बोकारो थर्मल। कुमार अभिनंदन
बेरमो अनुमंडल के विभिन्न इलाकों में कोयला तस्करी के लिए सैकडों अवैध सुरंग बनाए गए है।इन सुरंगों में घुसने के लिए जंगलों में गुप्त रूप से सुरंग बन यह गया है। इन सुरंगों का कई ठेकेदार होते है। हर सुरंग में 10-15 मजदूर दिन रात कोयला काटने का काम करते है।ठेकेदार सुरंग के अंदर ही मजदूरों के खाने-पीने की सारी सुविधाएं मुहैया करवाते है। शनिवार को हाफ् डे और रविवार को छुट्टी रहता है। इस संबंध में Indiatime24.com प्रतिनिधि ने मंगलवार को पिलपिलो पहाड़ी में बने अवैध सुरंगों में अंद घुसकर जायजा लिया। 15 फरवरी को यहीं पर चाल धंसने से गिरीडीह के तीन मजदुर मौत के काल समां गए थे।
एक दिन में चार-पांच ट्रैक्टर कोयला काटते है मजदूरः दिनभर में चार से पांच ट्रैक्टर कोयला काटने का लक्ष्य दिया जाता है। कोयला काटने के बाद रात दस बजे से ट्रैक्टरों में भरा जाता है। मजदूरों ने बातचीत के क्रम में बताया कि अवैध सुरंग में कोयला काटने और निकालने में हमलोगों को हर दिन मौत का सामना होता है। उत्खनन में लगे मजदूरों की चाल धंसने से मौत हो जाती है, तो उन्हें दो गज की कफन भी नसीब नहीं होता है। उनके साथी मजदूर उसे वहीं सुरंग में दफना देते है या जैसे-तैसे दांह-संस्कार देते है।
मजदूरों का कहना है कि रोजगार का साधन नहीं होने के कारण सुरंग घुसकर कोयला काटना पड़ता है। पिछलें तीन-चार सालों में चाल धंसने से दर्जनों ग्रामीणों की मौत हो चुकी है। मजदूरों के मरने के बाद उनके परिजनों की सबसे बड़ी पीड़ा यह होती है कि वे अपनों के खोने के बाद भी इसका दर्द किसी से बांट नहीं पाते है। ऐसा करने पर उन्हें भय सताता है।कि कहीं वे केस मुकदमा के चक्कर में पड़ जाए। यहीं कारण है कि हर घटना के बाद परिजन सुरंग में चाल में दबकर मरें लोगों को वहीं छोड़ देते है या फिर वहां सेनिकालकर गुपचुप तरीके से दांह-संस्कार कर देते है।
सुरंगों के अंदर लगे है पिलरः सुरंग में घुसने पर पता चला कि अंदर में लकड़ी का पिलर लगायी गयी है। जगह-जगह पर बाहर-भीतर आने जाने के लिए सूचक के रूप में चिन्ह भी बनाए गए है। सुरंग के अंदर काली मां की पूजा की जाती है। सुरंग के अंदर लाइट के लिए चाइनिंग टार्च व लैंम्प का उपयोग किया जाता है। थाना प्रभारी सुंधाशु श्रीवास्तव का दलील है कि पेंक-नारायणपुर थाना क्षेत्र में अवैध सुरंग नहीं है। गांधीनगर, बेरमो व नावाडीह थाना क्षेत्र में है। सुरंग में चाल धंसने की घटना ताराबेंडा में हुई है।