नीरज सिसौदिया, बरेली
लॉकडाउन की मार झेल रहे गरीबों को अब पुलिस और सरकारी बाबुओं की मार भी झेलनी पड़ रही है. इज्जतनगर पुलिस का एक ऐसा ही कारनामा सामने आया है. आरोप है कि कुछ पुलिसकर्मी इलाके में मुर्गा आदि बेचने वालों से दुकान बंद कराने की धमकी देकर अवैध वसूली कर रहे हैं. पिछले दिनों ही कुछ पुलिसकर्मी इन लोगों से दस-दस हजार रुपए की अवैध वसूली करके लाए हैं.
नगर निगम में मुर्गा बेचने की दुकान लगाने के लिए लाइसेेंस बनवाने आए एक दुकानदार ने बताया कि वह पहले फेरी लगाकर कपड़े बेचने का काम करता था. कोरोना काल में उसका काम धंधा पूरी तरह से चौपट हो गया. जब रोटी का संकट पैदा हुआ तो उसने इज्जतनगर थाना अंतर्गत पड़ते मठ इलाके में एक नामी मिठाई की दुकान के पास मुर्गा बेचना शुरू कर दिया. यहां कुछ और लोग भी यही काम करते हैं. हाल ही में एक दिन कुछ पुलिसकर्मी इलाके में आए और उन दुकानदारों से दस-दस हजार रुपये अवैध रूप से वसूलकर ले गए जिनके पास मुर्गा बेचने की दुकान का लाइसेंस नहीं था. पैसे न देने पर वह तत्काल दुकान बंद करने की धमकी देने लगे. जब अन्य दुकानदारों ने पुलिसकर्मियों को पैसा दे दिया तो पीड़ित ने भी मजबूर होकर यह राशि पुलिस वालों को दे दी. पीड़ित ने पैसे दे तो दिये थे पर उसके पास फिर से रोटी का संकट खड़ा हो गया. इसके बाद पीड़ित ने सोचा कि क्यों न कुछ ऐसा किया जाए पुलिस उसे दोबारा परेशान न कर सके. इस पर उसने लाइसेंस बनवाने की ठानी और कलेक्ट्रेट से एक फार्म भी ले आया. इसके बाद वह फार्म जमा करने नगर निगम पहुंच गया. जब वह अपनी फरियाद लेकर निगम के एक बाबू के पास गया तो यहां का नजारा और भी हैरान करने वाला था. बाबू ने उससे चार हजार रुपये की रिश्वत की मांग कर डाली. साथ ही आगे और पैसे भी खर्च होने की बात कही. इस पर पीड़ित निराश होकर एक पार्षद के पास पहुंचा तो पार्षद ने उसे भ्रष्टाचार के इस काले खेल के बारे में विस्तार से बता दिया. साथ ही यह भी कह दिया कि लाइसेंस बनवाना बेहद मुश्किल हैं. कानून के दांवपेच के बारे में बताते हुए घर वापस जाने की नसीहत दे डाली. साथ ही पीड़ित को मदद का भरोसा दिलाते हुए कहा कि जब भी कोई पुलिस वाला आए तो फोन पर बात करा देना या फिर बता देना कि पार्षद ने यह दुकान लगवाई है. इस पर पीड़ित अपने साथी के साथ वापस घर लौट गया.
भ्रष्टाचार के इस खेल से न जाने कितने भोले भाले लोग गुजर रहे हैं. आला पुलिस अधिकारी इस जमीनी हकीकत को महसूस तक नहीं कर पा रहे. यही वजह है कि अभी तक ऐसे कारोबारियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
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