नीरज सिसौदिया, बरेली
मेयर डा. उमेश गौतम वर्ष 2022 में विधानसभा में बैठने की जुगत में हैं। यही वजह है कि वह विधानसभा का टिकट हासिल करने की हरसंभव कोशिश में जुटे हैं। हाल ही में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के साथ मेयर डा. उमेश गौतम की मुलाकात को भी इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। इसकी कई वजहें भी हैं।
पहली वजह यह है कि पुष्कर सिंह धामी सबको हैरान करते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के पद पर काबिज हुए थे। संघ और संगठन में गहरी पैठ के चलते उन्हें उत्तराखंड के सबसे युवा मुख्यमंत्री बनने का गौरव हासिल हुआ था। पुष्कर सिंह धामी जिस वक्त मुख्यमंत्री पद पर काबिज हुए थे उस वक्त मेयर डा. उमेश गौतम उन्हें बधाई देने के लिए देहरादून गए थे। बताया जाता है कि मेयर और पुष्कर सिंह धामी के मधुर संबंधों की शुरुआत धामी के मुख्यमंत्री बनने से बहुत पहले ही हो चुकी थी। उस वक्त धामी सिर्फ एक आम विधायक थे। मेयर उस दौर से धामी से जुड़े हुए हैं। ऐसे में अटकलें लगाई जा रही हैं कि अपने पुराने मित्र को यूपी विधानसभा तक पहुंचाने के लिए पुष्कर सिंह धामी भी पुरजोर कोशिश करेंगे।
सूत्र बताते हैं कि हाल ही में हुई मेयर और धामी की मुलाकात में भी यह चर्चा का विषय रहा है। मेयर उमेश गौतम पहले भी जब मेयर का टिकट लेकर आए थे तो सबको हैरान करके ही लाए थे। इसलिए इस बार भी वह कोई करिश्मा कर दिखाएंगे इसकी प्रबल संभावनाएं हैं।
बात सिर्फ धामी से संबंधों की ही नहीं है। धामी के साथ केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से भी मेयर डा. उमेश गौतम की शानदार मुलाकात रही। नितिन गडकरी भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। गडकरी का नागपुर कनेक्शन सर्वविदित है। ऐसे में अगर ये दोनों दिग्गज मेयर उमेश गौतम के साथ खड़े होते हैं तो निश्चित तौर पर उमेश गौतम को विधानसभा का फासला तय करने से कोई नहीं रोक सकता।
मेयर उमेश गौतम का एक और प्लस प्वाइंट यह भी है कि वह बरेली जिले में भाजपा का एकमात्र लोकप्रिय ब्राह्मण चेहरा हैं। अगर पार्टी उन्हें विधानसभा का टिकट देती है तो जिले में ही नहीं वरन् आसपास के इलाकों में भी ब्राह्मण वोटरों के बिखराव को रोकने और ब्राह्मणों की नाराजगी दूर करने में भाजपा कामयाब हो सकती है।
बहरहाल, बरेली एयरपोर्ट पर पुष्कर सिंह धामी और नितिन गडकरी के साथ मेयर उमेश गौतम की मुलाकात के कई मायने निकाले जा रहे हैं। बरेली के राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म हो चुका है। मेयर सियासी बाजी पलटते नजर आ रहे हैं। अब सियासी ऊंट किस करवट बैठता है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।