यूपी

अलविदा वीना माथुर…. वो आसमां था मगर सर झुका के चलता था…

Share now

नीरज सिसौदिया, बरेली
किसी को हो न सका उसके कद का अंदाजा
वो आसमां था मगर सर झुका के चलता था….
कुछ ऐसी ही शख्सियत थी वीना माथुर की. सहज, सरल स्वभाव और मिलनसार व्यक्तित्व एवं बहुमुखी प्रतिभा की धनी वीना माथुर किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं. वह शिक्षा जगत का जाना पहचाना चेहरा थी. वीना माथुर एक शिक्षाविद भी थीं, एक सफल बिजनेस वूमेन भी थीं, समाजसेवी भी थीं और एक मां थी. हजारों बेबस मासूमों के लिए वह एक उम्मीद की किरण थीं. उनके प्रकाश से जाने कितने घरों के चिराग रोशन हुए. देश और समाज में जितना बड़ा वीना माथुर का कद था उतना ही बड़ा उनका दिल भी था. असहायों और जरूरतमंदों की मदद को वह हमेशा तत्पर रहती थीं. वीना माथुर ने अपनी पहचान खुद अपनी मेहनत से बनाई थी. इतना सब होने के बावजूद उन्हें कभी इसका गुमान नहीं हुआ. वह सभी से सहर्ष मिलती थीं.

प्रतिभा जौहरी के साथ वीना माथुर

24 अगस्त वर्ष 1949 को उत्तर प्रदेश के एक छोटे से शहर लक्सर में जन्मी वीना माथुर की प्रारंभिक शिक्षा वनस्थली विद्यापीठ से हुई थी. दिल्ली के मिरांडा हाउस कॉलेज से ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने वकालत की पढ़ाई की. 31 जनवरी वर्ष 1971 में नवीन माथुर के साथ उनका विवाह हो गया और वह इंग्लैंड चली गईं. इंग्लैंड जाने के बाद उन्होंने कैडबरी कंपनी में नौकरी ज्वाइन कर ली. साथ में रेडीमेड कपड़ों का व्यापार भी शुरू कर दिया था. वर्ष 1976 में उन्होंने जीपी स्कूल में नौकरी कर ली. यह वह दौर था जब बेटियों का नौकरी करना तो दूर घर से निकलना भी मुश्किल हुआ करता था. उस दौर में वीना माथुर अपने देश की बेटियों और युवाओं को रोजगार दिलाने के लिए कुछ करना चाहती थीं. यही वजह थी कि उन्होंने 1981 में हैरो स्कूल (सोसाइटी) स्थापना की. देखते ही देखते वीना माथुर शिक्षा जगत का एक जाना पहचाना चेहरा बन गईं. वक्त तेजी से आगे बढ़ रहा था और वीना माथुर अपनी अलग पहचान स्थापित करने लगी थी. सफलता उनके कदमों में थी और हौसला बुलंदियों पर. लोगों का दर्द और गरीब बच्चों को पढ़ाने का सपना उन्हें एक समाजसेवी के रूप में भी स्थापित कर रहा था. उन्होंने नोएडा में भी मैनेजमेंट कॉलेज का संचालन शुरू कर दिया था. अभी वीना माथुर का सफर सिर्फ शुरुआती शिक्षा तक ही सीमित था लेकिन वर्ष 1996 में उन्होंने रक्षपाल बहादुर ग्रुप ऑफ़ इंस्टिट्यूशन की स्थापना के साथ ही उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी कदम बढ़ा दिया था. गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा देना, गरीब बेटियों का विवाह करवाना और उन्हें शिक्षित कर रोजगार दिलवाकर अपने पैरों पर खड़ा करना वीना माथुर अपनी जिम्मेदारी समझा करती थीं. जब गरीबों का दर्द उनसे नहीं देखा गया तो उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 2 साल पहले उन्होंने एक अस्पताल की स्थापना भी की. एक निजी अखबार के कार्यक्रम के दौरान वीना माथुर ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा था, ‘ जब मैं इंग्लैंड से लौटकर बरेली आई थी तो मुझे यह शहर काफी पिछड़ा हुआ नजर आया था लेकिन वक्त के साथ शहर की बेटियों ने रफ्तार पकड़ी और आज वह अपना एक अलग मुकाम हासिल कर चुकी हैं.’

उस कार्यक्रम में वीना माथुर ने बरेली की बेटियों को नोएडा की बेटियों से ज्यादा बेहतर करार दिया था. महिलाओं के प्रति वह हमेशा उदार सोच रखती थीं. यही वजह रही कि महिला उत्थान की दिशा में भी उन्होंने कई उल्लेखनीय कार्य किए. एक सफल बिजनेसमैन होने की क्षमता उनके अंदर थी. यही वजह थी कि उन्हें फिक्की ने वूमेन एंटरप्रेन्योर के अवार्ड से भी नवाजा था. एक सड़क हादसे में वीना माथुर का एक पैर खराब हो गया था लेकिन बैसाखी पर चलने के बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी. वह कभी किसी पर बोझ नहीं बनी बल्कि सारी दुनिया का बोझ अपने सिर उठा लेती थीं. लोगों की मदद करने में उन्हें सच्चा सुख मिलता था. शायद यही वजह थी कि उनके दरवाजे से कभी कोई खाली हाथ नहीं लौटा. वह कभी निराश नहीं होती थीं और हमेशा सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ती थीं. साथ ही दूसरों को भी हमेशा सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती थीं. लगभग 43 साल के बरेली के इतिहास मे वीना माथुर चेंबर ऑफ कॉमर्स की अध्यक्ष बनने वाली पहली महिला थीं. वह रोटरी क्लब की प्रेसिडेंट रहने के साथ ही कई सामाजिक संगठनों में भी विभिन्न पदों पर सक्रिय भूमिका निभाती रहीं. वीना माथुर ने अपनी हिम्मत और मेहनत से जो पौधा लगाया था आज वह सैकड़ों घरों का पालन पोषण कर रहा है.इस वर्ष उनकी शादी की गोल्डन जुबली थी. 31 जनवरी को सब उनकी गोल्डन जुबली मनाने की तैयारी कर रहे थे लेकिन उससे पहले ही भगवान ने उन्हें बुला लिया. शिक्षा जगत का यह चमकता हुआ सितारा आज भले ही इस दुनिया से रुखसत हो गया हो लेकिन उनका नाम और उनके काम सदियों तक याद किए जाएंगे. इतिहास के पन्नों पर वीना माथुर का नाम हमेशा के लिए अमर हो चुका है. उनके निधन पर हैरो स्कूल की कोआर्डिनेटर और भाजपा की महानगर महामंत्री प्रतिभा जोहरी ने गहरा दुख व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि माथुर मैडम हमारी प्रेरणा स्रोत थीं और उनके आदर्श सारी जिंदगी हमें प्रेरणा देते रहेंगे. उनका इस तरह से इस दुनिया से जाने का हमें बेहद दुख है. हम सब बेहद निराश हैं कि भगवान ने हमसे मां समान प्रेरणा स्रोत और सकारात्मक सोच वाले वाली महिला को छीन लिया.

Facebook Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *