यूपी विचार

साहित्य की बात  : गीतों और गजलों के लिए हो गए मशहूर, जन्मे मुरादाबाद में पर कहलाते हैं बरेलवी, बेहद दिलचस्प है इस गीतकार की कहानी, आप भी पढ़ें… 

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जिला मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश में जन्मे सुभाष रावत, साहित्यिक नाम- ‘राहत बरेलवी’ के लिए यूं तो बरेली, उत्तर प्रदेश उनकी कर्म भूमि थी लेकिन बरेली ने उन्हें साहित्यिक पहचान दी, अतः उन्होंने अपने नाम के साथ बरेलवी लगा लिया। बचपन से लिखने का बहुत शौक था… बहुत कुछ लिखा। सरकारी सेवा करते- करते यह शौक कब सर चढ़ गया पता ही नहीं चला।
पिछले 5 वर्षों में ग़ज़लों और गीतों के क्षेत्र में बरेली से जो नाम तेजी से उभर कर आया है वह नाम है सुभाष ‘राहत बरेलवी’ का, जिनकी ग़ज़लों और गीतों ने पूरे भारत में बहुत धूम मचाई है, उनका नाम साहित्य जगत में फ़ेसबुक इत्यादि पर किसी परिचय का मोहताज नहीं है। वह फ़ेसबुक व व्हाट्सएप के अनेक ग्रुप्स में कई वर्षों से ग़ज़ल की बारीकियां इत्यादि सिखा रहे हैं। उन्होंने समसामयिक, श्रृंगार, ओज आदि रसों में ग़ज़ल, गीत, मुक्तक, कुंडलियाँ छन्द, व अनेक लघुकथा भी लिखी हैं जो अनेक सांझा संकलन, प्रेरणा अंशु, प्रेरणा आदि जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में छप चुकी हैं। उनको कई प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्थाओं से विशिष्ट सम्मान पत्र प्राप्त हो चुके हैं।

सुभाष रावत ‘राहत बरेलवी’ ने एक ‘बरेली साहित्य विकास मंच’ नामक साहित्यिक संस्था भी सृजित की है, वह इसके संस्थापक हैं। जो अपने फ़ेसबुक पटल पर हिंदी के प्रचार प्रसार, उत्थान हेतु अब तक देश विदेश के वरिष्ठ, नवांकुर लगभग 140 कवि/ कवित्रियों के लाइव काव्य पाठ कर कोरोना काल में प्रोत्साहित व सम्मानित कर चुकी है। उनके इस साहित्यिक पटल की धूम पूरे भारत में गूंज रही है।
इस संस्था के अध्यक्ष वरिष्ठ कवि रामकिशोर वर्मा, रामपुर से हैं, व वरिष्ठ उपाध्यक्ष एडवोकेट उपमेन्द्र सक्सेना हैं। कोरोना का प्रभाव कम होते ही संस्था का बरेली में काव्य गोष्ठी व कवि सम्मेलन कराने का विचार है जिसमें वरिष्ठ व उभरते हुए रचनाकारों को हिदी के उत्थान के लिये सम्मानित किया जाएगा। राहत जी को उन्हीं के शेर के साथ हृदय से नमन…

फेहरिस्त मेरे गुनाहों की बहुत लंबी है ।
लोग कहते हैं, मुहब्बत गुनाह होती है ।।

प्रस्तुतकर्ता – उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट
(साहित्यकार)

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