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पार्षद सतीश कातिब मम्मा ने फिर उठाई पार्षदों की आवाज, विधानसभा के लिए मांगा टिकट, पढ़ें क्या है पूरा मामला?

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नीरज सिसौदिया, बरेली
विधानसभा चुनाव में पार्षदों की उपेक्षा के खिलाफ एक बार फिर भाजपा पार्षद और बरेली विकास प्राधिकरण के सदस्य सतीश चंद्र सक्सेना कातिब उर्फ मम्मा ने मोर्चा खोल दिया है. उन्होंने अबकी बार शहर और कैंट विधानसभा सीट से किसी भी पार्षद को टिकट देने की मांग की है. बता दें कि बरेली में कई पार्षद ऐसे हैं जो चार से छह बार तक लगातार जीतकर पार्षद बनते आ रहे हैं लेकिन आज तक न तो समाजवादी पार्टी ने किसी पार्षद को विधानसभा का टिकट दिया और न ही भारतीय जनता पार्टी ने.
कुछ दिन पहले मम्मा ने न सिर्फ पार्षदों को टिकट देने की मांग उठाई थी बल्कि पार्टी के महानगर अध्यक्ष से लेकर प्रदेश अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार तक को पत्र भी सौंपा था. इसके बावजूद इस दिशा में कोई ठोस पहल अब तक नहीं की गई.
बता दें कि सतीश चंद्र सक्सेना कातिब उर्फ मम्मा खुद कई बार पार्षद बन चुके हैं. जब से नगर निगम बना है तब से मम्मा ने जितनी बार भी पार्षद का चुनाव लड़ा तब से वह एक बार भी चुनाव नहीं हारे. चूंकि शहर विधानसभा सीट कायस्थ बाहुल्य सीट है और मम्मा भी इसी बिरादरी से आते हैं, ऐसे में इस सीट पर उनका भी दावा बनता है. प्रदेश अध्यक्ष के समक्ष भी मम्मा अपनी दावेदारी पेश कर चुके हैं. ऐसे में वर्तमान विधायक डा. अरुण कुमार की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. बात अगर शहर विधानसभा सीट की करें तो यहां विकास शर्मा, शालिनी जौहरी, आरेंद्र अरोरा कुक्की जैसे कई पार्षद हैं जो कई बार चुनाव जीत चुके हैं लेकिन वह अभी तक विधानसभा का टिकट हासिल नहीं कर सके. इसके अलावा युवा पार्षद व पूर्व उपसभापति अतुल कपूर भी भाजपा से टिकट के प्रबल दावेदार हैं.

atul Kapur
आरेंद्र अरोड़ा कुक्की
शालिनी जौहरी

मम्मा का कहना है कि पार्टी चाहे पुराने पार्षद को टिकट दे अथवा नए पार्षद को, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, बस पार्षद को टिकट मिलना चाहिए ताकि कोई भी पार्षद खुद को उपेक्षित महसूस न करे. मम्मा कहते हैं कि पार्षद को भी आगे बढ़ने का हक है लेकिन राजनीतिक दल हमेशा उनकी उपेक्षा करते आए हैं. उन्होंने कहा कि अपनी मांग को वह बरेली से लेकर दिल्ली तक उठाएंगे. जरूरत पड़ी तो साथी पार्षदों के साथ लखनऊ स्थित प्रदेश मुख्यालय भी जाएंगे. वह कहते हैं कि अगर कोई पार्षद विधानसभा चुनाव लड़ने में सक्षम न हो तब तो उसे टिकट नहीं मिलना चाहिए लेकिन जो सक्षम है उसकी उपेक्षा नहीं होनी चाहिए. जब अन्य जिलों में पार्षद को विधानसभा का टिकट मिल सकता है तो बरेली में क्यों नहीं?
बता दें कि बरेली में 80 वार्ड हैं. इनमें लगभग तीन दर्जन से भी अधिक वार्ड शहर विधानसभा सीट के तहत आते हैं. इनमें ज्यादातर भाजपा के पार्षद ही हैं.
वहीं, समाजवादी पार्टी में भी यह मांग जोर पकड़ने लगी है. सपा में शहर और कैंट विधानसभा सीट से टिकट के लिए कई पार्षदों ने भी आवेदन किया है. इनमें शहर विधानसभा सीट से दो प्रबल दावेदार हैं जिनमें पहला नाम राजेश अग्रवाल का आता है. राजेश अग्रवाल पार्षद होने के साथ ही नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष भी हैं.

राजेश अग्रवाल
अब्दुल कयूम मुन्ना

वहीं, दूसरा नाम अब्दुल कयूम मुन्ना का है. मुन्ना चार बार से लगातार पार्षद बनते आ रहे हैं. इस बार उन्होंने शहर विधानसभा सीट से आवेदन भी किया है. हाल ही में दिए गए अपने एक साक्षात्कार में मुन्ना से जब आवेदन की वजह पूछी गई थी तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि हर इंसान आगे बढ़ना चाहता है और चौथी बार पार्षद का चुनाव जीतने के बाद मुझे भी लगता है कि मुझे एक सीढ़ी आगे बढ़ते हुए जनता के लिए अपने अनुभव के आधार पर और बड़ी जिम्मेदारी के साथ काम करना चाहिए.
मम्मा और मुन्ना की सोच एक जैसी ही है. मम्मा भी यही चाहते हैं कि पार्षद को भी आगे बढ़ने का मौका मिलना चाहिए.
बहरहाल, मम्मा की इस मांग ने वर्तमान विधायक की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. अगर सभी पार्षद एकजुट हो गए तो निश्चित तौर पर हाईकमान को इस दिशा में कदम उठाना पड़ेगा. चूंकि पार्षदों को नाराज कर विधानसभा का किला फतह करना आसान नहीं होगा.

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