नीरज सिसौदिया, बरेली
नगर निगम बरेली अफसरों की मननानी और भ्रष्टाचार का अड्डा बनता जा रहा है. निर्वाचित प्रतिनिधियों को निगम के अधिकारी ठेंगे पर रख रहे हैं. नगर निगम बोर्ड की अवमानना और नियम विरुद्ध कार्य करना जैसे निगम अधिकारियों की नियति बन चुकी है. आलम यह है कि नगर निगम बोर्ड की बैठक में पारित प्रस्तावों पर काम के नाम पर खानापूर्ति कर दी जाती है और स्थानीय पार्षद को न तो इसकी सूचना दी जाती है और न ही कार्य पूरा होने पर स्थलीय निरीक्षण कराया जाता है. अधिकारियों और ठेकेदारों का गठजोड़ सिर्फ अपनी जेबें भरने में जुटा हुआ है. विपक्ष के पार्षदों को तो छोड़िये सत्ताधारी दल के पार्षदों तक की खुलेआम अनदेखी की जा रही है. इससे पार्षदों में नाराजगी बढ़ती जा रही है.
नगर निगम के अधिकारियों की इस मनमानी के खिलाफ वार्ड नंबर 23 के भाजपा पार्षद सतीश चंद्र सक्सेना कातिब मम्मा का गुस्सा फूट पड़ा है. उन्होंने नगर निगम के अधिकारियों पर निगम बोर्ड की अवमानना और अनुशासनहीनता का आरोप लगाते हुए मेयर और नगर आयुक्त को एक पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने पूछा है कि क्या नगर निगम बोर्ड बैठक में पारित प्रस्ताव का वार्ड में कोई भी कार्य प्रारंभ होने से पूर्व संबंधित ठेकेदार को माननीय पार्षद से मिलना और कार्य के विषय में अवगत कराना एवं कार्य प्रारंभ करने से पूर्व और समापन के उपरांत स्थल निरीक्षण कराने का दायित्व संबंधित ठेकेदार एवं वार्ड के अवर अभियंता से लेकर मुख्य अभियंता तक का बनता है अथवा नहीं? कृपया इस विषय को स्पष्ट करवाने की कृपा करें.
उन्होंने नगर आयुक्त से निवेदन किया है कि समस्त विभाग अध्यक्षों द्वारा यह स्पष्ट कराएं कि नगर निगम बोर्ड के पारित प्रस्ताव का अनुपालन न करना नगर निगम बोर्ड की अवमानना है अथवा नहीं? साथ ही साथ यह भी निवेदन किया है कि 72 घंटे के अंदर पत्रों पर चाहे व्हाट्सएप पर ही क्यों न हो उपलब्ध कराने और नियम विरुद्ध किए गए कार्यों का संपूर्ण विवरण उपलब्ध कराने के साथ-साथ अनुशासनहीनता को भी सार्वजनिक करते हुए कार्रवाई सुनिश्चित करें. साथ-साथ कार्रवाई से अवगत भी कराएं.
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