विचार

साहित्य की बात : इनकी रचना से हुआ था बरेली दूरदर्शन का शुभारंभ, जेल में करते थे नौकरी पर लिखते थे हास्य व्यंग्य, जानिये साहित्य के इस ‘यमदूत’ की कहानी

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वो जेल में नौकरी करते थे पर उनकी रग रग में एक साहित्यकार बसा था. हास्य व्यंग्य की दुनिया में बरेली का नाम रोशन करने वाले इस साहित्यकार को लोग यमदूत के नाम से जानते हैं.
राष्ट्रीय मंचों पर अपनी उत्कृष्ट हास्य व्यंग्य की रचनाओं की शानदार प्रस्तुति के लिए प्रख्यात कवि हरीश शर्मा यमदूत का जन्म सन् 15 सितंबर 1955 को मोहल्ला- कहारान, नवाबगंज, बरेली में अपनी ननिहाल में हुआ। इनके पिता स्मृति शेष राजाराम शर्मा थे जिन्होंने सन् 1970 में इंदिरा नगर बरेली में अपना घर बनाया। यहीं रहकर यमदूत सन् 1975 से अनवरत सृजनरत हैं। अपनी शिक्षा पूरी करने के पश्चात सन् 1979 में केंद्रीय कारागार विभाग में बंदी रक्षक के पद से लेकर उत्तराखंड से उप जेलर के पद से ससम्मान सेवानिवृत्त होकर वर्तमान में अंधेरी ईस्ट, मुंबई में निवास करने वाले यमदूत काका हाथरसी को अपना आदर्श कवि मानते हैं और उन्हीं से प्रभावित होकर लेखन कार्य प्रारंभ किया। आपको हिंदी साहित्य जगत में लोग साहित्यिक नाम ‘यमदूत’ से जानते हैं। इनका निजी संकलन ‘यमदूत के दुमछल्ले’ सन् 1984 में प्रकाशित हुआ। जिसके बाद से वह लोकप्रिय रचनाकार के रूप में स्थापित हुए। समर्पित भाव से हिंदी साहित्य की सेवा करते हुए इनका एक और निजी संकलन ‘यमदूत के पुछल्ले’ प्रकाशित हुआ। इनकी रचनाएं आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर नियमित रूप से प्रसारित होती हैं। बरेली दूरदर्शन का शुभारंभ इनकी कविता से ही हुआ है। आप भारत की अनेक साहित्यिक एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा विभिन्न उपाधियों से अलंकृत किए जा चुके हैं। जिनमें साहित्य सेवा सम्मान -हल्द्वानी तथा हरियाणा लोक साहित्य सम्मान प्रमुख हैं। ‘धुंआ और भूत’ इनकी प्रसिद्ध रचना है। सहृदय व्यक्तित्व के धनी यमदूत को सांसारिक वस्तु की कामना कभी नहीं रही. यदि कोई इच्छा रही तो केवल यही है कि सामाजिक, आर्थिक और साहित्यिक वातावरण उत्तम बना रहे। बचपन से हंसमुख स्वभाव के यमदूत लोगों को हंसाने की कला में दक्ष हैं। इनकी हास्य-व्यंग्य की रचनाओं में समाज सुधार एवं सामाजिक समरसता का सुंदर समावेश है और इनकी रचनाएं आम जनमानस से सीधा संवाद करती हैं। कुटिल वातावरण के कारण मानवीय मूल्यों में आई गिरावट को दृष्टिगत रखते हुए बेबाक अभिव्यक्ति अपनी रचनाओं के माध्यम से करने वाले यमदूत युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत हैं. इनकी ही कुछ पंक्तियां हैं-

तुझमें किसी की हत्या करवाने की दम है।
या सांप्रदायिक दंगा कराने में ही सक्षम है।।
नगर के कितने अपराधियों से तुम्हारी यारी है।
खुद भी तू झूठा, फरेबी और व्यभिचारी है।।
यदि कुछ भी नहीं तो व्यर्थ चक्कर में पड़ा है।
चुनाव नहीं जीतेगा बैठ जा, बेकार में खड़ा है।।

-उपमेंद्र सक्सेना, एड., साहित्यकार, बरेली  

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