह ही होगा.
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