नीरज सिसौदिया, बरेली
हिन्दुस्तान के बंटवारे ने लाखों बेबसों को बेघर कर दिया था. इनमें से एक वरिष्ठ भाजपा नेता आरेंद्र अरोरा कुक्की का परिवार भी था. कुक्की के दादा वर्ष 1947 में हिन्दुस्तान आए थे. कुक्की बताते हैं, ‘हम मूल रूप पाकिस्तान स्थित पंजाब के फैसलाबाद के रहने वाले हैं. बंटवारे ने हमारा सब कुछ छीन लिया था. मेरे दादा किसी तरह जान बचाकर हिन्दुस्तान आए. फिर बिहारीपुर ढाल में रहने लगे. काफी संघर्ष के बाद उन्होंने अपनी पहचान बनाई.’
कुक्की के पिता सुरेंद्र मोहन अरोरा ने खुद को स्थापित करने के लिए काफी संघर्ष किया. कुक्की बताते हैं, ‘मेरे पिता को विरासत में बहुत कुछ नहीं मिला था. उन्होंने अपनी जिंदगी में काफी संघर्ष किया और हम चारों भाइयों को अपने पैरों पर खड़ा होने लायक बनाया. मेरे पिता प्रॉपर्टी का कारोबार करते थे. काफी मेहनत के बाद उन्होंने मॉडल टाउन में अपना घर बनाया. आज भी मेरे दो भाई उसी मकान में रहते हैं.’
कुक्की अरोरा के छोटे भाई डा. केएम अरोरा भारतीय जनता पार्टी के महानगर अध्यक्ष हैं लेकिन कुक्की ने कभी अपने भाई के नाम या पहचान को अपनी ढाल नहीं बनाया. कुक्की ने अपना वजूद अपने दम पर स्थापित किया और विगत चुनावों में पूरे प्रदेश में सबसे अधिक वोटों से जीत हासिल करने का रिकॉर्ड अपने नाम किया. कुक्की का राजनीति में आना कैसे हुआ? पूछने पर वह बताते हैं, ‘वैसे तो महज 12 साल की उम्र से ही मैं संघ की शाखाओं में जाने लगा था. लगभग 48 वर्षों से मैं संघ परिवार से जुड़ा हूं लेकिन सक्रिय राजनीति में आने के बारे में उस वक्त नहीं सोचा था. वर्ष 1986 में मैं इलेक्ट्रिकल की दुकान चलाता था. उस दौरान कभी अधिकारी परेशान करते थे तो कभी बिजली वाले या अन्य कर्मचारी आकर व्यापारियों को तंग करते रहते थे. उस दौरान मैं ही था जो व्यापारियों के हित में आवाज उठाता रहता था. उसी दौरान मैं व्यापार मंडल से जुड़ा और बतौर व्यापारी नेता मैंने राजनीति में पहला कदम बढ़ाया. उसी दौरान मुझे लोगों ने मुझे राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया और वर्ष 2000 में मैंने पहली बार पार्षद का चुनाव लड़ा.’
वार्ड नंबर 50 के वर्तमान पार्षद कुक्की पहली बार जब चुनाव लड़े तो उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था लेकिन उसके बाद कभी भी चुनाव नहीं हारे. कुक्की बताते हैं, ‘पहली बार चुनाव हारने के बाद भी मैंने हिम्मत नहीं हारी. मैंने खूब मेहनत की और दिन रात लोगों के सुख दुःख में उनके साथ खड़ा होता रहा. वर्ष 2005 में मैं फिर से चुनाव लड़ा और पहली बार जीत हासिल कर पार्षद बना. इसके बाद दूसरा चुनाव भी जीता और फिर तीसरा चुनाव रिकॉर्ड मतों से जीतकर यूपी में सबसे अधिक वोटों से जीतने वाले पार्षद का रिकॉर्ड बनाया.’
कुक्की अरोरा उन नेताओं में से हैं जो प्रचार प्रसार में ज्यादा विश्वास नहीं रखते. चुनावों में भी उनके पोस्टर यदा कदा ही दिखाई देते हैं. अखबारों में भी एडवरटाइजमेंट से वर परहेज ही करते हैं. इसके बावजूद तीन बार से लगातार जीत कैसे हासिल कर रहे हैं, पूछने पर कुक्की बताते हैं, ‘मैं प्रचार प्रसार की जगह जनता के बीच रहना ज्यादा पसंद करता हूं. लोगों की समस्याओं का समाधान ही मेरी प्राथमिकता है. मैंने अपने वार्ड में सड़कें बनवाईं, पार्क बनवाए, ओपन जिम भी बनवाए, नियमित साफ सफाई की व्यवस्था करवाई, पिछले लगभग 15 दिनों से लगातार कोरोना जांच शिविर भी लगवा रहा हूं. पिछले साल भी कोरोना काल में लोगों की सेवा की.
आधी रात को भी मैं लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए तत्पर रहता हूं. मैंने अपने वार्ड को एक आदर्श वार्ड बनाया है. यही वजह है कि मुझे चुनाव के दौरान किसी प्रकार के प्रचार प्रसार की आवश्यकता नहीं पड़ती है. लोग खुद मेरा प्रचार करते हैं.’
कुक्की अरोरा उन पार्षदों में शामिल हैं जो बरेली विकास प्राधिकरण के सदस्य भी हैं. हाल ही में उन्होंने बीडीए में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ मोर्चा खोला था जिसमें भाजपा पार्षद नरेश शर्मा बंटी और सतीश चंद्र सक्सेना ने उनका सहयोग किया था. कुक्की और साथी पार्षदों के आंदोलन के कारण बीडीए के भ्रष्ट अधिकारियों को झुकना पड़ा था और खुद बीडीए वीसी ने उन्हें बातचीत के लिए आमंत्रित कर मिल जुल कर ही विकास करने का भरोसा भी दिया था. कुक्की कहते हैं कि भ्रष्टाचार के खिलाफ वह हमेशा लड़ते रहे हैं और आगे भी लड़ते रहेंगे. किसी भी सूरत में भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. बीडीए के भ्रष्टाचार को खत्म कर विकास किया जाएगा.
कुक्की अरोरा न सिर्फ खुद पार्टी की सेवा कर रहे हैं बल्कि उनका पूरा परिवार पार्टी की सेवा में लगा है. कुक्की की पत्नी भाजपा महिला मोर्चा की मंडल अध्यक्ष हैं तो वहीं बेटा रजत अरोरा युवा मोर्चा में महानगर मंत्री पद की जिम्मेदारी संभाल रहा है.
कुक्की का दावा है कि आगामी विधानसभा चुनाव में उनके वार्ड से भाजपा को ही वोट मिलेगा. बहरहाल, तीन बार से लगातार पार्षद बनते आ रहे कुक्की विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने के हकदार तो ही गए हैं. हालांकि उनकी अपनी इच्छा विधानसभा चुनाव लड़ने की कम ही है.