झूठ कुछ समय का बस
एक छलावा है।
फिर हो जाता झूठ का
मुँह काला है।।
सच की हार होगी यह
है एक भुलावा बस।
विधि विधान कि झूठ के
मुंह लगता ताला है।।
शमशान का हिसाब बड़ा
ही नेक है।
यहाँ अमीर गरीब का
बिस्तर एक है।।
जुबान खराब होना अहम
की पहली निशानी।
इसका उपाय प्रभु समक्ष
माथा टेक है।।
लकीरों के आगे हाथ में
उंगलियां रखी होती हैं।
क्योंकि किस्मत से पहले
मेहनत लिखी होती है।।
कुछ बैठ जाते हैं जिंदगी की
थकान में थक हार कर।
वही बनता विजेता पूजा कर्म
की जिसने करी होती है।।
–एस के कपूर “श्री हंस”
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