नीरज सिसौदिया, बरेली
कोरोना काल में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और अव्यवस्थाओं की खबरें देशभर से आ रही हैं. कहीं मरीज भर्ती न करने को लेकर तो कहीं बेड न मिलने को लेकर तो कहीं ऑक्सीजन व अन्य सुविधाओं को लेकर. इसी बीच बरेली से कोरोना जांच किट खत्म होने की जानकारी देने पर स्वास्थ्य कर्मी द्वारा जनप्रतिनिधियों से अभद्र व्यवहार करने का मामला सामने आया है. इसकी रिकार्डिंग सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है.
जानकारी के मुताबिक, गुरुवार को वार्ड 23 के भाजपा पार्षद सतीश चंद्र सक्सेना कातिब मम्मा अपने मित्र और वार्ड 50 के पार्षद आरेंद्र अरोरा कुक्की के साथ मनोहर भूषण इंटर कॉलेज के कोविड-19 टेस्टिंग कैंप में बैठे थे. इसी दौरान टेस्टिंग किट समाप्त हो गई. इस पर मम्मा ने फार्मासिस्ट नेत्रपाल उर्फ नेम सिंह उर्फ नेमचंद को फोन पर इसकी जानकारी दी. इस पर फार्मासिस्ट ने उनसे कहा, ‘उड़ कर आ जाऊं क्या?’ इस पर मम्मा नाराज हो गए और उन्होंने वार्ड 50 के पार्षद आरेंद्र अरोड़ा कुक्की को फोन दे दिया. जब कुक्की ने फोन पर बात की तो फार्मासिस्ट ने फिर से वही जवाब दिया, “उड़ कर आ जाऊं क्या”. इसके बाद दोनों पार्षद भड़क गए और उन्होंने मुख्य चिकित्सा अधिकारी, डीएम, मंडलायुक्त, शहर विधायक अरुण कुमार आदि से की. साथ ही उन्होंने कार्रवाई की मांग की है.
अव्यवस्था का आलम यह था कि कोरोना जांच करने के बाद टेस्टिंग स्टिक जमीन पर फेंकी हुई थी जिससे कोरोना फैलने का खतरा और अधिक बढ़ गया है. प्रयुक्त हो चुकी टेस्टिंग स्टिक को डस्ट बिन में डालने की कोई व्यवस्था नहीं थी.