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सेहत की बात : कोरोना निगेटिव होने पर भी कम नहीं होता जान का खतरा, क्या बरतें सावधानी बता रहे हैं डॉक्टर अनुपम शर्मा

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कोरोना जानलेवा है कुछ दिन इसका इलाज कराने के बाद कई लोग ठीक हो रहे हैं और कुछ मौत के आगोश में समा रहे हैंकोरोना नेगेटिव होने के बाद भी जान का खतरा कम नहीं होता लगभग 1 महीने तक सावधानी नहीं बरती तो आप जिंदगी से हाथ धो सकते हैं इस दौरान क्या सावधानियां बरती जानी चाहिए इस संबंध में बरेली के धर्मदत्त सिटी अस्पताल के संचालक डॉ. अनुपम शर्मा ने नीरज सिसौदिया के साथ खुलकर बात की. पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश…
सवाल : कोविड-19 रिपोर्ट आने के बाद क्या जान का खतरा रहता है? क्या-क्या सावधानियां बरती जानी चाहिए?
जवाब : मरीज जब कोविड-19 अस्पताल में होता है तो अक्सर देखने में आता है कि अस्पताल में बेड की किल्लत रहती है. ऐसे में वह चाहते हैं कि मरीज अगर अपना ऑक्सीजन लेवल मेंटेन करने लायक हो गया है तो वह बेड खाली हो जाए और दूसरे गंभीर मरीज को बेड दिया जा सके. अभी मरीज कोविड-19 निगेटिव तो हो गया है पर कोविड-19 ने शरीर में जो सूजन कर दी है वह वहीं की वहीं बरकरार है. सबसे खतरनाक सूजन फेफड़े की होती है क्योंकि मरीज की ऑक्सीजन सैचुरेशन 90 से 92 तो हो गई है लेकिन उसके जो धब्बे हैं फेफड़े के, उन्होंने एक तिहाई फेफड़े को चिपका रखा है या कहें कि जकड़ रखा है तो ऐसे में जब मरीज पैदल चलेगा तो उसकी ऑक्सीजन 88 ही रह जाएगी. वह सीढ़ी चढ़ेगा तो हांफने लगेगा. कोई बड़ा काम करेगा तो हांफने लगेगा. उसे कोई कसरत भी नहीं करनी है. उसकी भूख और जायका भी अभी वापस नहीं आया है. हाल ही में एक मामला आया था दिल्ली के अंकित भाटिया का. वह कोविड-19 हो चुके थे और उन्होंने पहले की तरह कसरत शुरू कर दी लेकिन मांसपेशियों में अभी ताकत नहीं आई थी. वह साइकिल चलाने लगे और एक दिन साइकिल पर ही उनकी मृत्यु हो गई क्योंकि अभी मांस पेशियों में ताकत नहीं आई है. अगर मरीज को शुगर है तो शुगर कंट्रोल में नहीं आएगी. अगर फेफड़ों में धब्बे हैं तो लो डोज स्टीरॉयड चल सकती है सूजन को कम करने के लिए.

जानकारी देते डा. अनुपम शर्मा

सवाल : कैसे पता चलेगा कि फेफड़ों में धब्बे हैं? इसका इलाज क्या है?
जवाब : फेफड़े के धब्बों का पता एक्स-रे में चल जाता है. मरीज को फिजीशियन के संपर्क में रहना है. हो सकता है फिजीशियन दो या तीन बार एक्स-रे कराएं. अगर मरीज कोविड-19 निगेटिव हो चुका है तो उसे दव, स्टेरॉयड दो-तीन हफ्ते भी चलानी पड़ सकती है. एक दवा फेफड़े की सूजन या फाइब्रोसिस को कम करने के लिए होती है. जब सूजन खत्म हो जाती है तो रेशे रह जाते हैं उसे फाइब्रोसिस की स्टेज कहा जाता है. वह रेसे दूर करने की दवा हफ्तों देनी पड़ सकती है. मरीज के खून की हालत भी देखनी पड़ेगी अगर खून गाढ़ा है, उसमें थक्के जमा हो सकते हैं तो डी डाइमर का एक टेस्ट होता है अगर डीडाईमर नहीं है पर बदन में सूजन है तो एक टेस्ट है सीआरपी का होता है. अगर डीडाइमर 100 है तो पेशेंट की हालत अच्छी नहीं है. अगर सूजन है तो सीआरपी बढ़ जाएगा तो आपको स्टेरॉयड डोज दो-तीन हफ्ते तक लेना पड़ेगा लेकिन वह रेगुलेटेड और फिजीशियन के कंट्रोल में ही लेना होगा. स्वयं बिल्कुल न लें. सही डोज अमृत है और ओवरडोज जानलेवा हो सकती है. कई बार होता है कि हम स्वयं डोज लेते हैं और ठीक भी हो जाते हैं लेकिन डोज बंद करना भूल जाते हैं जो नुकसानदायक होता है.
सवाल : कोविड-19 नेगेटिव होने के कितने समय बाद तक सावधानी बरतनी होगी?
जवाब : अगर आपके एक्सरे में धब्बे जा रहे हैं तो हो सकता है महीने भर में एक्सरे साफ हो जाए. अगर आपको शुगर है और शुगर कंट्रोल होता चला जा रहा है तो यह एक इंडिकेशन है कि आप जीत रहे हैं. अगर शुगर आउट ऑफ रेंज है तो कहीं न कहीं कुछ पनप रहा है. फंगस या बैक्टीरिया कुछ भी हो सकता है. वायरस तो हफ्ते 10 दिन में खत्म हो जाता है. अगर आपको शुगर नहीं है तो हल्का खाना खाएं. शुगर है तो चीनी व आलू बिल्कुल न खाएं. शुगर को किसी भी सूरत में 200 से ज्यादा न बढ़ने दें. एक एंटीबायोटिक या एक anti-fungal दवा लेनी पड़ सकती है जो हफ्ते में 2 दिन खाई जाती है.

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