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योगी के ‘राम राज’ में संकट में रामलीला, मोदी-योगी के सपने के उलट चल रहा बरेली नगर निगम, भाजपा का मेयर फिर भी नहीं मिल रही रामलीला की अनुमति, पढ़े नगर निगम का अनोखा कारनामा

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नीरज सिसौदिया, बरेली
उत्तर प्रदेश में एक तरफ जहां श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर का सपना साकार रूप ले रहा है, पीए नरेंद्र मोदी, सीएम योगी आदित्यनाथ और देश भर के तमाम नेता यूपी में राम राज का दावा करते नजर आ रहे हैं, वहीं बरेली महानगर में सौ साल पुरानी रामलीला पर ही संकट छा गया है। बरेली नगर निगम की कारगुजारी ने इस पर ग्रहण लगा दिया है। दिलचस्प बात यह है कि रामलीला कमेटी का अध्यक्ष भाजपा सरकार की मौजूदा कैबिनेट मंत्री का पति है और नगर निगम में मेयर भी भाजपा का है और समाजवादी पार्टी के नेता संस्कृति बचाने की इस लड़ाई में सबसे आगे नजर आ रहे हैं। दशहरा नजदीक है लेकिन अब तक इस संकट का समाधान नहीं हो सका है।
दरअसल, जोगी नवादा में पिछले लगभग सौ वर्षों से रामलीला का मंचन वनखंडी नाथ मंदिर के पास किया जा रहा था। इस बार नगर निगम ने रामलीला स्थल पर पार्क बना दिया और बाउंड्री कर दी। अब नगर निगम यहां रामलीला के मंचन की इजाजत नहीं दे रहा है। उसका कहना है कि रामलीला के मंचन से पार्क खराब हो जाएगा। इसके विरोध में उत्तराखंड की कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य के पति और रामलीला आयोजन समिति के प्रमुख पप्पू गिरधारी कमेटी के अन्य पदाधिकारियों एवं सदस्यों के साथ धरने पर बैठ गए थे। जब उनकी सुनवाई नहीं हुई तो उन्होंने समाजवादी पार्टी के नेताओं से संपर्क किया। इस पर समाजवादी पार्टी के बरेली शहर विधानसभा सीट से पूर्व प्रत्याशी और पार्षद राजेश अग्रवाल, पूर्व पार्षद नरेश पटेल सहित अन्य नेता मौके पर पहुंचे। राजेश अग्रवाल ने बताया, ‘जैसे ही मुझे सूचना मिली कि स्थानीय लोग धरने पर बैठे हैं मैं तुरंत वहां पहुंचा और मैंने धरनास्थल से ही निगम के अधिकारियों व महापौर से बात की। धरने पर बैठे लोगों को इस बात से अवगत कराया काफी कुछ वार्ता मेरी सकारात्मक थी, जिसमें मैं उनको आधा पार्क तो कम से कम दिलवा ही देता
लेकिन धरने पर बैठे एक दो लोग मेरे साथ महापौर और नगर आयुक्त के कार्यालय जाने को तैयार नहीं हुए। फिर बात वही अटक गई इसके बावजूद मेरे प्रयास नगर निगम प्रशासन से जारी हैं।’
बता दें कि वीरवार शाम को आयोजन समिति ने अपना धरना समाप्त कर दिया। जिसके बाद शुक्रवार को वह नगर निगम में मेयर से मुलाकात करने पहुंचे। समाचार लिखे जाने तक रामलीला के संकट का समाधान नहीं हो सका था।
दिलचस्प बात यह है कि मंत्री भी भाजपा की, सांसद भी भाजपा के, विधायक भी भाजपा के और मेयर भी भाजपा के, फिर भी रामलीला के लिए जगह नहीं है। इस प्रकरण से योगी सरकार की खूब फजीहत हो रही है और भाजपा के राम राज के दावों पर भी कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं।

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