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सीएम योगी के दौरे पर भी उठा पंजाबी खत्री समाज को टिकट देने का मुद्दा, एकजुट हुए भाजपा के पंजाबी खत्री समाज के नेता, पढ़ें क्या बन रहे समीकरण?

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नीरज सिसौदिया, बरेली
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना पिछले दिनों बरेली दौरे पर आए थे. इस दौरान उन्होंने कोविड समीक्षा के साथ ही पंचायत चुनाव के बाद बदले सियासी हालातों का भी जायजा लिया. सूत्रों की मानें तो योगी ने जहां जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव को लेकर पार्टी नेताओं के साथ वार्ता की वहीं सुरेश खन्ना के समक्ष महानगर अध्यक्ष डा. केएम अरोड़ा, गुलशन आनंद, अतुल कपूर आदि नेताओं ने पंजाबी खत्री समाज को विधानसभा चुनाव में पंजाबी खत्री समाज को भी प्रतिनिधित्व देने की बात रखी. नेताओं ने बताया कि पिछले कई दशकों से भाजपा में पंजाबी खत्री समाज उपेक्षित है जबकि वह इस बार मतदाता संख्या के हिसाब से निर्णायक भूमिका में आ चुके हैं. उन्होंने कहा कि पंजाबी खत्री समाज को प्रतिनिधित्व देना इसलिए भी आवश्यक है कि विधानसभा में पर्याप्त प्रतिनिधित्व न होने के कारण समाज की समस्याएं वहां नहीं पहुंच पातीं और समाज के विकास की ओर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया जाता.
बता दें कि शहर विधानसभा सीट पर पंजाबी खत्री समाज के लगभग 50 हजार से भी अधिक वोट हैं. पंजाबी खत्री समाज के नेताओं को भाजपा ने अब तक इस सीट से टिकट दिया ही नहीं. अब चूंकि इस समाज के कई नेता राजनीति एवं सामाजिक क्षेत्र में भी अपना एक मुकाम हासिल कर चुके हैं. साथ ही पिछले चुनावों की तुलना में इस बार इस समाज के मतदाताओं की संख्या में भी काफी इजाफा हो चुका है. इसलिए यह समाज अब बरेली से भी विधानसभा में अपना प्रतिनिधित्व चाहता है.
पंजाबी खत्री समाज के कुछ बड़े भाजपा नेताओं में भाजपा महानगर अध्यक्ष डा. केएम अरोड़ा, महिला मोर्चा अध्यक्ष इंदु सेठी, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य गुलशन आनंद, पूर्व उपसभापति अतुल कपूर, अनुपम कपूर, पवन अरोड़ा, डा. महेंदर वासु आदि शामिल हैं जो समाज का प्रतिनिधित्व भी कर रहे हैं. अब ये नेता पूरे समाज को एकजुट करने में लगे हैं. इनकी एकजुटता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पंजाबी खत्री समाज का कोई भी नेता अपने लिए टिकट नहीं मांग रहा. इनका कहना है कि उनके समाज के किसी भी व्यक्ति को टिकट दिया जाना चाहिए चाहे वह गुलशन आनंद हों, महानगर अध्यक्ष डा. केएम अरोड़ा हों या फिर उभरते हुए युवा नेता और पूर्व उपसभापति अतुल कपूर. पंजाबी खत्री समाज सिर्फ यह चाहता है कि चेहरा कोई भी हो पर उनके समाज से होना चाहिए.
वहीं, समाजवादी पार्टी के लिए पंजाबी खत्री समाज की यह मांग फायदेमंद साबित हो सकती है. यही वजह है कि पंजाबी महासभा के अध्यक्ष संजय आनंद पर सपा की नजर है. संजय आनंद सपा से टिकट के प्रबल दावेदारों में भी गिने जा रहे हैं. अगर भाजपा से कोई पंजाबी खत्री समाज का चेहरा नहीं उतरता है तो सपा भी उस पर दांव खेल सकती है, ऐसी चर्चाएं सियासी गलियारों में हो रही हैं. यह चर्चाएं इसलिए भी तर्कपूर्ण लगती हैं क्योंकि सपा के पास इस बार शहर विधानसभा सीट पर मुस्लिम मतदाता भी निर्णायक भूमिका में आ चुका है. अगर पंजाबी खत्री समाज का वोट भी उसके पाले में आ गया तो शहर विधानसभा सीट पर सपा इतिहास रच सकती है. हालांकि, कायस्थ समाज की उपेक्षा करना पार्टी के लिए आसान नहीं होगा. जो समाज लगातार पार्टी की झोली में सीट जीतकर डाल रहा है उसे एकदम से दरकिनार करना बेहद मुश्किल है. हालांकि कायस्थ वोट टूटकर सपा में जाने की संभावनाएं इसलिए भी कम नजर आती हैं क्योंकि लगातार एक ही पार्टी से सत्ता में आने की वजह से इस पर भाजपा की मुहर लग चुकी है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि वर्तमान भाजपा विधायक अरुण कुमार जब सपा से चुनाव लड़े थे तो मुस्लिमों का साथ होने के बावजूद वह चुनाव नहीं जीत सके थे. लेकिन पंजाबी खत्री समाज में जिस तरह से पहली बार विधानसभा में बरेली से अपना प्रतिनिधि भेजने की होड़ दिख रही है उससे स्पष्ट है कि इस बार इस समाज का लगभग 80 फीसदी से भी अधिक वोट उसी पार्टी को जाएगा जो पंजाबी खत्री समाज का प्रत्याशी मैदान में उतारेगी.
बहरहाल, विधानसभा चुनाव दूर हैं. कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना कितनी मजबूती से समाज की आवाज हाईकमान के समक्ष रख पाते हैं यह उस पर निर्भर करेगा लेकिन पंजाबी खत्री समाज की दमदार उपस्थिति इस बार शहर विधानसभा सीट पर कोई नया गुल जरूर खिलाएगी.

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