सौगंध उठाते हैं, हारेगा कोरोना.
तू हार मानकर ही, मानेगा कोरोना.
हर बीमारी भागी, इस मानव के
आगे.
हर रोग वायरस सब, हरदम ही हैं
भागे.
पापों की गठरी ले, भागेगा कोरोना.
सौगंध…
चलता था सब सुखमय, मानव का पृथ्वी पर.
हर बुरी बात लाया, दानव सा धरती पर.
करनी का फल निश्चित, पायेगा कोरोना.
सौगंध…
हम भले आज कुछ दिन, कष्टों में यूं
जी लें.
ये कलश ज़हर का हम, वेवजह
आज पी लें.
इक रोज़ रसातल में, जायेगा
जायेगा कोरोना.
सौगंध…
संगीत मौत का ये, तूने ही है गाया.
गम के शब्दों को ले, क्यों शोक गीत गाया.
दुख भरे गीत खुद भी, गायेगा कोरोना.
सौगंध…
-बिहारी पुर खत्रियान, बरेली
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