चलो एक पौधा प्रेम का, मिलकर लगाया जाये।
महोब्बत ही खुदा यह ,संबको बताया जाये।।
नफरत करने वाले ,कभी भी पनपते नहीं।
इस बात को अब, संबको दिखाया जाये।।
मायूसी और उदासी से ,निकलें लोग जरा।
हौसलों का नगमा ,संबको सुनाया जाये।।
मिलकर जीने में ही है ,कौम की भलाई।
इस बात को बहुत दूर, तक फैलाया जाये।।
जो रूठ बैठे गुमसुम,अलग चौखटों पर।
अब उनको जरूर ही, आज मिलाया जाये।।
हर किसी नज़र में ,दर्द बेसब्री हो मिलने की।
इक ऐसाआला जहान ,मिलकर बनाया जाये।।
मैं की बात नहीं, अब हो बस बात हम की।
कुछ ऐसा फ़लसफ़ा ,अब चलाया जाये।।
*हंस* हँसी खुशी मिलकर, रहने की बात हो।
कुछ ऐसा फसाना ही, अब पढ़ाया जाये।।
-एस के कपूर “श्री हंस”
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