यूपी

शहर विधानसभा सीट : क्या अबकी बार युवा चेहरों पर भरोसा जताएंगे सियासी दल, पढ़ें कौन-कौन से युवा चेहरे ठोक रहे ताल?

Share now

नीरज सिसौदिया, बरेली
यूपी विधानसभा चुनाव 2022 की तैयारियां तेज हो गई हैं. सभी सियासी पार्टियां भावी उम्मीदवारों को लेकर मंथन कर रही हैं. बात अगर शहर विधानसभा सीट की करें तो प्रमुख सियासी दलों ने अब तक 50+ पर ही भरोसा जताया है. खास तौर पर भाजपा ने तो पिछले दो दशक से इस सीट पर कोई भी युवा चेहरा मैदान में नहीं उतारा है. हालांकि भाजपा की यह रणनीति कामयाब भी रही है पर युवा जरूर इससे निराश हैं. इस बार शहर विधानसभा सीट से कई युवा दावेदार सामने आए हैं. आइये जानते इनके बारे में….
1- अतुल कपूर

atul Kapur

अतुल कपूर युवा भाजपा नेता है. पहली बार वार्ड 77 सौदागरान से चुनाव लड़े और चार बार से पार्षद बनते आ रहे प्रह्लाद मेहरोत्रा को धूल चटाते हुए जीत हासिल की. इतना ही नहीं पहली बार में ही वह उपसभापति का चुनाव भी जीत गए और अपना कार्यकाल निर्विवाद रूप से पूरा किया. समाजसेवा के क्षेत्र में भी वह काफी सक्रिय रहते हैं. अरुणा फाउंडेशन नामक समाजसेवी संस्था के वह अध्यक्ष हैं. इसके माध्यम से वह कोरोना काल में कोरोना प्रभावित परिवारों को भोजन भी पहुंचाते रहे हैं. इतना ही नहीं बरेली की सबसे बड़ी रामलीला में भी अतुल कपूर की अहम भूमिका रहती है. समाजसेवा ऐसी कि उनके दर से आज तक कभी भी कोई खाली हाथ नहीं लौटा. अतुल कपूर को भाजपा से प्रबल दावेदार इसलिए भी माना जा रहा है क्योंकि वह खत्री समाज से ताल्लुक़ रखते हैं और इस बार खत्री पंजाबी समाज एकजुट होकर टिकट की मांग कर रहा है. साथ ही कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना के करीबी भी हैं. ऐसे में भाजपा अगर युवा चेहरे पर दांव खेलती है तो अतुल कपूर का नाम सबसे ऊपर होगा.
2- मो. कलीमुद्दीन

Kalimuddin

मो. कलीमुद्दीन का नाम शहर विधानसभा की राजनीति में नया है लेकिन समाजसेवा के क्षेत्र में उनकी उपलब्धियों से हर कोई वाकिफ है. मुस्लिम होने के बावजूद हिन्दू और सिख समाज में भी गहरी पैठ रखते हैं. कलीमुद्दीन मेडिकल की कोचिंग कराने वाले ओमेगा क्लासेज के डायरेक्टर भी हैं. अब तक कई डॉक्टर उनके कोचिंग से पढ़कर ही बने हैं. दिलचस्प पहलू यह है कि डॉक्टर बनने वाले कई छात्र-छात्राएं ऐसे भी हैं जिनके पास कोचिंग के पैसे नहीं थे. कलीमुद्दीन ने उनकी प्रतिभा को समझा और उन्हें फ्री कोचिंग दी जिसकी बदौलत आज ये बच्चे एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं. कोरोना काल में कलीमुद्दीन ने जो सेवा कार्य किए वह वाकई सराहनीय हैं. लोगों को ऑक्सीजन सिलेंडर दिलाने से लेकर अस्पताल के बिल भरने तक के काम कलीमुद्दीन ने किए. राशन के पैकेट भी बांटे. यही वजह रही कि बेहद कम समय में कलीमुद्दीन शहर विधानसभा क्षेत्र के लोगों के दिलों में राज करने लगे. इस दौरान वह खुद कोरोना पॉजिटिव भी हुए लेकिन ठीक होने के बाद फिर से समाजसेवा में जुट गए. कलीमुद्दीन समाजवादी पार्टी के महानगर सचिव भी हैं और महानगर अध्यक्ष शमीम खां सुल्तानी के करीबियों में उनकी गिनती भी होती है. पिछले दिनों जब वरिष्ठ सपा नेता जफरयाब जिलानी बीमार हुए थे तो कलीमुद्दीन उनके साथ नजर आए थे. माना जा रहा है कि आला नेताओं से नजदीकियां और समाजसेवा के उनके कामों का कॉकटेल उन्हें विधानसभा का टिकट दिलवा सकता है. वह शहर विधानसभा सीट से टिकट की दावेदारी भी कर चुके हैं.
3- विष्णु शर्मा

Vishnu Sharma

विष्णु शर्मा पंडित किशन्नी महाराज के परिवार से ताल्लुक़ रखते हैं. प्रॉपर्टी कारोबारी विष्णु शर्मा कभी कांग्रेस का हिस्सा हुआ करते थे. कांग्रेस में उनकी मजबूत पकड़ थी. खुद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू उनके घर आए थे. लेकिन अखिलेश यादव में आस्था जताते हुए वह कुछ माह पहले ही समाजवादी पार्टी में शामिल हुए हैं. विष्णु शर्मा फेसबुक पर सत्ता पक्ष के खिलाफ सबसे ज्यादा मुखर रहने वाले सियासतदान हैं. फेसबुक पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के खिलाफ जितनी आग विष्णु शर्मा उगलते हैं उतनी शायद ही बरेली का कोई नेता कोई उगलता हो. समाजसेवा के क्षेत्र में भी वह काफी सक्रिय रहते हैं पर फोटो खिंचवाने का दिखावा नहीं करते. वह शहर के कुछ स्कूलों के निर्धन बच्चों  को उन्होंने एजुकेशनली अडॉप्ट भी किया है. उनकी पढ़ाई का पूरा खर्च विष्णु शर्मा खुद ही उठाते रहे हैं. उन्होंने शहर और कैंट दोनों सीटों से दावेदारी की है. उन्हें भरोसा है कि पूरा ब्राह्मण वोट बैंक उन्हीं की झोली में आ गिरेगा. कुछ माह पूर्व जब अखिलेश यादव एक कार्यकर्ता के घर गए थे तो विष्णु शर्मा भी उनके साथ मौजूद थे. इसके बाद वह काफी चर्चा में आए थे.
4- भूपिंदर सिंह भूपी

bhupinder Singh bhupi

भूपिंदर सिंह भूपी सिख समाज से ताल्लुक़ रखते हैं. स्थानीय लोगों में उनकी काफी अच्छी पकड़ भी है. समाजसेवा के क्षेत्र में हमेशा तत्पर रहने वाले भूपिंदर सिंह युवाओं में खासे लोकप्रिय हैं. चूंकि इस बार खत्री पंजाबी समाज से टिकट की मांग उठने लगी है इसलिए समाजवादी पार्टी से भूपिंदर सिंह का नाम भी जोर शोर से उठने लगा है. भूपिंदर सिंह की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्हें समाजवादी पार्टी से टिकट दिलाने के लिए फेसबुक पर एक मुस्लिम समर्थक सैयद इंतखाब आलम जाफरी ने मुहिम चलाई. इससे यह तो साबित होता है कि भूपी मुस्लिम समाज में भी काफी लोकप्रिय हैं.

Facebook Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *