नीरज सिसौदिया, बरेली
कोरोना संक्रमितों के इलाज को लेकर लापरवाही और अपर्याप्त संसाधनों की खबरें देशभर से आ रही हैं. बरेली में भी हालात बदतर होते जा रहे हैं और स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही भी देखने को मिल रही है. आम मरीजों की बात तो दूर, आईसीयू में भर्ती कोरोना मरीजों के इलाज में भी घोर लापरवाही बरती जा रही है. ताजा मामला 300 बेड कोविड अस्पताल का सामने आया है. यहां की अव्यवस्थाओं का खुलासा पांच दिन से आईसीयू में भर्ती एडवोकेट यशपाल सिंह ने किया है.
यशपाल ने इंडिया टाइम 24 को आईसीयू के बाथरूम की कुछ तस्वीरें भेजीं. साथ ही वहां की अव्यवस्थाओं के बारे में बताया. उन्होंने कहा, ‘पांच दिन पहले कोरोना संक्रमित होने के बाद मुझे 300 बेड अस्पताल में ग्राउंड फ्लोर में बने आईसीयू में भर्ती कराया गया था. यहां ग्राउंड फ्लोर पर तीन आईसीयू वार्ड हैं जिनमें प्रत्येक वार्ड में 6-6 बेड लगे हैं. इन तीन आईसीयू वार्डों के 18 मरीजों के लिए सिर्फ एक ही बाथरूम है और उसी में टॉयलेट भी जाना है. महिला मरीजों को भी इसी बाथरूम में ही जाने को मजबूर होना पड़ रहा है. इतना ही नहीं हाथ-मुंह धोने के लिए और ब्रश करने के लिए भी 18 मरीजों के लिए एक ही वॉश वेसिन लगा हुआ है. लापरवाही का आलम यह है कि यहां टॉयलेट में ब्लड गिरा रहता है और अन्य मेडिकल वेस्ट भी इसी में डाल दिया जाता है. यहां नियमित रूप से सफाई नहीं होती. ऐसे में ठीक होने की जगह संक्रमण बढ़ने का खतरा बना हुआ है.’
यशपाल कहते हैं, ‘सरकार कहती है कि किसी भी ऐसी चीज को बिना सैनेटाइजेशन के न छुएं. अब यहां 18 गंभीर कोरोना संक्रमित जब एक ही बाथरूम बिना साफ सफाई के इस्तेमाल करेंगे तो कोरोना कैसे खत्म होगा?’
300 बेड अस्पताल की अव्यवस्थाओं की कहानी यहीं पर खत्म नहीं होती. यशपाल सिंह डॉक्टरों की विजिट को लेकर भी नाराजगी जताते हैं. कहते हैं, ‘मैं यहां पांच दिन से आईसीयू भर्ती हूं. डॉक्टर यहां नियमित रूप से देखना तो दूर कई दिन तक नहीं आते. मैंने जब अपने कुछ जानकार लोगों से पैरवी करवाई तब जाकर कल यानि शनिवार को डॉक्टर देखने आए लेकिन हाईजीन की इतनी समस्या है कि मुंह तक धोने को तरस गए हैं.’
हैरानी की बात है कि कोविड अस्पताल के आईसीयू का इतना बुरा हाल है तो मंडलायुक्त आर. रमेश कुमार, जिलाधिकारी नितीश कुमार और मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. एसके गर्ग लगातार बैठकों पर बैठकें किसके लिए कर रहे हैं. जब आईसीयू की ही मॉनीटरिंग नहीं की जा रही है तो स्वास्थ्य विभाग की फौज और कोविड कंट्रोल रूम वाले कर क्या रहे हैं? जिम्मेदार अधिकारियों की सतर्कता सिर्फ अखबारों में फोटो छपवाने तक ही रह गई है. धरातल पर अगर यही हालात रहे तो शायद कोविड अस्पताल से एक भी इंसान जीवित घर नहीं लौट पाएगा. इस संबंध में जब सीएमओ डा. एसके गर्ग से बात करने का प्रयास किया गया तो उनसे संपर्क नहीं हो सका. अगर वह चाहें तो मोबाइल नंबर 7528022520 पर फोन कर हमें अपना पक्ष दे सकते हैं. हम उसे भी प्रमुखता से प्रकाशित करेंगे.