देख लेना कहीं अनकही तेरी
अपनी कहानी न रहे।
रुकी सी बीते जिन्दगी में
कोई रवानी न रहे।।
जमीन और भाग्य जो बोया
वही निकलता है।
अपने स्वार्थ के आगे किसी
और पे मेहरबानी न रहे।।
दुखा कर दिल किसी का कभी
कोई सुख पा नहीं सकता।
कपट विद्या से किसी का कभी
दुःख भी जा नहीं सकता।।
पाप का घड़ा भरकर एक दिन
फूटता जरूर है।
बो कर बीज बबूल के कभी
आम कोई ला नहीं सकता।।
कल की चिंता मत कर तू जरा
आज को भी संवार ले।
मत डूबा रहे स्वार्थ में कि समय
परोपकार में भी गुजार ले।।
अपने कर्मों का निरंतरआकलन
तुम हमेशा करते रहो।
प्रभु ने भेजा धरती पर तो जरा
जीवन का कर्ज उतार ले।।
– एस के कपूर “श्री हंस”
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