बोकारो थर्मल, रामचंद्र कुमार अंजाना
नावाडीह प्रखंड के ऊपरघाट स्थित हरलाडीह में पांच दिवसीय श्रीश्री शिवशक्ति राम जानकी मां मनसा प्राण प्रतिष्ठा एवं महायज्ञ कलश यात्रा के साथ शुरू हो गया। सर्वप्रथम हरलाडीह शिव मंदिर प्रांगण में 501 कुंवारी कन्याओं को कलश देकर गोदो नदी रवाना किया। जहां कलश यात्रा हरलाडीह गायत्री चौक, कपसा स्थान, घोरजोटांड, बरईबाद, बरई, असनाटांड होते हुए गोदोनदी पहुंचा। यहां पर आचार्य युगल किशोर पांडेय ने वैदिक मंत्रोंच्चारण कर कलश में जल भरा गया। फिर गोदोनदी से कलश लेकर यज्ञ मंडप में स्थापित किया गया। कलश यात्रा के दौरान श्रदालुओं ने हर-हर महादेव, जय श्रीराम, बाबा नगरिया दूर है आदि के जयकारों के उदघोष से क्षेत्र गुंजयमान हो गया। इस दौरान श्रदालुओं में भक्ति का अटूट श्रद्धा देखने को मिली। कई बुजुर्ग महिलाऐं चिलचिलाती धुप में लगभग 10 किमी नंगे पांव यात्रा में भाग लिए। कलश यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं के लिए जगह-जगह शरबत व ठंडा पानी की व्यवस्था किया था। प्रवचन में भागलपुर से आए प्रवचनकर्ता भोला पांडेय शास्त्री ने कहा कि महायज्ञ से मानव को शांति, समृद्धि व सुख की प्राप्ति होती है। इसलिए हर मनुष्य को यज्ञ में शामिल होना चाहिए। भगवान शिव के नाम से यज्ञ में मानव को ऊर्जावान बनाती है। यज्ञ के अनुष्ठान से एक नहीं सैकड़ों-हजार लोगों को भगवान शिव व हनुमान के नाम जपने से मानव को ऊर्जावान बनाती है। यज्ञ के अनुष्ठान से एक नहीं सैकड़ों-हजार लोगों को फायदा मिलता है। किसी भी यज्ञ या अनुष्ठान को दृढ़ संकल्प के साथ किया जाए तो यज्ञ से सदगति का मार्ग प्रशस्त होता है। फायदा मिलता है।
किसी भी यज्ञ या अनुष्ठान को दृढ़ संकल्प के साथ किया जाए तो यज्ञ से सदगति का मार्ग प्रशस्त होता है। महायज्ञ में मुख्य पुजारी भुनेश्वर गिरी-फुलमनिया देवी, उमेश महतो-सावित्री देवी, संजीत वर्णवाल-रेशमी देवी, पवन वर्णवाल-डोली देवी, दिलीप गुप्ता-आशा देवी, कुलदीप महतो, मोहन लाल साव, लखन कुमार साव, देवा साव, हेमलाल सिंह, प्रकाश नायक, मानिक साव, रामेश्वर साव एवं प्रकाश वर्णवाल पत्नी सहित भाग लिए। गोदोनाला में चंद्रिका पांडेय, कृष्णकांत मिश्रा, रोहित कुमार पांडेय, कैलाश पांडेय, घनश्याम पांडेय, बाल्मिकी पांडेय आदि ब्राह्मणों को पैर-पूजन किया गया। कलश यात्रा में मुख्य रूप से समाजसेवी बिजय कुमार वर्मा, नागेश्वर सिंह, दीप्पू अग्रवाल, हेमलाल महतो, मेघनाथ तूरी, अन्नु देवी, चंचला कुमारी, दिलचंद महतो, अरूण कुमार वर्णवाल, राजेश गिरी, पप्पू कुमार,ऋशि कुमार महतो, बलराम कुमार, आशीष कुमार वर्णवाल, सुभाष कुमार, महरू साव, सुभाष कुमार, सुजीत कुमार, बीरू साव, नीतिश वर्णवाल सहित हजारों श्रद्वालू शामिल थे।